नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने आज केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह से नई दिल्ली में भेंट की और उन्हें संघ शासित प्रदेश में सुरक्षा के वर्तमान परिदृश्य की जानकारी दी।
लगभग आधा घंटे हुई बातचीत में डीजीपी ने बताया कि पिछले डेढ़ महीने से भी कम समय में जम्मू और कश्मीर में आतंक संबंधी हिंसा में पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 60 प्रतिशत की गिरावट आई है। साथ ही निष्प्रभावी आतंकवादियों के दफन के दौरान मुठभेड़ स्थल पर कानून और व्यवस्था अथवा पथराव की कोई बड़ी घटना नहीं हुई है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह के समक्ष दी गई एक प्रस्तुति में जानकारी दी गई कि इस वर्ष 13 फरवरी तक 24 उग्रवादियों को निष्प्रभावी किया गया जिसमें 20 मारे गए और 4 गिरफ्तार कर लिए गए। यह श्रीनगर और अन्य इलाकों में ग्रेनेड हमले में शामिल आतंक फैलाने वाले 12 लोगों की गिरफ्तारी के अलावा है। साथ ही 43 जमीनी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया, जो विभिन्न आतंकी संगठनों के विभिन्न कैडरों को हर प्रकार की सहायता / लॉजिस्टिक सहायता प्रदान कर रहे थे।
वर्ष 2020 में निष्प्रभावी किए गए 24 उग्रवादियों में से, डीजीपी की रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि 10 उग्रवादियों का संबंध जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से था जबकि जम्मू स्थित बाण टोल प्लाजा पर घुसपैठ करने वाले 3 उग्रवादियों को निष्प्रभावी किया गया। इनमें 11 हिजबुल मुजाहिद्दीन संगठन के थे।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने सुरक्षाबलों के कार्यों और जम्मू और कश्मीर पुलिस (जेकेपी) और अर्धसैनिक बलों के बीच समन्वय की सराहना की, जो संघ शासित प्रदेश में राज्यपाल शासन लागू होने और उसके गठन के बाद संसक्त और प्रभावी हो गया है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि पिछले डेढ़ महीने में कानून और व्यवस्था की कोई बड़ी समस्या उत्पन्न नहीं हुई है।
डीजीपी दिलबाग सिंह ने डॉ. जितेन्द्र सिंह को बताया कि तकनीकी और मानवीय तंत्र को और मजबूत बनाया गया है। इसके परिणामस्वरूप दक्षिण कश्मीर से 7 युवकों का अपने परिवार में वापस आना संभव हुआ और उन्हें उग्रवादियों के गुट में शामिल होने से रोका जा सका है।