नई दिल्ली: जहाजरानी मंत्रालय देश के छोटे और बड़े बंदरगाहों के बीच आपसी क्रियाकलाप के आधार पर बंदरगाहों के लिए राष्ट्रीय ग्रिड बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह जानकारी जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने दी। श्री मंडाविया आज नई दिल्ली में समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) की 17वीं बैठक को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में 204 छोटे बंदरगाह हैं, जिसमें से केवल 44 काम कर रहे हैं। ये सभी बंदरगाह पहले समुद्री गतिविधियों के केन्द्र थे और इन्हें पुनर्जीवित करने से ये बंदरगाह एक बार फिर समुद्री व्यापार के महत्वपूर्ण केन्द्र बन सकते हैं। श्री मंडाविया ने कहा कि सरकार चाहती है कि प्रमुख और छोटे बंदरगाह मिल-जुलकर काम करें, ताकि देश में बंदरगाह संचालित विकास हो सके।
जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन तथा उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया आज नई दिल्ली में समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) की 17वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए।
श्री मांडविया ने कहा कि बंदरगाहों और राष्ट्रीय बंदरगाह ग्रिड के लिए एक विकास योजना छह महीने के भीतर तैयार हो जाएगी। प्रत्येक बंदरगाह के पुनरुद्धार के लिए विस्तृत अध्ययन किया जाएगा, इससे विशिष्ट माल वितरण उद्योग के संपर्क का पता लगाया जाएगा। केंद्र अध्ययन के निष्कर्षों को राज्यों के साथ साझा करेगा ताकि गैर-क्रियाशील छोटे बंदरगाहों को विकसित किया जा सके और उन्हें परिचालन लायक बनाया जा सके। मंत्री ने समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र और राज्यों के बीच अधिक सहयोग कायम करने का आह्वान किया।
श्री मांडविया ने कहा कि तटीय जहाजरानी और अंतरदेशीय जलमार्ग क्षेत्र देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। किफायती और प्रदूषण मुक्त जल परिवहन देश में लॉजिस्टिक की लागत कम कर सकती है, जिससे विश्व बाजार में भारतीय वस्तुएं अधिक प्रतिस्पर्धा कर सकती है।
श्री मांडविया ने कहा कि जहाजरानी मंत्रालय अच्छी कल्पना वाली बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन, समय और लागत में कटौती की सिफारिशों के पैकेज को लागू कर बंदरगाह परिचालन कार्यक्षमता बढ़ाकर, प्रक्रियाओं के डिजीटाइजेशन और पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को दूर करके बंदरगाहों की क्षमता के विस्तार की योजना बना रहा है।
उन्होंने बताया कि सम्मेलन में अंतरदेशीय जलमार्गों में माल लादने की नौकाओं के लिए साझा और विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार करने जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया ताकि यह नौकाएं तटीय जल में निर्बाध चलती रहे।
बंदरगाह सुरक्षा एक अन्य मुद्दा था जिस पर विस्तार से चर्चा की गई। इनमें बड़े और छोटे बंदरगाह दोनों की सुरक्षा शामिल है। श्री मांडविया ने कहा कि देश के प्रत्येक बंदरगाह में राष्ट्रीय स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
शिपिंग (स्वतंत्र प्रभार) रसायन तथा उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया और अन्य भागीदार आज नई दिल्ली में आयोजित 17वीं समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) की बैठक में भाग ले रहे हैं।
श्री मंडाविया ने भारत में क्रूज पर्यटन के आगमन और जेएनपीटी तथा कांडला और पारादीप में स्मार्ट औद्योगिक बंदरगाह शहरों में विकसित किए जा रहे एसईजेड के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आईआईटी, खड़गपुर में सीईएमएस, सीआईसीएमटी तथा एनटीसीपीडब्ल्यूसी, आईआईटी मद्रास जैसे अनुसंधान आधारित संस्थानों की स्थापना से समुद्री उद्योग को स्वदेशी अनुसंधान और कुशल मानव शक्ति प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
एमएसडीसी की पृष्ठभूमि: एमएसडीसी समुद्री क्षेत्र के विकास के लिए एक शीर्ष सलाहकार निकाय है और इसका उद्देश्य प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के एकीकृत विकास को सुनिश्चित करना है। एमएसडीसी का गठन मई, 1997 में राज्य सरकारों के साथ परामर्श करने संबंधित समुद्री राज्यों द्वारा या तो प्रत्यक्ष या कैप्टिव उपयोगकर्ताओं तथा निजी भागीदारी द्वारा मौजूदा और नए छोटे बंदरगाहों के भविष्य में विकास के लिए किया गया था। इसके अलावा एमएसडीसी छोटे बंदरगाहों, कैप्टिव बंदरगाहों के विकास की भी निगरानी करता है ताकि उनका प्रमुख बंदरगाहों के साथ एकीकृत विकास सुनिश्चित करने के साथ-साथ सड़क/रेल/आईडब्ल्यूटी जैसी अन्य बुनियादी जरूरतों का आकलन करके संबंधित मंत्रालयों को उचित सिफारिशें की जा सकें।
Chaired the 17th meeting of the Maritime States Development Council in New Delhi. In this meeting, we had fruitful discussions on various reforms and agendas which will have a positive impact on the shipping industry. pic.twitter.com/jL0BWym0gZ
— Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) October 15, 2019