नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात 2.0’ की 9 वीं कड़ी को संबोधित करते हुए बिहार की एक छोटी प्रेरणादायी कहानी का उल्लेख किया जो देश-भर के लोगों को प्रेरणा से भर देने वाली है। ये वो इलाका है जो दशकों से बाढ़ की त्रासदी से जूझता रहा है। ऐसे में, यहाँ, खेती और आय के अन्य संसाधनों को जुटाना बहुत मुश्किल रहा है। मगर इन्हीं परिस्थितियों में पूर्णिया की कुछ महिलाओं ने एक अलग रास्ता चुना I साथियों, पहले इस इलाके की महिलाएं, शहतूत या मलबरी के पेड़ पर रेशम के कीड़ों से कोकून तैयार करती थीं जिसका उन्हें बहुत मामूली दाम मिलता था। जबकि उसे खरीदने वाले लोग, इन्हीं कोकून से रेशम का धागा बना कर मोटा मुनाफा कमाते थे। लेकिन, आज पूर्णिया की महिलाओं ने एक नई शुरुआत की और पूरी तस्वीर ही बदल कर के रख दी I इन महिलाओं ने सरकार के सहयोग से, सहयोग से उत्पादन सहकारी संघों का निर्माण किया, रेशम के धागे तैयार किये और फिर उन धागों से खुद ही साड़ियाँ बनवाना भी शुरू कर दिया और अब बड़ी धनराशि अर्जित कर रही हैं।
उन्होंने बारह साल की लड़की काम्या कार्तिकेयन की उपलब्धि की प्रेरणादायी कहानी भी साझा की जिसने सिर्फ बारह साल की उम्र में ही माउंट एकोनकागुआ को फ़तह करने का कारनामा कर दिखाया है ये, दक्षिण अमेरिका में एंडेस पर्वत की सबसे ऊँची चोटी है, जो लगभग 7000 मीटर ऊँची है। उन्होंने कहा कि ‘अब वह ‘मिशन साहस’ नामक एक नए मिशन पर है जिसके तहत वो सभी महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों को फ़तह करने में जुटी है।’ उन्होंने सभी को फिट रहने के प्रति प्रोत्साहन देने में सकारात्मक परिणाम लाने के उसके प्रयासों की सराहना की और ‘मिशन साहस’ के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। इसका उल्लेख करते हुए कि किस प्रकार भारत का भूगोल हमारे देश में एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए कई अवसर उपलब्ध कराता है, प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे अपनी पसंद की जगह पर जाएं, अपनी रूचि की गतिविधि चुनें और अपने जीवन को एडवेंचर के साथ जरूर जोड़ें।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने 105 वर्ष की भागीरथी अम्मा की सफलता की कहानी भी सुनाई जो केरल के कोल्लम में रहती है। बहुत बचपन में ही उन्होंने अपनी माँ को खो दिया और छोटी उम्र में शादी के बाद पति को भी खो दिया। लेकिन, भागीरथी अम्मा ने अपना हौसला नहीं खोया, अपना ज़ज्बा नहीं खोया। इतनी उम्र होने के बावजूद भागीरथी अम्मा ने लेवल-4 की परीक्षा दी और बड़ी बेसब्री से परीक्षा परिणाम का इंतजार करने लगी। उन्होंने परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। अम्मा अब और आगे पढ़ना चाहती हैं। ज़ाहिर है, भागीरथी अम्मा जैसे लोग इस देश की ताकत हैं। प्रेरणा की एक बहुत बड़ी स्रोत हैं।
उन्होंने सलमान का उदाहरण दिया जो मुरादाबाद के हमीरपुर गाँव में रहता है और जन्म से ही दिव्यांग हैं। इस कठिनाई के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और खुद ही अपना काम शुरू करने का फैसला किया। साथ ही, ये भी निश्चय किया कि, अब वो अपने जैसे दिव्यांग साथियों की मदद भी करेंगे। फिर क्या था, सलमान ने अपने ही गाँव में चप्पल और डिटरजेंट बनाने का काम शुरू कर दिया। देखते-ही-देखते, उनके साथ 30 दिव्यांग साथी जुड़ गए।
उन्होंने गुजरात के कच्छ इलाके के अजरक गाँव के लोगों द्वारा दिखाई गई ऐसे ही संकल्प की कहानी का भी उल्लेख किया। साल 2001 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद सभी लोग गाँव छोड़ रहे थे, तभी, इस्माइल खत्री नाम के शख्स ने गाँव में ही रहकर, ‘अजरक प्रिंट’ की अपनी पारंपरिक कला को सहेजने का फैसला लिया। फिर क्या था, देखते-ही-देखते प्रकृति के रंगों से बनी ‘अजरक कला’ हर किसी को लुभाने लगी और ये पूरा गाँव, हस्तशिल्प की अपनी पारंपरिक विधा से जुड़ गया।
प्रधानमंत्री ने हाल ही में देशभर में मनाए गए महा-शिवरात्रि के पर्व के लिए राष्ट्र को शुभकामनाएं अर्पित कीं। उन्होंने कहा ‘महा-शिवरात्रि पर भोले बाबा का आशीर्वाद आप पर बना रहे… आपकी हर मनोकामना शिवजी पूरी करें… आप ऊर्जावान रहें, स्वस्थ रहें … और देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते रहें।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आने वाले दिनों में होली का भी त्योहार है और इसके तुरंत बाद गुड़ी-पड़वा भी आने वाला है। नवरात्रि का पर्व भी इसके साथ जुड़ा होता है। राम-नवमी का पर्व भी मनाया जाएगा। पर्व और त्योहार, हमारे देश में सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। हर त्योहार के पीछे कोई-न-कोई ऐसा सामाजिक संदेश छुपा होता है जो समाज को ही नहीं, पूरे देश को एकता में बाँधकर रखता है।’