नई दिल्ली: देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान सार्वजनिक वितरण के लिए विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न आपूर्ति श्रृंखला व्यवस्था को चलाना एक ऐसी चुनौती है जिसे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने परीक्षा की इस घड़ी में अपने हाथों में ली। एफसीआई का पूरा कार्यबल पिछले 22 दिनों से इस कार्य में लगा हुआ है और इसने संचालन के हरेक पहलू में परिणाम दिए हैं। एफसीआई प्रति दिन 1.7 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) के औसत पर लॉकडाउन अवधि के दौरान अतिरिक्त राज्यों से 1,335 मालगाडि़यों का उपयोग करते हुए रिकॉर्ड 37.4 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न स्टॉक के परिवहन में सफल रही। यह लगभग 0.8 एलएमटी प्रति दिन के सामान्य औसत परिवहन के मुकाबले दोगुना से अधिक है। इसी अवधि के दौरान लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत लाभार्थियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए 33.4 लाख मीट्रिक टन स्टॉक को उपभोग करने वाले राज्यों में उतारा गया।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत 25.6 लाख मीट्रिक टन माात्रा में स्टॉक पहले ही जारी किया जा चुका है। पीएमजीकेएवाई के तहत एनएफएसए के दायरे में आने वाले प्रत्येक लाभार्थी को 5 किलोग्राम खाद्यान्न 3 महीने के लिए मुफ्त प्रदान किया जा रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) योजनाओं और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए खाद्यान्न के नियमित आवंटन के तहत देश भर में लॉकडाउन अवधि के दौरान 39.8 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न जारी किए गए हैं। कुल मिलाकर लॉकडाउन के 22 दिनों के दौरान भारत सरकार की एनएफएसए एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में आने वाले लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कुल 65.4 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का स्टॉक जारी किया गया जो औसतन 3.27 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) प्रति दिन है। इसके साथ ही एनएफएसए के तहत आने वाले सभी लाभार्थियों को पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए देश के प्रत्येक राज्य सरकार को पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध कराया गया है।
एनएफएसए के दायरे के बाहर के व्यक्तियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकारों को उनके द्वारा जारी कार्डधारकों के लिए 21 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं और 22 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर चावल जैसे खाद्यान्न उठाने का विकल्प दिया गया है। इसके अलावा, राज्यों को 22.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल की खरीद सीधे एफसीआई से करने का विकल्प दिया गया है। किसी भी अतिरिक्त आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने की जरूरत नहीं होगी। खुले बाजार में कीमतों को नियंत्रण में रखने और गेहूं आटे की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को आटा मिलों के लिए खुले बाजार के भाव पर सीधे एफसीआई से गेहूं खरीदने के लिए अधिकृत किया गया है। यह प्रणाली विकेंद्रीकृत तरीके से जिलाधिकारियों के माध्यम से संचालित की जा रही है। उपरोक्त पहल नियमित खुले बाजार की बिक्री योजना के अतिरिक्त हैं जिसके माध्यम से गेहूं और चावल की बिक्री के लिए साप्ताहिक नीलामी आयोजित की जाती हैं। 24 मार्च 2020 से अब तक उपरोक्त सभी योजनाओं के माध्यम से 3.74 लाख एमटी गेहूं और 3.35 लाख एमटी चावल पहले ही बाजार में उतार दिए गए हैं।
इन कठिन समय में गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने में गैर-सरकारी संगठनों और अन्य कल्याणकारी संगठनों द्वारा किए जा रहे उल्लेखीय कार्यों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 21 रुपये प्रति किलोग्राम दर पर गेहूं और 22 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर चावल प्रदान करने की योजना बनाई है। वे इस दर पर देश में कहीं भी एफसीआई के किसी भी डिपो से खाद्यान्न ले सकेंगे और इसके लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं होगी। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में कई संगठन इस योजना का उपयोग पहले ही शुरू चुके हैं। उम्मीद की जाती है कि इससे एनजीओ और कल्याणकारी संगठनों को विस्तारित लॉक डाउन अवधि के दौरान कमजोर तबकों के लिए राहत शिविर चलाने के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति को बनाए रखने में काफी मिलेगी।
एफसीआई ने भारतीय रेलवे, सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) जैसी केंद्र सरकार की अन्य एजेंसियों, स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (एसडब्ल्यूसी) और एफसीआई के कर्मचारियों एवं श्रमिकों के पूर्ण सहयोग से इस कठिन घड़ी में देश भर में खाद्यान्न की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित की है।