16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

खाद्य सुरक्षा अधिनियम सभी राज्‍यों में इस साल अप्रैल तक लागू हो जाएगा

देश-विदेश

नई दिल्ली: सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सुधार और इसको अधिक पारदर्शी बनाने के लिए पिछले 19 महीनों में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की

है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों को 2 रुपए प्रति किलो गेहूं और 3 रुपए प्रति किलो चावल देने वाले राज्‍यों की संख्‍या पिछले वर्ष 11 से बढ़कर 25 हो गई थी। इस वर्ष सभी राज्‍यों में अप्रैल तक यह अधिनियम लागू होने की आशा है। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री रामविलास पासवान ने आज यहां अपने मंत्रालय के कार्यक्रमों, नीतियों और भावी रोडमैप की मीडिया कर्मियों को जानकारी देते हुए यह बताया।

श्री पासवान ने कहा कि राशन कार्डों का डिजिटीकरण पीडीएस को लीक प्रूफ बनाने की प्रक्रिया एक महत्‍वपूर्ण घटक है। अभी तक देश भर में 97 प्रतिशत राशन कार्डों का डिजिटीकरण किया जा चुका है। शीघ्र ही यह शत-प्रतिशत हो जाएगा। सभी 36 राज्‍यों/संघ शासित प्रदेशों में पीडीएस संबंधी शिकायतों के निवारण के लिए ऑनलाइन व्‍यवस्‍था शुरू कर दी है। प्रत्‍यक्ष नकद अंतरण (डीबीटी) की व्‍यवस्‍था चंडीगढ़ और पुदुचेरी में इस साल सितंबर में शुरू की जाएगी।

मंत्री महोदय ने बताया कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पुनर्गठन के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर अधिक से अधिक किसानों तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए धान खरीद नीति में संशोधन किया गया। इसके परिणामस्‍वरूप चालू खरीफ मौसम में धान की बड़ी मात्रा में खरीद की गई है। सरकार ने भारी बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को बड़ी राहत देने के लिए गेहूं की खरीद के नियमों में छूट दी है।

श्री रामविलास पासवान ने कहा किसानों को गन्ना मूल्य की बकाया राशि के भुगतान के लिए किए गए निरंतर प्रयासों के कारण बकाया राशि 21,000 करोड़ रुपये से घटकर 2014-15 के गन्ना सत्र के दौरान 12 जनवरी, 2016 को 2700 करोड़ रुपये रह गई है।

उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा की गई अन्‍य उल्‍लेखनीय पहल इस प्रकार हैं:

खाद्य सुरक्षा अधिनियम का क्रियान्‍वयन

  • पिछले साल तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) लागू करने वाले राज्‍यों की संख्‍या 11 से बढ़कर 25 हो गई थी। इस साल अप्रैल तक सभी राज्‍यों में इस अधिनियम के लागू होने की आशा है।
  • लीकेज और डायवर्जन को रोकने के लिए और खाद्य सब्सिडी का लाभार्थियों को प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण करने के लिए भारत सरकार ने‘खाद्य सब्सिडी का प्रत्यक्ष हस्तांतरण नियम, 2015’ को 21 अगस्त 2015 को एनएफएसए के तहत अधिसूचित किया है। इन नियमों के तहत डीबीटी योजना संबंधित राज्यों/संघ शासित प्रदेशों की सहमति से लागू की जाएगी। इस योजना के तहत खाद्य सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगी। वह बाजार में कहीं से भी खाद्यान्न खरीदने के लिए स्वतंत्र होगा। यह योजना सितंबर 2015 में चंडीगढ़ एवं पुड्डुचेरी में लागू की जा चुकी है। दादर एवं नगर हवेली भी नकद हस्तांतरण/डीबीटी योजना को लागू करने के लिए पूरी तैयारी है।
  • केंद्र सरकार ने खाद्यान्न के रखरखाव और ढुलाई की लागत का 50 प्रतिशत (पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों के मामले में 75%) राज्यों एवं डीलरों के मार्जिन से साझा करने का फैसला किया है। इसे लाभार्थियों के ऊपर नहीं डाला जाएगा और उन्हें मोटा अनाज एक रुपये प्रति किलो, गेहूं दो रुपये प्रति किलो और चावल तीन रुपये प्रति किलो की दर से मिलता रहेगा।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थियों को उनकी हकदारी का खाद्यान्न हर हाल में मिले, इसके लिए खाद्यान्न की आपूर्ति न होने के स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ते के भुगतान के नियम को जनवरी 2015 में अधिसूचित किया गया है।
  • समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को पौष्टिक भोजन मुहैया कराने के लिए और गरीबों के लिए‘अन्‍य कल्‍याणकारी योजनाओं’ को बेहतर ढंग से लक्षित करने के लिए उपभोक्‍ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री की अध्‍यक्षता में गठित मंत्रियों की समिति ने न सिर्फ अन्‍य कल्‍याणकारी योजनाओं के लिए अनाज का आवंटन जारी रखने, बल्कि उन्‍हें योजनाओं के अंतर्गत मिलने वाली दालों – दूध और अंडे आदि जैसी पोषण संबंधी सहायता करने की सिफारिश की है।

खाद्यान्न प्रबंधन में सुधार

  • एफसीआई के पुनर्गठन के लिए सिफारिशें तैयार करने की खातिर सांसद शांता कुमार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर ही एफसीआई की कार्य पद्धति सुधारने और इसके संचालन में लागत कुशलता लाने की खातिर कुछ उपायों की शुरुआत की गई है।
  • निरंतर प्रयासों से ही टीपीडीएस में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिले हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
  1. देश भर में 24 करोड़ 99 लाख 95 हजार 458 राशन कार्डों में से 24 करोड़ 17 लाख 32 हजार 202 कार्डों का डिजिटीकरण किया जा चुका है, यह 97% उपलब्धि है। शीघ्र ही इसके शत-प्रतिशत होने की उम्‍मीद है।
  2. 10.10 करोड़ से ज्यादा राशन कार्डों को आधार के साथ जोड़ा जा चुका है।
  3. 19राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में खाद्यान्न का ऑनलाइन आवंटन शुरू हो चुका है।
  4. प्लाइंट ऑफ सेल’ डिवाइसलगाकर 61,904 एफपीएस को स्वचालित बनाया गया है। इस साल मार्च तक लगभग 2 लाख राशन की दुकानों पर यह डिवाइस लगा दी जाएगी।
  5. 32 राज्यों/संघ शासित प्रदेशोंमें टोल फ्री हेल्पलाइन स्थापित की गई है।
  6. 36 राज्यों/संघ शासित प्रदेशोंमें ऑनलाइन शिकायत निवारण सुविधा शुरू की गई है।
  7. 2राज्यों/संघ शासित प्रदेशोंमें टीपीडीएस के सभी कामों को दिखाने के लिए पारदर्शिता पोर्टल लांच किया गया है।

किसानों के लिए राहत

  • इस साल अप्रत्याशित बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने गेहूं की खरीद के लिए गुणवत्ता के नियमों में ढील दी है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को ऐसी छूट पर मूल्य कटौती की राशि की प्रतिपूर्ति करने का फैसला भी किया, जिससे किसान भी सूखे और टूटे गेहूं और बदरंगअनाज के लिए पूर्ण न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्राप्त कर सकते हैं।किसानों के लिए इस तरह का केंद्रित कदम किसी भी केंद्र सरकार द्वारा पहली बार उठाया गया है। सरकारी एजेंसियों ने बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों से रबी वर्ष 2015-16 के दौरान 280.88 लाख टन गेहूं की खरीद की।
  • न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) की पहुंच ज्‍यादा किसानों तक बनाने के लिए और धान की खरीद में बढ़ोत्‍तरी के प्रयासों के तहत पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में निजी फर्मों को साथ जोड़ने की नीति निरूपित की गई। असम, बिहार, पूर्वी उत्‍तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में संबंधित राज्‍य सरकारों द्वारा चिन्हित किसानों से निजी फर्मों को अधिक मात्रा में धान खरीदने की इजाजत दी गई, जहां भारतीय खाद्य निगम की सुदृढ़ खरीद व्‍यवस्‍था नहीं होने की वजह से अक्‍सर किसानों को हताशा में बिक्री करने के लिए विवश होना पड़ता है। निजी फर्मे एफसीआई अथवा सरकार के स्‍वामित्‍व वाली एजेंसी के गादामों तक कस्‍टम मिल्‍ड राइस (सीएमआर) पहुंचाएंगे।
  • एफसीआई ने चालू खरीद मौसम में अब तक 224.80 लाख टन धान की खरीद की जबकि पिछले खरीद मौसम की इसी अवधि में यह 174.04 लाख टन थी।
  • 1.5 लाख टन दालों का बफर स्‍टॉक बनाने के लिए एफसीआई ने किसानों से बाजार मूल्‍य पर दालों की खरीद बाजार मूल्‍य या एमएसपी, जो भी अधिक हो, पर शुरू की है। खरीफ विपणन मौसम 2015-16 के दौरान 20 हजार टन अरहर और 2500 टन (कुल 22500 टन) खरीद करने का लक्ष्‍य है। इसी प्रकार रबी विपणन मौसम 2015-16 के दौरान 40 हजार टन चना और 10 हजार टन मसूर (कुल 50 हजार टन) खरीद का लक्ष्‍य है।
  • आयातित तेलों के अंतर्राष्‍ट्रीय मूल्‍यों में कमी का घरेलू स्‍तर पर उत्‍पादित होने वाले खाद्य तेलों के दामों पर असर पड़ा है, जिसके परिणामस्‍वरूप किसानों के हित प्रभावित हुए हैं। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने आयात शुल्‍क बढ़ाने की सिफारिश की थी। तदनुसार 17.09.2015 को कच्‍चे तेलों पर आयात शुल्‍क मौजूदा 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर12.5 प्रतिशत कर दिया गया और रिफाइन्‍ड तेलों पर आयात शुल्‍क मौजूदा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया।

एफसीआई में सुधार

  • एफसीआई के गोदामों की सभी गतिविधियों को ऑनलाइन करने के लिए “डिपो ऑनलाइन” प्रणाली शुरू की गई। 30 संवेदनशील डिपो में यह प्रणाली शुरू हो गई है और इस साल मई तक एफसीआई के शेष डिपुओं में और साल के आखिर तक एफसीआई द्वारा किराए पर लिए गए सभी डिपुओं में भी लागू हो जाएगी।
  • एफसीआई से 100 लाख टन भंडारण वाले आधुनिक साइलो बनाने को कहा गया है। यह पीपीपी व्‍यवस्‍था के तहत देश के विभिन्‍न राज्‍यों में बनाए जाएंगे। इनसे खाद्यान्‍नों की गुणवत्‍ता बनाए रखने, नुकसान को कम करने और अनाज की तेज ढुलाई में मदद मिलेगी। इनके निर्माण का समयबद्ध कार्यक्रम इस प्रकार है:

2015-16 तक 5 लाख क्षमता का सृजन

2016-17 तक 15 लाख क्षमता का सृजन

2017-18 तक 30 लाख क्षमता का सृजन

2018-19 तक 30 लाख क्षमता का सृजन

2019-20 तक 20 लाख क्षमता का सृजन

  • भारत सरकार ने खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में बफर मानकों से अधिक खाद्यान्‍न के विपणन की मंजूरी दी थी। दिनांक 2 जनवरी 2016 तक इस योजना के तहत 44.81 लाख टन गेहूं और 0.73 लाख टन ग्रेड-ए चावल बेचा जा चुका है।
  • वर्ष 2014 और वर्ष 2015 के दौरान खराब मानसून के बावजूद एफसीआई के मजबूत खरीद प्रबंधों के परिणामस्‍वरूप केंद्रीय पूल में पर्याप्‍त मात्रा में खाद्यान्‍न उपलब्‍ध हैं। दिनांक 1 जनवरी 2016 को केंद्रीय पूल में 237.88 लाख गेहूं और 126.89 लाख टन चावल उपलब्‍ध था।  चावल की यह मात्रा पिछले वर्ष इसी अवधि के भंडार से 50.7 लाख टन अधिक है। खाद्यान्‍न की अधिक मात्रा से भविष्‍य में मानसून खराब होने या प्राकृतिक आपदा के समय आकस्मिक आवश्‍यकता को पूरा करने में मदद मिलेगी।
  • विकेंद्रीकृत खरीद के तहत 12 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के अलावा, तेलंगाना चावल की खरीद के लिए एक नया डीसीपी राज्य बन गया। आंध्र प्रदेश और पंजाब में भी खाद्यान्न के खरीद में दक्षता और वितरण के संचालन में सुधार के लिए वर्ष 2014-15 के दौरान आंशिक रूप से इस प्रणाली को अपनाया है।
  • पूर्वोत्तर राज्यों में खाद्यान्न की पर्याप्त आपूर्ति के लिए लुमडिंग से बदरपुर तक गेज रूपांतरण के कारण रेल मार्ग में व्यवधान के बावजूद मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट का उपयोग किया गया। क्षेत्र में 20,000 मीट्रिक टन की अतिरिक्त भंडारण के लिए हर महीने80,000 मीट्रिक टन खाद्यान्न सड़कों से ले जाया गया। बांग्लादेश से गुजरने वाली नदी के रास्‍ते से भी त्रिपुरा तक खाद्यान्न ले जाया गया।
  • 1,03,636 टन चावल नदी/तटीय रास्‍ते से पहली बार आंध्र प्रदेश से केरल ले जाया गया।
  • सरकार ने खाद्यान्न के भंडारण के बेहतर प्रबंधन के लिए जनवरी, 2015 में बफर मानदंड को संशोधित किया। 2015-16 के दौरानभंडारण और पारगमन दोनों में नुकसान कम होकर (-) 0.03% (गेहूं में ‘स्‍टोरेज गेन’ के कारण) और 0.39% रह गया है, जबकि समझौता ज्ञापन में इनके लिए निर्धारित लक्ष्‍य क्रमश: 0.15% और 0.42% था।
  • खाद्यान्न के केंद्रीय पूल स्‍टॉकों की भंडारण क्षमता में 796.08 लाख टन की वृद्धि हुई।  20 राज्यों में निजी उद्यमी गारंटी योजना (पीईजी) के तहत 10 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले नए गोदामों का निर्माण किया गया। इस योजना स्कीम के तहत उत्तर-पूर्व में 62,650 टन की इस भंडारण क्षमता के अलावा और 12 राज्यों में 1.78 लाख टन के सीडब्ल्यूसी के माध्यम से और जोड़ी जाएगी।
  • वर्ष 2015-16 के दौरान (18.01.2016 तक) 610.50 लाख टन खाद्यान्न सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याण योजनाओं के तहत वितरण के लिए राज्यों/संघ राज्य प्रदेशों को आवंटित किया गया था
  • केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) ने भी 2014-15 में अभी तक का सबसे ज्‍यादा 1562 करोड़ रुपए का कारोबार किया।
  • भंडारण क्षेत्र को सक्रिय बनाने के लिए भण्डारण विकास और नियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) के रूपांतरण की एक योजना शुरू की गई है। आईटी प्‍लेटफार्म प्रदान करने और नियमों एवं प्रक्रियाओं को सुधारने का काम शुरू किया गया है।

गन्‍ना किसानों का बकाया चुकाने के लिए उठाए गए कदम

  • सरकार ने गन्‍ना किसानों की बकाया राशि मिलों द्वारा भुगतान के लिए इस क्षेत्र में नकदी प्रवाह में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं।
  • गन्‍ना किसानों की बकाया राशि के भुगतान में सहायता प्रदान करने के लिए चीनी उद्योग को 6000 करोड़ रुपये तक के सुलभ ऋण प्रदान करने की योजना 23 जून 2015 को अधिसूचित की गई। इस योजना के तहत 4152 करोड़ रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है। सरकार ने सुलभ ऋण योजना के तहत पात्रता प्राप्‍त करने की अवधि भी एक वर्ष के लिए बढ़ा दी है और बढ़ी हुई अवधि के लिए 600 करोड़ रुपये की सीमा तक ब्‍याज पर वित्‍तीय सहायता लागत का वहन करने का फैसला किया है।
  • किसानों को सीधे सब्सिडी, सरकार ने 2015-16 सीजन में गन्‍ने के मूल्‍य को समायोजित करने और 2015-16 के चीनी सीजन के लिए किसानों के बकाये का समय पर भुगतान सुगम बनाने के लिए मिलों को 4.50 रुपये प्रति क्विंटल उत्‍पादन संबंधी सब्सिडी का भुगतान करने का फैसला किया है। इस संबंध में 2 दिसम्‍बर,2015 को एक अधिसूचना जारी की गई। योजना के अंतर्गत जारी होने वाली राशि सीधे किसानों के खातों में डाली जाएगी।
  • कच्‍ची चीनी पर निर्यात प्रोत्‍साहन 3200 रुपए प्रति टन से बढ़ाकर 4000 रुपए प्रति टन कर दिया गया है। पिछले वर्ष प्राप्‍त 7.5 लाख टन की तुलना में,  40 लाख टन कच्‍ची चीनी के निर्यात के लिए राशियों का आवंटन किया गया है। सितम्‍बर 2015 में सरकार ने 2015-16 में चार मिलियन टन चीनी के अनिवार्य निर्यात के लिए मिलों और सहकारी समितियों के लिए कोटे की भी घो‍षणा की है।
  • सरकार ने आयात को हतोत्‍साहित करने के लिए चीनी पर आयात शुल्‍क 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है। उन्‍नतप्राधिकृत योजना के अंतर्गत घरेलू बाजारों में चीनी की लीकेज रोकने के लिए, निर्यात उत्‍तरदायित्‍व अवधि 18 महीने से घटाकर 6 महीने कर दी गई है।
  • इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के अंतर्गत सम्मिश्रण लक्ष्‍य 5 प्रतिशत से  बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिए गए हैं।
  • सम्मिश्रण के लिए आपूर्ति किए गए इथेनॉल के लिए लाभकारी मूल्‍य बढ़ाकर 49 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है, पिछले वर्षों के मुकाबले यह वृद्धि काफी ज्‍यादा है। इसके परिणामस्‍वरूप, सम्मिश्रण के लिए इथेनॉल की आपूर्ति प्रतिवर्ष करीब 32 करोड़ लीटर से बढ़कर सालाना 83 करोड़ लीटर हो गयी है। इससे चीनी उद्योग अब इथनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम 6.82 करोड़ लीटर इथनॉल तेल कंपनियों को चालू चीनी मौसम के दौरान (अक्‍तूबर 2015 से) उपलब्‍ध करा चुकी है जबकि पिछले मौसम की इसी अवधि में यह मात्रा सिर्फ 1.92 करोड़ लीटर थी। इसके अलावा, इस कार्यक्रम के अंतर्गत चालू चीनी मौसम के दौरान अनुबंधित इथनॉल की मात्रा 120 करोड़ लीटर है जो अब तक की सबसे अधिक है।
  • निरंतर प्रयासों के परिणामस्‍वरूप गन्‍ने का बकाया जो चीनी सीजन2014-15 के अप्रैल में 21,000  करोड़ रुपये थाजो कम होकर12 जनवरी 2016 को 2700 करोड़ रुपए रह गया है।

उपभोक्‍ता उत्‍पादों और सेवाओं की गुणवत्‍ता बढ़ाने के लिए नए प्रावधान

  • सामान्‍य उपभोक्‍ता के लिए उत्‍पादों और सेवाओं की गुणवत्‍ता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 29 साल पुराने बीआईएस अधिनियम को बदलने के लिए भारतीय मानक ब्‍यूरो विधेयक2015 संसद में प्रस्‍तुत किया। लोकसभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया है। नए विधेयक में मानकों के बेहतर अनुपालन के लिए सरल स्‍व-प्रमाणन व्‍यवस्‍थाअनिवार्य हॉलमार्किंग और उत्‍पाद को वापस लेने तथा उत्‍पाद के उत्‍तरदायित्‍व हेतु प्रावधान किए गए हैं।
  • स्‍वास्‍थ्‍य, सुरक्षा, पर्यावरण, धोखाधड़ी से संबंधित चलन से रोकथाम, रक्षा से संबंधित और ज्‍यादा मदों को अनिवार्य प्रमाणन के अंतर्गत लाया गया है। कीमती धातु से बनी वस्‍तुओं की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी गई है।‘’कारोबार करने में सुगमता प्रदान करने’’  की स्थिति को और बेहतर बनाने के लिए इंस्‍पैक्‍टरों के फैक्‍टरी में दौरा करने के लिए जाने के स्‍थान पर स्‍व-प्रमाणन और बाजार पर निगरानी जैसी सरलीकृत अनुपालन आकलन योजनाएं शुरू की गई हैं। इस प्रकार मानकों पर इंस्‍पैक्‍टर राज समाप्‍त हो गया है।
  • प्रस्‍तावित नए प्रावधान मानकीकरण से जुड़ी गतिविधियों के सामंजस्‍यपूर्ण विकास को बढ़ावा देते हुए भारत सरकार कोस्‍वास्‍थ्‍यसुरक्षापर्यावरण और धोखाधड़ी से संबंधित चलन की दृष्टि से महत्‍वपूर्ण समझी जाने वाली वस्‍तुओं अथवा सेवाओं के लिए अनिवार्य प्रमाणन की व्‍यवस्‍था लाने में समर्थ बनाएंगे। कीमती धातु से बनी वस्‍तुओं की हॉलमार्किंग अनिवार्य करके, अनुपालन आकलन की संभावना बढ़ाकर और जुर्माना राशि में वृद्धि तथा कानून के प्रावधानों का महत्‍व बढ़ाकर निकृष्‍ट स्‍तर के उत्‍पादों के आयात पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है। नए विधेयक में ज्‍यादा प्रभावी अनुपालन और उल्‍लंघनों के लिए अपराध के समायोजन के लिए जुर्माना राशि बढ़ाने के प्रावधान भी किए गए हैं।
  • नया विधेयक संबंधित भारतीय मानकों की कसौटी पर खरे नहीं उतरने वालेउत्‍पादों के लिए उत्‍पाद उत्‍तरदायित्‍व सहित उन्‍हें वापस लेने का प्रावधान करता है।
  • आयातित घटिया उत्‍पादों से उपभोक्‍ताओं/उद्योगों की सुरक्षा हेतु इलैक्‍ट्रॉनिक उत्‍पादों के विनिर्माताओं के पंजीकरण का प्रावधान किया गया है।
  • स्‍वच्‍छ भारत अभियान के अंतर्गत, पेयजल, सड़क के खाने और कचरे के निपटान संबंधी मानकों को निरूपित करने/उन्‍नत बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं।

उपभोक्‍ता संरक्षण को बढ़ावा

  • उपभोक्‍ता शिकायत निवारण प्रक्रिया को सरलीकृत और सशक्‍त बनाने वाला उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक, 2015 इस साल संसद में पेश किया गया। केंद्रीय संरक्षण प्राधिकरण की स्‍थापना, जिसेउत्‍पादों को वापस लेने और खुदरा कारोबारियों सहित दोषी कम्‍पनियों के विरुद्ध मुकदमा दायर करने के अधिकार देने का प्रस्‍ताव है। उपभोक्‍ता अदालतों में शिकायतों की ई-फाइलिंग और समयबद्ध स्‍वीकृति इस विधेयक में किया गया एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण प्रावधान है।
  • सरकार ने उपभोक्‍ता जागरूकता और संरक्षण के लिए उद्योग के साथ 6 सूत्रीय संयुक्‍त कार्य योजना  बनाई है। इसकी मुख्‍य बातें हैं:
  1. शिकायत निवारण के लिए उद्योग स्‍वयं मानक बनाएं और उन्‍हें क्रियान्वित करें।
  2. उद्योग संघों के सभी सदस्‍यों को राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता हेल्‍पलाइन और राज्‍य उपभोक्‍ता हेल्‍पलाइन के साथ जोड़ना।
  3. संयुक्‍त जागरूकता अभियान चलाना।
  4. उपभोक्‍ता कल्‍याण कार्यों के लिए उद्योग जगत कॉर्पोरेट उपभोक्ता दायित्व निधि बनाएं।
  5. भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ स्व-नियामक संहिता बनाएं।
  6. नकली, घटिया और जाली उत्‍पादों के विरुद्ध कार्रवाई करें।
  • उपभोक्‍ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य, वित्‍तीय सेवाएं और अन्‍य विभागों के साथ मिलकर संयुक्‍त अभियान चलाया गया। इस वर्ष उपभोक्‍ता मामलों संबंधी विभाग ने जागो ग्राहक जागो के बैनर तले अपना मल्‍टी मीडिया अभियान तेज कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रोंजनजातीय क्षेत्रों और पूर्वोत्‍तर पर विशेष बल देते हुए इस अभियान ने उपभोक्‍ताओं को उनके अधिकारों/उत्‍तरादायित्‍वों के बारे में जागरूक बनाया।
  • उपभोक्‍ताओं से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों यथा- कृषि, खाद्य, स्‍वास्‍थ्‍य सेवा, आवास,वित्‍तीय सेवाएं और परिवहन के लिए एक अंतर-मंत्रालयी निगरानी समिति का गठन किया गया, ताकि उपभोक्‍ताओं के संबंध में नीतिगत सामंजस्‍य  और समन्वित कार्रवाई की जा सके।
  • भ्रामक विज्ञापनों से निपटने के लिए, एक समर्पित पोर्टल www.gama.gov शुरू किया गया। उपभोक्‍ताओं को गुमराह करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने में समर्थ बनाने के लिए छह प्रमुख क्षेत्रों यथा-खाद्य एवं कृषि, स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, रियल एस्‍टेट, परिवहन एवं वित्‍तीय सेवाओं को इस उद्देश्‍य से शामिल किया गया है। दर्ज की गई शिकायतों को संबंधित प्राधिकरणों अथवा क्षेत्र के विनियामकों के समक्ष उठाया गया है और कार्रवाई करने के बाद उपभोक्‍ता को सूचित किया गया है।
  • उपभोक्‍ता सेवाओं को एक ही जगह उपलब्‍ध कराने के लिए छह स्‍थानों – अहमदाबाद, बेंगलुरु, जयपुर, कोलकाता, पटना और दिल्‍ली में 18 मार्च 2015 कोग्राहक सुविधा केंद्र प्रारम्‍भ किए गए । ऐसे केंद्र चरणबद्ध रूप से प्रत्‍येक राज्‍य में स्‍थापित किए जाएंगे। वे उपभोक्‍ता कानूनों, उपभोक्‍ताओं के अधिकारो,उपभोक्‍त अदालतों का दरवाजा खटखटाने की प्रक्रिया और उत्‍पादों की गुणवत्‍ता का भरोसा और सुरक्षा सहित उपभोक्‍ताओं से जुड़े अन्‍य मामलों के बारे में उपभोक्‍ताओं को जानकारी उपलब्‍ध कराएंगे। 

आवश्‍यक खाद्य वस्‍तुओं की उपलब्‍धता किफायती मूल्‍यों पर सुनिश्चित कराने के उपाय

आवश्‍यक खाद्य वस्‍तुओं की उपलब्‍धता किफायती दामों पर सुनिश्चित कराने के लिए सरकार ने निम्‍नलिखित फैसले लिए हैं :

  • आवश्‍यक वस्‍तुओं की उपलब्‍धता सुनिश्चित करने के लिए अग्रिम कार्य योजना तैयार की गई है, उपभोक्‍ता मामले विभाग के सचिव की अध्‍यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति साप्‍ताहिक समीक्षा बैठक करती है।
  • 1.50 लाख टन दालों का बफर स्‍टॉक बनाने का फैसला किया गया है। 10 हजार टन दाल के आयात का फैसला किया जा चुका है।
  • खरीफ की दालों में अरहर और उड़द के लिए एमएसपी बढ़ाकर 275 रुपए प्रति क्विंटल और मूंग के लिए बढ़ाकर 250 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
  • काबुली चना और ऑर्गेनिक दालों एवं मसूर की दाल की 10, 000 एमटी मात्रा तक के अतिरिक्‍त सभी प्रकार की दालों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  • शून्‍य आयात शुल्‍क की अवधि 30 सितम्‍बर 2016 तक बढ़ायी गई।
  • अनिवार्य वस्‍तु अधिनियम, 1955 के तहत, जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए राज्‍यों/संघ शासित प्रदेशों को प्‍याज और दालों पर भंडारण की सीमा निर्धारित करने का अधिकार दिया गया।
  • 5 किलोग्राम तक के पैकेटबंद ब्रांडेड उपभोक्‍ता पैक में अन्‍य खाद्य तेल की बिक्री दिनांक 6 फरवरी 2015 से 900 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के न्‍यूनतम निर्यात मूल्‍य (एमईपी) पर करने की अनुमति दी गई।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More