नई दिल्ली: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने चुनिंदा देशों को कुछ पुर्जों, घटकों के निर्यात और प्रौद्योगिकी के अंतर कंपनी हस्तांतरण के लिए दो ओपन जनरल निर्यात लाइसेंस (ओजीईएल) जारी करने की मंजूरी दी है। इससे रक्षा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और कारोबार को आसान बनाने में और बढ़ोत्तरी होगी। ओजीईएल की मांग के आवेदन पर रक्षा उत्पादन विभाग (डीपीपी) द्वारा मामला-दर-मामला आधार पर विचार किया जाएगा।
निर्यातकों की मांग पर विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद डीपीपी ने इस ओजीईएल की नीति को तैयार करके रक्षा मंत्री के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया था। ओजीईएल के तहत अनुमति प्राप्त देशों के नाम हैं- बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, जापान, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, इटली, पोलैंड और मैक्सिको। ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र’ की वस्तुओं के निर्यात की अनुमति नहीं है।
लाइसेंस प्राप्त करने के लिए, आवेदक के पास आयात-निर्यात प्रमाण-पत्र होना जरूरी है। ओजीईएल के तहत सभी लेन-देन की प्रत्येक तिमाही और वर्ष के अंत की रिपोटों को जांच और निर्यात बाद सत्यापन के लिए डीपीपी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
ओजीईएल के तहत अनुमति प्राप्त मदों में गोला बारूद के घटक और एनर्जीटिक तथा विस्फोटक सामग्री के बिना फ्यूज सेटिंग उपकरण, अग्नि नियंत्रण और संबंधित खतरे की सूचना और चेतावनी से संबंधित उपकरण तथा संबंधित प्रणाली और शरीर सुरक्षा मदें, पूर्ण वायुयान या पूरी तरह से मानव रहित वायुयान (यूएवी) और यूएवी के लिए विशेष रूप से संशोधित या डिजाइन किये गये किसी भी घटक को इस लाइसेंस से बाहर रखा गया है।
अन्य देशों को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण इस शर्त के अधीन है कि किसी भारतीय सहायक कंपनी (आवेदक निर्यातक) से अपनी विदेशी मूल कंपनी और/या विदेशी मूल कंपनी की सहायक कंपनी को निर्यात अंतर-कंपनी हस्तांतरण हो।
ओजीईएल किसी कंपनी को शुरू में दो वर्ष की विशिष्ट अवधि के लिए एक बार दिया जाने वाला निर्यात लाइसेंस है।
निर्यात लाईसेंस के बारे में विवरण निम्नलिखित हाइपरलिंक्स से प्राप्त किया जा सकता है :
https://www.defenceexim.gov.in/showfile.php?fname=OGEL-Parts
https://www.defenceexim.gov.in/showfile.php?fname=OGEL-ToT
भारत ने अपने रक्षा निर्यातों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पिछले दो वर्षों में निर्यात में सात गुना बढ़ोत्तरी हुई है और 2018-19 में यह बढ़कर 10,500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। ऐसा मानक संचालन प्रक्रिया में सुधार और आवेदनों की ऑनलाइन मंजूरी के लिए एक पोर्टल के शुरुआत करने के कारण संभव हुआ है। आवेदन जांच प्रक्रिया में लगने वाले समय में भी काफी कमी आई है।