प्रमुख सचिव, गृह श्री देबाशीष पण्डा नें उक्त जानकारी देते हुए बताया कि इस संबंध में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियाें, पुलिस अधीक्षकों, पुलिस महानिरीक्षकों, पुलिस उपमहानिरीक्षकों एवं मण्डलायुक्तों को शासन द्वारा भेजे गये निर्देशों में मानव तस्करी एवं मिसिंग चिल्ड्रेन के बारे में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश भी दिये गये है। शासन द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों की प्रति भी पत्र में उल्लिखित की गयी है। उच्चतम न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 18 साल की उम्र के नीचे जब भी कोई बच्चा खोने की शिकायत पुलिस के संज्ञान में आएगी, उस बच्चे को मिसिंग माना जाएगा।
निर्देशों में कहा गया है कि जहॉं भी कोई बच्चा मिसिंग है और कोई भी एफ0आई0आर0 दर्ज नहीं की गई है, तत्काल प्रभाव से आई0पी0सी0 की सुसंगत धाराओ के तहत पुलिस अधिकारी द्वारा एफ0आई0आर0 दर्ज करने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। ऐसे बच्चों को मानव तस्करी का शिकार माना जाएगा तथा पूरे समर्पण के साथ पुलिस द्वारा उन्हें ढॅूंढे जाने का प्रयास किया जाएगा। मानव तस्करी से पीड़ित बच्चों के बारे में पुलिस द्वारा लापरवाही करना दण्डनीय होगा।
शासन द्वारा यह भी निर्देश दिये गये है कि जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक प्रतिमाह होने वाली मासिक क्राइम बैठक में मिसिंग चिल्ड्रेन एवं मानव तस्करी के प्रकरणों पर गहराई से समीक्षा करेंगे तथा उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुरूप सभी प्रकरणों में कार्यवाही सुनिश्चित करायेेंगे।
डिवीजनल कमिश्नर, महानिरीक्षक व उप महानिरीक्षक स्तर पर भी मानव तस्करी से संबंधित प्रकरणों पर उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार अनुपालन सुनिश्चित कराने हेतु प्रतिमाह समीक्षा किये जाने के निर्देश दिये गये है। प्रत्येक जोनल पुलिस महानिरीक्षक से अपने जोन से संबंधित सभी मानव तस्करी में दर्ज प्रकरणों की अद्यावधिक स्थिति की रिपोर्ट महानिदेशक, महिला सम्मान प्रकोष्ठ एवं गृह पुलिस अनुभाग-15 को प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में भेजने की भी अपेक्षा की गई है।