नई दिल्ली: कोविड-19 के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व संकट के बाद, जहाजरानी मंत्रालय जहाजों एवं बंदरगाहों का सुगम परिचालन सुनिश्चित करने, संबंधित परेशानियों को कम करने और इसके साथ-साथ लॉकडाउन के दौरान लगाई गई निम्नलिखित पाबंदियों का अनुपालन करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है।
प्रमुख बंदरगाहों पर संचालित ट्रैफिक
अप्रैल से मार्च 2020 तक प्रमुख बंदरगाहों पर संचालित कुल ट्रैफिक 704.63 मिलियन टन था जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान यह 699.10 मिलियन टन था। यह संचालित ट्रैफिक में 0.82 प्रतिशत की कुल वृद्धि प्रदर्शित करता है।
अप्रैल से मार्च 2020 के दौरान, कंटेनर टनेज और टीईयूएस क्रमशः 146934 और 9988 हजार थे जबकि अप्रैल से मार्च 2019 के दौरान यह क्रमशः 145451 और 9877 हजार थे। कंटेनर टनेज में 1.02 प्रतिशत और कंटेनर टीईयूएस में 1.12 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
मार्च 2020 में, कुल ट्रैफिक 61120 टन था जोकि फरवरी 2020 के 57233 टन से अधिक है लेकिन मार्च 2019 (64510 टन) की तुलना में 5.25 प्रतिशत कम है।
संचालित पोतों की संख्या
2019-20 के दौरान बंदरगाहों द्वारा संचालित पोतों की संख्या लगभग 20837 थी जबकि 2018-19 के दौरान संचालित पोतों की संख्या 20853 थी। पिछले वर्ष की तुलना पोत ट्रैफिक में 0.08 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई।
कोविड-19 से निपटने के लिए किए गए उपाय
1. थर्मल स्कैनिंग
भारतीय बंदरगाहों पर थर्मल स्कैनरों का उपयोग करते हुए 27/01/2020 से 04/04/2020 के दौरान कुल 46,202 यात्रियों को स्कैन किया गया है। इनमें से, 39,225 यात्रियों को प्रमुख बंदरगाहों पर स्कैन किया गया।
2. दंड शुल्क की माफी
जहाजरानी मंत्रालय ने दिनांक 31 मार्च, 2020 की आदेश संख्या पीडी-14300/4/2020-पीडी VII द्वारा प्रमुख बंदरगाहों के लिए निर्देश जारी किए:
क. प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह यह सुनिश्चित करे कि 22 मार्च से 14 अप्रैल 2020 तक लॉकडाउन की वजह से उत्पन्न कारणों द्वारा बर्थिंग या लोडिंग/अनलोडिंग परिचालनों या कार्गो की निकासी में किसी विलंब के लिए बंदरगाह उपयोगकर्ताओं (व्यापारियों, शिपिंग लाइंस, छूटग्राहियों, लाइसेंसियों आदि) से कोई भी आर्थिक दंड, विलंब शुल्क, प्रभार, फीस, प्रमुख बंदरगाहों द्वारा लगाए गए रेंटल न लिए जाएं।
ख. इसलिए प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह निःशुल्क अवधि के अतिरिक्त विलंब शुल्क, ग्राउंड रेट, दंडात्मक एंकरेज/बर्थ हायर चार्जेज एवं अन्य निष्पादनों पर न्यूनतम निष्पादन गारंटी, जहां कहीं भी यह लागू हो, सहित बंदरगाह संबंधित गतिविधियों पर आर्थिक दंड लगाए जा सकते हैं, को छूट या माफी देगें।
3. प्राकृतिक आपदा
जहाजरानी मंत्रालय ने दिनांक 31 मार्च, 2020 की आदेश संख्या पीडी-14300/4/2020-पीडी VII द्वारा प्रमुख बंदरगाहों के लिए निर्देश जारी किए:
क. पीपीपी मोड या अन्यथा में कार्यान्वयन के तहत किसी परियोजना की पूर्णता की अवधि को बंदरगाहों द्वारा विस्तारित किया जा सकता है।
ख. वर्तमान में विद्यमान एवं परिचालनगत पीपीपी परियोजनाओं के लिए, प्रमुख बंदरगाह रियायत समझौते के संगत प्रावधानों के तहत कुछ विशिष्ट निष्पादन बाध्यताओं के आस्थगन के साथ-साथ मामला दर मामला के आधार पर सभी आर्थिक दंड परिणामों की छूट की अनुमति दे सकते हैं।
प्राकृतिक आपदा की अवधि उपरोक्त उल्लिखित वित्त मंत्रालय के आदेश की तिथि से आरंभ होती है तथा जब सक्षम प्राधिकारी आदेश देंगे, तब समाप्त होगी।
4. अस्पतालों को तैयार करना
सभी प्रमुख बंदरगाह ट्रस्टों के अस्पतालों को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) की आपूर्ति की गई है और हर समय पर्याप्त स्टाफ की व्यवस्था की गई है। कुछ बंदरगाहों के अस्पतालों में, अस्पताल के एक हिस्से को अलग प्रविष्टि एवं निकास के साथ कोविड’19 के लिए निर्दिष्ट कर दिया गया है।
5. सीएसआर निधि पीएम केयर्स फंड को हस्तांतरित
जहाजरानी मंत्रालय के तहत बंदरगाहों एवं पीएसयू ने पीएम केयर्स फंड को सीएसआर निधि से 52 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया है।
6. कर्मचारियों ने अपने वेतन से योगदान दिया
बंदरगाहों एवं पीएसयू एवं जहाजरानी मंत्रालय के अन्य कार्यालयों के कर्मचारियों ने अपने वेतन से 7 करोड़ रुपये से अधिक योगदान पीएम केयर्स फंड को दिया है।
7. डीजी शिपिंग द्वारा उठाए गए कदम
डीजी शिपिंग ने दिनांक 16/03/2020 की आदेश संख्या 2020 के 02, 20/03/2020 की आदेश संख्या 2020 के 03 एवं 20/03/2020 की आदेश संख्या 2020 के 04 द्वारा नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) से निपटने के लिए निर्देश जारी किए। निदेशालय ने कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में सहायता करने हेतु जहाजहरानी मंत्रालय के लिए एक दिशा-निर्देश दस्तावेज तैयार किया। इस दस्तावेज में बंदरगाह प्रवेश प्रतिबंधों को प्रबंधित करने, नाविकों के लिए कोविड-19 के खिलाफ व्यवहारिक सुरक्षात्मक उपायों, प्री-बोर्डिंग स्क्रीनिंग एवं शिक्षा तथा संक्रमण के संदिग्ध मामलों में क्या करें, जहाजों पर नाविकों के लिए स्वच्छता उपायों, उच्च जोखिम एक्सपोजर, केस हैंडलिंग, आइसोलेशन एवं क्लीनिंग, डिइंफेक्शन और अपशिष्ट प्रबंधन आदि को प्रबंधित करने पर सुझाव संकलित हैं। भारतीय जहाजरानी कंपनियों, आरपीएस सेवा प्रदाताओं, एमटीआई, नाविकों सहित सभी हितधारकों को सख्ती से दिशा-निर्देशों का अनुपालन करने का निर्देश दिया गया। डीजी शिपिंग ने अनिवार्य क्वारंटाइन के साथ देशों की सूची तथा भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा यात्रा प्रतिबंध अपडेट करते हुए दिनांक 21/03/2020 के डीजीएस आदेश संख्या 2020 के 04 का अनुशेष संख्या 1 जारी किया।
क. अधित्याग
यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक्जिम व्यापार लॉकडाउन के कारण कार्गों की लोडिंग एवं डिस्चार्ज में कुछ अपरिहार्य देरी के कारण प्रभावित न हो:
1. डीजीएस आदेश संख्या 7 द्वारा शिपिंग लाइंस को सुझाव दिया गया है कि किसी तय अनुबंधात्मक शर्तों के एक हिस्से के रूप में वर्तमान में सहमत एवं उठाए जा रहे लाभ की मुक्त समय व्यवस्था के अतिरिक्त, 22 मार्च, 2020 से 14 अप्रैल, 2020 की अवधि के लिए कंटेनराइज्ड कार्गो के निर्यात एवं आयात शिपमेंट पर कोई कंटेनर रुकाई प्रभार न लगाया जाए। इस अवधि के दौरान, शिपिंग लाइंस को कोई नया या अतिरिक्त प्रभार न लगाने का भी सुझाव दिया गया है।
2. भारतीय एक्जिम व्यापार को राहत प्रदान करने के लिए डीजीएस आदेश संख्या 8 द्वारा जहाजरानी कंपनियों एवं कैरियरों को 22 मार्च, 2020 से लॉकडाउन उपायों से संबंधित कारणों की वजह से कार्गों की निकासी में विलंब के कारण 22 मार्च, 2020 से 14 अप्रैल, 2020 की अवधि (दोनों दिन शामिल) के लिए निःशुल्क अवधि से आगे कोई विलंब शुल्क, ग्राउंड रेट, अतिरिक्त एंकरेज शुल्क, बर्थ हायर प्रभार, या गैर कंटेनराइज्ड कार्गो (अर्थात बल्क, ब्रेक बल्क या लिक्विड कार्गो) के कार्गो मालिकों/कंसाइनी पर पोत विलंब शुल्क या कोई अन्य आर्थिक दंड न लगाने का सुझाव दिया गया है।
ख. शिपिंग लाइंस
डीजी शिपिंग ने दिनांक 29/03/2020 की आदेश संख्या 2020 के 07 द्वारा भारतीय बंदरगाहों एवं शिपिंग लाइंस को 22 मार्च, 2020 से 14 अप्रैल, 2020 तक आयात एवं निर्यात शिपमेंट पर कोई भी कंटेनर रुकाई प्रभार न लगाने से संबंधित परामर्शदात्री जारी किया। इस अवधि के दौरान शिपिंग लाइंस को कोई नया या अतिरिक्त प्रभार न लगाने का भी सुझाव दिया गया।
जहाजरानी कंपनियों को दी गई राहत
1. चूंकि सभी डीजी अनुमोदित प्रशिक्षण संस्थान बंद हो गए हैं और जहाजों के नाविक अपने अनुबंध की पूर्णता पर विदा नहीं ले पाए हैं, जहाजों के नाविकों या जिन्हें क्रू पर विस्थापन के लिए आरक्षित रखा गया है, के कंपटेंसी प्रमाणपत्र (सीओसी), प्रोफिसिएंसी प्रमाणपत्र (सीओपी) या दक्षता प्रमाणपत्र (सीओई) समाप्त हो गए हैं या समाप्त होने के कगार पर हैं। इन प्रमाणपत्रों की वैधता को बनाये रखने के लिए, डीजीएस ने खुद सभी प्रमाणपत्रों की वैधता 6 महीने विस्तारित कर इन्हें 31 अक्तूबर, 2020 तक के लिए बढ़ा दिया है। अंतरराष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन को तदनुरुप सूचित कर दिया गया है।
2. इसी प्रकार, भारतीय जहाजों के सुरक्षा प्रमाणपत्रों की वैधता समाप्त हो रही है। वर्तमान समय में, जहाजों की वांछनीय सुरक्षा जांच करने में जहाज सर्वेयरों की कठिनाइयों को देखते हुए जहाज प्रमाणपत्रों की वैधता 31 जून, 2020 तक विस्तारित कर दी गई है, जोकि मास्टर आफ द शिप के प्रमाणन के अध्यधीन है कि जहाज परिचालन के लिए सुरक्षित है।
3. कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए, डीजीएस ने सभी जहाजों के सैनिटाइजेशन, पोत के शिप स्टाफ एवं पायलटों के लिए पीपीई की आवश्यकता, सभी प्रमुख तथा गौण भारतीय पर कार्गो के लदान और उतराई के लिए जहाज तथा बंदरगाह स्टाफ के लिए सैनिटाइजेशन और पीपीई की आवश्यकता, बोर्ड पर बीमार क्रू एवं शवों के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल, आपातकालीन स्थितियों आदि में क्रू के साइन-आन एवं साइन-आफ के लिए प्रोटोकाल के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। डीजीएस के संशोधित प्रोटोकॉल का उपयोग कई दूसरे देश भी कर रहे हैं।
4. उपरोक्त प्रोटोकॉलों की चर्चा डीजीएस आदेश 2020 के 1 से लेकर 2020 के आदेश 9 एवं परिशिष्टों में की गई है। निदेशालय नियमित रूप से भारतीय जहाजों एवं भारतीय समुद्री क्षेत्र के जहाजों कामकाज पर नजर रखता है।
5. सामुद्रिक प्रशासन के सक्रिय दृष्टिकोण के कारण, सभी भारतीय जहाजों को वैध प्रमाणपत्रों के साथ कार्यशील स्थिति में रखा गया है, वे पर्याप्त रूप से मानवयुक्त हैं तथा मालों की ढुलाई कर रहे हैं।