देहरादून: सचिवालय में मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने उत्तराखण्ड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक ली। बैठक की अघ्यक्षता करते हुए उन्होंने वहाँ पर उपस्थित बोर्ड के सभी सदस्यों
का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस प्रकार की बैठकों कई प्रकार के सुझाव मिलेंगे जिन्हें क्रियान्वित करके राज्य व राज्यवासियों को लाभान्वित किया जा सकता है।
बैठक के दौरान निर्णय लिया गया कि प्रदेश में पर्वतारोहण हेतु अनुमति की अवधि को 1 अप्रैल से 30 नवम्बर तक किये जायेगा, संरक्षित एवं आरक्षित क्षेत्रों में ईकोटूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये स्थानीय युवकों केा नेचर गाइड के प्रशिक्षण दिया जायेगा, राष्ट्रीय पार्क में कावड़ मेला, कुम्भ मेला व अन्य धार्मिक पर्वों में विभिन्न धार्मिक संस्थाओं द्वारा भण्डारा लगाने पर पार्क क्षेत्र में भण्डारा पकाया जाने पर पाबन्दी लगाकर भण्डारा बन्द पैकेट में वितरित किया जाए। इसके साथ ही, राजाजी टाइगर रिजर्व पर्यटन से प्राप्त होने वाली आय का 100 प्रतिशत भाग राजाजी टाइगर रिजर्व कंजर्वेशन फाउण्डेशन के फण्ड में जमा करने, गुलदारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, गुलदारों के पुनर्वास हेतु प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर गुलदार सफारी की स्थापना, कार्बेट टाइगर रिजर्व में स्पेशल टाइगर फोर्स की स्थापना, कार्बेट टाइगर रिजर्व में प्रवेश शुल्क से प्राप्त आय का 50 प्रतिशत कार्बेट टाइगर फाउण्डेशन में दिया जाने पर सहमति जताई गयी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि सुअरो को मारने की अनुमति मिल गयी है। यदि ग्रामीण स्वयं इस कार्य को करते हैं तो इसके लिये कारतूस राज्य सरकार उपलब्ध करवाएगी। जानवर जंगलों में ही रहें इसके लिये वनों को समृद्ध किया जा रहा है। फलदार वृक्षों के लगाने और संरक्षण के लिये बोनस दिया जा रहा है। नदियों में महाशीर मछली के संरक्षण के लिये नदियों में बीज डलवाया जा रहा है। कोसी एवं रामगंगा को महाशीर के लिये संरक्षित किये जाने पर भी विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों के संरक्षण के लिये टीम तैयार की जाय, खासकर स्नो लैपर्ड एवं कस्तूरी मृग को संरक्षण की आवश्यकता है। जनपद चमोली के द्रोणगिरी में चैरगाय को संरक्षण की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में वन्यजीवों के लिये रेस्क्यू सेंटर बनाये जाने की आवश्यकता को देखते हुए स्थाई वेटेरीनरी डाॅक्टर्स की भर्ती होने तक रिटायर्ड वेटेरीनरी डाॅक्टर्स की मदद ली जाए। दूरस्थ ग्रामीणों की जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिये जंगलों को समृद्ध बनाये जाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जंगलों के अंदरूनी इलाकों में चैड़ी पत्ती वाले वृक्ष लगाने के साथ-साथ इस प्रकार के वृक्ष लगाए जाएं जिनके जंगली जानवरों के लिये भोजन उपलब्ध हो सके। सरकार राज्य में जल संरक्षण के लिये बड़े पैमाने पर कार्य कर रही है। जानवरों के लिये पानी उपलब्ध हो सके इसके लिये वन्य क्षेत्रों में भी सरकार द्वारा चलाई जा रही चाल-खाल योजना चलाई जा रही है, चाल खाल को मनरेगा के तहत भी लाया जायेगा। इसके साथ सिंचाई व पेयजल विभाग को पानी के संरक्षण के लिये योजनाएं बनाने के लिये कहा गया है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमें चीड़ के जंगलों को नियन्त्रित करना होगा।
फूलों की घाटी, नन्दादेवी व गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में जलवायु अनुश्रवण संयंत्रों को स्थापित किया जा रहा है। बैठक के दौरान बताया गया कि राज्य में 68 बुग्याल ऐसे हैं जो औली से भी बड़े हैं, उनको सिस्टामैटिक तरीके से विकसित किये जाने की जरूरत है। वन्यजीवों विशेषकर हाथियों के स्वतंत्र विचरण हेतु मैपिंग करवाने के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके गलियारों का निर्माण करवाने की जरूरत है।
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