नई दिल्ली: अपने प्रथम कार्यकाल के दौरान निर्धारित परंपरा को कायम रखते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना के जवानों के साथ दिवाली का त्यौहार मनाया। यह तीसरा अवसर है जब प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में सैनिकों के साथ दिवाली का पावन त्यौहार मनाया।
प्रधानमंत्री ने राजौरी में ‘हॉल ऑफ फेम’ का दौरा किया और राजौरी तथा पुंछ क्षेत्रों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सैनिकों तथा बहादुर नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ‘हॉल ऑफ फेम’ को ‘पराक्रम भूमि, प्रेरणा भूमि, पावन भूमि’ का नाम दिया।
बाद में, प्रधानमंत्री ने भारतीय वायुसेना के वायुसैनिकों से मुलाकात करने के लिए पठानकोट एयरबेस का दौरा किया।
सैनिकों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार अपने परिवार के साथ दिवाली का त्यौहार मनाने के लिए हर व्यक्ति दूरदराज की यात्रा पर जाने का प्रयास करता है, उसी प्रकार प्रधानमंत्री ने भी अपने परिवार के सदस्यों के रूप में सशस्त्र बलों के वीर जवानों के साथ दिवाली का त्यौहार मनाने के लिए यात्रा की है।
प्रधानमंत्री ने 27 अक्टूबर, 1947 को सशस्त्र बलों के सर्वोच्च बलिदानों का स्मरण किया, जिसे इन्फैंट्री दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय रक्षा बलों की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि इन बलों ने केंद्र सरकार को ऐसे निर्णय कायम करने में भी सक्षम बना दिया है, जिसे पहले असंभव माना जाता था। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा कायम रखने में बलों के साहस और वीरता की सराहना की। उन्होंने बलों की स्मरणीय सेवा के लिए देश की जनता की ओर से उन्हें धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने तथा उनके योगदानों का स्मरण करने के लिए, सरकार ने देश की राजधानी में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक तैयार किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर आने वाले दर्शकों की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि देश के नागरिक सशस्त्र बलों के योगदान के लिए उनका आदर करते हैं।
प्रधानमंत्री ने भारतीय रक्षा बलों को अधिक मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों का विवरण दिया। उन्होंने कहा कि सरकार सैनिकों का कल्याण सुनिश्चित करने हेतु कदम उठाने के लिए समर्पित हैं।