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श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने पूसा कृषि विज्ञान मेला-2020 का उद्घाटन किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कृषि क्षेत्र में प्रतिभा के अवधारण का आह्वान किया है। पूसा कृषि विज्ञान मेला-2020 का आज नई दिल्ली में उद्घाटन करते हुए, श्री तोमर ने कहा कि भारत में प्रत्येक वर्ष विश्वविद्यालयों से बड़ी संख्या में कृषि वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ तैयार होकर निकलते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार धन, सब्सिडी एवं प्रोत्साहन राशि दे सकती है, किन्तु खेती में रूचि होना आवश्यक है। इसके लिए कृषि क्षेत्र को एक लाभदायक उपक्रम बनाना होगा, इसे राष्ट्र की जरूरतों को पूरा करना होगा, सकल घरेलू उत्पाद एवं निर्यात में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी होगी।

      श्री तोमर ने कहा, “आपके करियर का उद्देश्य आरामदायक नौकरी पाने अथवा केवल शिक्षा एवं अनुसंधान में लगे रहने के साथ समाप्त नहीं हो जाता, बल्कि आप को अपने इलाके का एक सफल किसान बनना चाहिए। प्रत्येक वर्ष सेवानिवृत्त होने वाले कृषि विशेषज्ञों को भी खेती में शामिल रहकर दूसरों को प्रेरित करना चाहिए। आप के भीतर किसान जिंदा रहना चाहिए। खाली समय में आप अपने किचन गार्डन में खेती में लग सकते हैं। इससे आप एक पेशे के रूप में कृषि से जुड़ा हुआ रह पाएंगे।” .

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श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता दी है और 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में, सरकार ने किसानों के लिए लागत मूल्य का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित किया है तथा पीएम किसान योजना के तहत किसानों के लिए प्रतिवर्ष 6,000 रूपये का आश्वासन दिया है और किसान क्रेडिट कार्ड के तहत 1,60,000 रूपये के ऋण का प्रावधान किया है। प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए लाभों के वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित की है तथा अब इसमें मध्यस्थों एवं दलालों की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कृषि क्षेत्र के लिए धन तथा बजटीय सहायता की कोई कमी नहीं होगी।

      श्री तोमर ने कहा कि सहकारी कृषि को बढ़ावा देने के क्रम में, प्रधानमंत्री ने कल 10,000 नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के पंजीकरण की शुरूआत की। फसल की बुवाई, कटाई से लेकर वितरण एवं विपणन से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों के लिए प्रत्येक एफपीओ को कुल 15 लाख रूपये देने के लिए 6,600 करोड़ रूपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए नाबार्ड एवं एनसीडीसी द्वारा संयुक्त रूप से 1,500 करोड़ रूपये की ऋण गारंटी निधि तैयार की गयी है।

            श्री तोमर ने कहा कि हमारे कृषक समुदाय के सामने भौगोलिक अंतर तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौती है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय प्रत्येक 8 आंचलिक क्षेत्रों में एक वृहद सम्मेलन आयोजित करने की प्रक्रिया चला रहा है। उन्होंने कहा कि पूसा कृषि विज्ञान मेले की तर्ज पर क्षेत्रीय प्रदर्शनियां भी आयोजित होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि कृषि पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में कीटनाशकों के बारे में अध्ययन को शामिल किया जाना चाहिए।

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       इस अवसर पर, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री पुरूषोतम रूपाला ने प्रत्येक राज्य में किसानों के ऐसे मेलों के आयोजन का आह्वान किया। उन्होंने कृषि संस्थानों एवं वैज्ञानिकों से यह सुनिश्चित करने की मांग करते हुए कहा है कि किसानों को किफायती दरों पर उच्च गुणवत्ता वाले बीच उपलब्ध कराना चाहिए।

      कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि सरकार एवं कृषि संस्थान कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं और उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि एक दिन ऐसा आएगा जब किसान कर्जदार रहने के बदले ऋणदाता बनेंगे।

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      अपने संबोधन में, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव एवं आईसीएआर के महानिदेशक श्री त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि किसान कृषि विज्ञान मेले में बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित उच्च गुणवत्ता वाले बीज खरीदते हैं।

      इस अवसर पर, श्री तोमर एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रकाशनों का विमोचन किया।

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      एक अलग कार्यक्रम में, तीन मंत्रियों की उपस्थिति में, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं पंतजलि बायो रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीबीआरआई), हरिद्वार के बीच एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गये। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से डॉ. त्रिलोचन महापात्र एवं पीबीआरआई की ओर से पतंजलि के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं पीबीआरआई के प्रबंध निदेशक श्री आचार्य बालकृष्ण ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर, श्री तोमर ने कहा कि इस सहमति पत्र से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अनुसंधान एवं विकास संबंधी विशेज्ञता के कारण जैविक कृषि को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ पतंजलि द्वारा अनेक उत्पादों के संदर्भ  में  स्वदेशीकरण के प्रयासों को भी बढ़ावा मिलेगा।

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