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अनेक राजनीतिक इकाइयों के बावजूद भारतवर्ष प्राचीनकाल से सांस्कृतिक रूप से एकबद्ध रहा है: सीएम

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: भारत सरकार के गृह मंत्री श्री अमित शाह जी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज वाराणसी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केन्द्र द्वारा स्वतंत्रता भवन सभागार में आयोजित ‘गुप्तवंशैक वीरः स्कन्दगुप्त विक्रमादित्य’ का ऐतिहासिक पुनः स्मरण एवं भारत राष्ट्र का राजनीतिक भविष्य’ विषयक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम को सम्बोधित किया।
गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने अपने सम्बोधन में भारतीय इतिहास को भारतीय दृष्टिकोण से लिखने की जरूरत पर बल देते हुए देश के इतिहासकारों से अपील की, कि इतिहास को सत्य के आधार पर लिखें। इतिहास में विस्मृत किए गए ऐसे 200 महापुरुषों और 25 साम्राज्यों पर विस्तार से लिखें, जिनके साथ अन्याय हुआ। पहले क्या इतिहास लिखा गया उसके विवाद में न पड़कर नए सिरे से इतिहास लेखन करें।
गृह मंत्री जी ने बताया कि महाभारत काल के 2000 वर्ष बाद, 800 वर्ष के कालखंड में दो प्रमुख शासन व्यवस्थाओं-मौर्य वंश और गुप्त वंश ने भारतीय संस्कृति को विश्व में सर्वोच्च स्थान पर प्रस्थापित किया। उन्होंने बताया कि सम्राट स्कंदगुप्त के समय संपूर्ण भारत में स्वर्णकाल रहा। सैन्य, साहित्य, कला आदि के क्षेत्रों में विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित हुईं। सेना को समृद्ध करने के साथ ही अखंड भारत का निर्माण किया और राष्ट्र को एकता के सूत्र में पराक्रम से पिरोया गया। चीन ने चीन की दीवार का निर्माण हूणों के आक्रमण को रोकने के लिए किया था, ताकि सभ्यता और संस्कृति बनी रहे। मगर हमारे देश में उस काल में सैन्य ताकत के बल पर भारतीय संस्कृति सुरक्षित रही। हमारी संस्कृति विश्व का मार्गदर्शन करने के लिए तैयार है।
गृह मंत्री जी ने कहा कि उस काल में कई ज्योतिषाचार्य हुए और उत्कृष्ट साहित्य का सृजन हुआ। साथ ही, हूणों का सामना भी उस काल में भारत ने किया। कश्मीर से कंधार तक हूणों के आतंक से देश को मुक्त कराया गया। विश्व में पहली बार सम्राट स्कंदगुप्त से हूणों को पराजय मिली। सम्राट स्कन्दगुप्त ने बर्बर आक्रमण को खत्म करने के साथ सुखी और समृद्ध भारत का निर्माण किया जिसका उस समय दुनिया के कई विद्वानों ने यशगान किया। उस वजह से चीन के सम्राट द्वारा भारत के राजदूत को हूणों को सम्राट स्कंदगुप्त द्वारा खत्म करने के लिए प्रशस्तिपत्र दिया गया था।
गृह मंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में सम्राट स्कंदगुप्त के पराक्रम और उनके शासन चलाने की कला पर चर्चा की जरूरत है। सम्राट स्कंदगुप्त को इतिहास के पन्नों पर स्थापित कराने की जरूरत है। सम्राट स्कन्दगुप्त ने शासन व्यवस्था के लिए शिलालेख बनाए। उन्होंने रेवेन्यू नियम भी बनाए जो आज की जरूरत है। लंबे गुलामी के दौर के बाद उनके बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है। सम्राट स्कन्दगुप्त की व्यवस्था के प्रमाण आज भी पूर्वांचल के गाजीपुर में मिलते हैं।
गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे इतिहासकारों से अपील की कि भारतीय इतिहास के नए दृष्टिकोण से लेखन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर न होते तो वर्ष 1857 की क्रांति को भी हम अंग्रेजों के दृष्टि से देखते, उसे प्रथम स्वाधीनता आंदोलन का नाम नहीं दिया जाता, बल्कि उसे बगावत ही कहा जाता। अंग्रेजों के जाने के बाद इतिहासकारों को नये दृष्टिकोण के साथ लिखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सत्य को ढूंढ कर सत्य लिखने का कार्य होगा। जो नया इतिहास लिखा जाएगा, वह लंबा चलेगा, चिरंजीव होगा।
गृह मंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश का सम्मान और गरिमा बढ़ी है। पूरी दुनिया में भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत के विचार को दुनिया महत्व देती है। भारत के प्रधानमंत्री क्या बोलते हैं यह दुनिया देखती है। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बी0एच0यू0 ही वह जगह है जहां भारत और भारतीयता का विकास हुआ।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि अनेक राजनीतिक इकाइयों के बावजूद भारतवर्ष प्राचीनकाल से सांस्कृतिक रूप से एकबद्ध रहा है। इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना छल और द्रोह की भांति है। समय-समय पर इतिहास के अध्येताओं ने समाज के सम्मुख इसका वास्तविक स्वरूप प्रस्तुत किया है। भारत का गौरवशाली अतीत एकता और श्रेष्ठता की गाथा है। वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को साकार कर रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया जाना एक ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय है। इससे कश्मीर न केवल विकास की प्रक्रिया का हिस्सा बना है बल्कि ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की परम्परा का भी अंग बन रहा है। उन्होंने कहा कि चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, स्कन्दगुप्त का समय भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग था। इस काल मंे दुनिया को त्रस्त करने वाली बर्बर हमलावर जातियों के हमलों को न केवल नाकाम किया गया, बल्कि सम्राट स्कन्दगुप्त ने उनका समूल विनाश भी किया। इसका प्रमाण सम्राट स्कन्दगुप्त द्वारा निर्मित विजय स्तम्भ प्रदेश के गाजीपुर जनपद के भितरी नामक स्थान पर आज भी विद्यमान है।
इससे पूर्व, गृह मंत्री श्री अमित शाह जी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने संगोष्ठी का शुभारम्भ भारत रत्न पं0 मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने श्री कमलेश दत्त त्रिपाठी, श्री नीरज राय, श्री ज्ञानेश्वर चैबे आदि विद्वानों को स्मृति चिन्ह, पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। गृह मंत्री जी ने स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का पुनः स्मरण नामक पुस्तिका एवं स्मारिका का भी विमोचन किया।
इस अवसर पर गृह मंत्री श्री अमित शाह जी को स्मृति स्वरूप सम्राट स्कंदगुप्त विक्रमादित्य की प्रतिमा एवं चांदी की तलवार तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को भगवान श्री राम की प्रतिमा भेंट की गयी।
इससे पूर्व, गृह मंत्री श्री अमित शाह जी की वाराणसी के बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने स्वागत किया तथा ढाई वर्ष की उपलब्धियों की पुस्तिका भेंट की। इस दौरान केन्द्रीय कौशल विकास मंत्री डाॅ0 महेंद्र नाथ पांडे, विधान परिषद सदस्य श्री स्वतंत्र देव सिंह, सांसद श्री बीपी सरोज भी मौजूद रहे।

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