लखनऊ: प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने योजना भवन में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लॉक डाउन की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए शिक्षण कार्य, परीक्षाओं एवं मूल्यांकन आदि के संबंध मेंउच्च शिक्षा विभाग के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के कुलपति, निदेशक उच्च शिक्षा, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के साथ चर्चा की। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अवशेष शिक्षण कार्य, परीक्षाएं एवं उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन तथा छात्रों पर परीक्षाओं का दबाव न्यूनतम रखने के दृष्टिगत वृहद रूप से विचार विमर्श किया गया। डॉ शर्मा ने छात्रों पर परीक्षाओं का दबाव कम करने तथा परीक्षा एवं मूल्यांकन के संबंध में विश्वविद्यालयों को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए वैकल्पिक उपाय भी सुझाए।
उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को सुझाव दिया कि वह अपनी सुविधा के अनुसार लॉक डाउन की समाप्ति के पश्चात अधिकतम 15 दिनों में अपनी परीक्षाएं प्रारम्भ करवा लें, यदि कोई विश्वविद्यालय इससे पहले भी परीक्षा प्रारम्भ कराना चाहता है तो वह करवा सकता है। विश्वविद्यालय के कुलपति अपनी सुविधा के अनुसार परीक्षाओं को शीघ्र संपादित कराने के लिए यथा आवश्यक परीक्षा केंद्रों को बढ़ाए जाने, विषय के प्रश्न पत्रों की संख्या को कम करने, एक ही प्रश्न पत्र के 05 या 06 प्रश्नों के स्थान पर 04 प्रश्नों को हल किए जाने, प्रश्न पत्र की अवधि 03 घंटे के स्थान पर 02 घंटे किए जाने, परीक्षा को दो पालियों के स्थान पर तीन पालियों में संपन्न करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न विषयों की छूटी हुई प्रयोगात्मक परीक्षाओं को भी संपादित करा लिया जाए। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मास्क एवं सैनिटाइजर सहित कोरोना वायरस से बचाव हेतु जारी किए गए आवश्यक दिशा निर्देशों का पालन करते हुए, मूल्यांकन कार्य भी समय से करा कर जून के अंत तक या जुलाई के प्रथम सप्ताह में रिजल्ट घोषित कर दिया जाए। मूल्यांकन कार्य के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति यदि चाहे तो मूल्यांकन केंद्रों का विकेंद्रीकरण भी कर सकते हैं, विश्वविद्यालय द्वारा यह भी निर्धारित किया जा सकता है कि 01 दिन में कितनी उत्तर पुस्तिकाएं जांची जाएं। लेकिन यह व्यवस्था केवल इस वर्ष के लिए ही होगी। उन्होंने निर्देश दिया कि समय सारणी इस तरह से बनाई जाए कि फाइनल वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षाएं तथा रिजल्ट पहले घोषित किया जा सके। सत्र को नियमित रखने के लिए विश्वविद्यालयों में प्रवेश की प्रक्रिया जुलाई माह में संपादित करा ली जाए।
डॉ शर्मा ने विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य को तेजी निपटाया जाए। उन्होंने कहा कि आगामी परीक्षाओं के साथ ही साथ मूल्यांकन का कार्य भी कराया जाए, जिन विषयों एवं प्रश्न पत्रों की परीक्षाएं संपन्न हो चुकी हैं उनके उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए आरम्भ किया जाए।
प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, श्रीमती मोनिका गर्ग ने इस अवसर पर अपेक्षा की कि विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों द्वारा छात्रों की जिज्ञासाओं का समुचित उत्तर ऑनलाइन उपलब्ध कराते हुए, मानसिक दबाव को कम करने एवं विषय वस्तु को रुचिकर बनाते हुए ई-कन्टेंट अपलोड किया जाए। इसके अतिरिक्त सभी महाविद्यालयों के काउंसलर तथा मनोवैज्ञानिक सलाहकार को नामित करते हुए उनके मोबाइल नंबर छात्रों को विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध कराया जाए जिससे उनकी समस्याएं निस्तारित की जा सकंे। शिक्षण संस्थाओं द्वारा इस हेतु हेल्पलाइन भी स्थापित किया जाए।