नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज गरीबी उन्मूलन पर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने सरकार को लोकवादी कदम उठाने से बचने और गरीबी उन्मूलन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी।
उपराष्ट्रपति आज नेल्लोर में अक्षर विद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत में एक सवाल का जवाब दे रहे थे। एक छात्र ने उपराष्ट्रपति से पूछा था कि आजादी के 70 साल के बाद भी देश में गरीबी क्यों है?
भारत में गरीबी के कारणों का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि अब तक गरीबी उन्नमूलन कार्यक्रमों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। लोकवादी योजनाओं पर विरोध जताते हुए उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को मछली देने की बजाय उसे मछली पकड़ना सिखाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में अब भी कुछ लोग अशिक्षित हैं जिससे उनका सामाजिक-आर्थिक विकास सीधे प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा लोगों को सशक्त करने और गरीबी कम करने में प्रमुख भूमिका निभा सकती है।
उन्होंने जोर देते हुए बताया कि ऐतिहासिक तौर पर भारत के शहरी क्षेत्रों को ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा सुविधाएं मिलीं और इससे ग्रामीण इलाकों में अधिकांश लोगों के आर्थिक हालात प्रभावित हुए। श्री नायडू ने भारतीय समाज में बड़े स्तर पर असमानता के लिए जनसंख्या वृद्धि और लिंग भेद को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि यदि किसी के कम बच्चे होंगे, तो वे उनकी बेहतर देखभाल कर सकेंगे।
महिला शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो केवल एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं लेकिन जब आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं। उन्होंने बालिकाओं के समग्र कल्याण के लिए बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए सरकार की प्रशंसा की।
गरीबी उन्मूलन के लिए एक ठीक दृष्टिकोण का सुझाव देते हुए, उन्होंने कहा कि पानी और बिजली की 24 घंटे आपूर्ति, किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अच्छी विपणन सुविधाएं और नवाचार तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देने जैसे बुनियादी ढांचे का सृजन और उचित पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
श्री नायडू ने जीवन में शारीरिक रूप से फिट रहने के महत्व पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि कहा, “शारीरिक फिटनेस आपको मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती है“। उन्होंने बच्चों को खेल, योग और अन्य बाह्य गतिविधियों में भाग लेने की सलाह दी।
गैर–संचारी रोगों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज आरामदायक जीवन शैली और अस्वास्थ्यकर भोजन इसमें योगदान देने वाले मुख्य घटक हैं। उन्होंने बच्चों को पारंपरिक भारतीय भोजन अधिक खाने की सलाह दी क्योंकि यह हमारे शरीर और जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल है।
मातृभाषा के संरक्षण और संवर्धन की जरूरत पर जोर देते हुए, श्री नायडू ने छात्रों से घर पर अपनी मातृभाषा में बातचीत करने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि आप चाहे जितनी भी भाषाएं सीखें लेकिन हमेशा अपनी मातृभाषा को याद रखें।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी बच्चों के साथ बातचीत की और ग्रामीण छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए अक्षरा विद्यालय की सराहना की। उन्होंने इस संस्थान द्वारा किए गए कार्यों पर प्रसन्नता जाहिर की। उपराष्ट्रपति और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने मिलकर अक्षरा विद्यालय और कौशल विकास केन्द्र की विभिन्न सुविधाओं का भी निरीक्षण किया।