नई दिल्ली: मौजूदा अनिश्चितता के बीच, कृषि संबंधी कार्य आशा देने वाला कार्य है, जो खाद्य सुरक्षा का आश्वासन भी प्रदान कर रहा है। पूरे भारत में कई किसान और खेतिहर मजदूर सभी विपत्तियों से लड़ने के लिए पसीना बहा रहे हैं और मेहनत कर रहे हैं। केन्द्र और राज्य सरकारों के समय पर हस्तक्षेप के साथ जोड़े गए उनके मौन प्रयासों ने सुनिश्चित कर दिया है कि कटाई संबंधी कार्यों और गर्मियों की फसलों की निरंतर बुवाई में कोई बाधा नहीं है।
हांलाकि गृह मंत्रालय ने कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में समेकित दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उसने कृषि कार्यों का सुचारू संचालन भी सुनिश्चित किया है। समय पर हस्तक्षेप और छूट के आशावादी परिणाम सामने आए हैं। किसानों को खेती संबंधी कार्य करते समय उनकी सुरक्षा और एक दूसरे से दूरी बनाए रखने (सोशल डिस्टेंसिंग) के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की जानकारी दे दी गई है। उठाए गए सक्रिय कदमों के परिणामस्वरूप, रबी की फसल की कटाई, और गर्मियों की फसलों की बुवाई के कार्यों को सुनियोजित तरीके से चलाया जा रहा है।
देश में 310 लाख हेक्टेयर भूमि में बोई गई गेहूं की कुल रबी फसल में से 63-67 प्रतिशत की कटाई पहले ही हो चुकी है। राज्यवार कटाई भी बढ़ी है और यह मध्य प्रदेश में 90-95 प्रतिशत, राजस्थान में 80-85 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 60-65 प्रतिशत, हरियाणा में 30-35 प्रतिशत और पंजाब में 10-15 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में कटाई अपने चरम पर है और अप्रैल 2020 के अंत तक इसके पूरा होने की संभावना है। पंजाब ने फसल काटने की 18000 मशीनों को लगाया है जबकि हरियाणा ने कटाई और गाहने (थ्रेशिंग) के लिए फसल काटने की 5000 मशीनें लगाई हैं।
161 लाख हेक्टेयर जमीन में बोई गई दालों में से, चना, मसूर, उड़द, मूंग और मटर की कटाई पूरी हो गई है। गन्ने की, कुल 54.29 लाख हेक्टेयर में बोई गई फसल की, महाराष्ट्र,कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पंजाब में कटाई पूरी हो गई है। तमिलनाडु, बिहार, हरियाणा और उत्तराखंड राज्यों में 92-98 प्रतिशत कटाई पूरी हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में, 75-80 प्रतिशत कटाई पूरी हो चुकी है और यह मई 2020 के मध्य तक जारी रहेगी।
आंध्रप्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल राज्यों में 28 लाख हेक्टेयर जमीन में बोया गया रबी की फसल का चावल कटाई की आरंभिक अवस्था में है क्योंकि अनाज की लदाई अभी चल रही है और कटाई का समय अलग होगा।
तिलहन फसलों के बीच, 69 लाख हेक्टेयर में बोई गई रेपसीड सरसों की फसल की राजस्थान, उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, पंजाब, असम, अरुणाचल प्रदेश और संघ शासित जम्मू और कश्मीर में कटाई हो चुकी है। 4.7 लाख हेक्टेयर में बोई गई मूंगफली की 85-90 प्रतिशत फसल की कटाई हो चुकी है।
भारत में विशेष रूप से खाद्यान्न की अतिरिक्त घरेलू आवश्यकता को पूरा करने और मवेशियों को खिलाने के लिए गर्मियों की फसलों को उगाना एक पुरानी प्रथा है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने ग्रीष्मकालीन फसलों जैसे दालों, मोटे अनाज, पोषक तत्व वाले अनाज और तिलहनों की वैज्ञानिक खेती की नई पहल की है। इसके अलावा, किसान पानी की उपलब्धता के आधार पर पूर्वी भारत और मध्य भारत के कुछ राज्यों में ग्रीष्मकालीन धान की फसलों की खेती भी करते हैं।
17 अप्रैल 2020 तक, देश में गर्मियों की बुवाई पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 36 प्रतिशत अधिक है। मौसम में हुई वर्षा पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक रही, जो गर्मियों की फसलों की बुवाई के लिए अनुकूल रही है। एक वर्ष पहले इसी अवधि की तुलना में, ग्रीष्मकालीन फसल का कुल क्षेत्र 38.64 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 52.78 लाख हेक्टेयर हो गया है। दालों, मोटे अनाजों, पोषक तत्व वाले अनाजों और तिलहनों के अंतर्गत शामिल क्षेत्र पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 14.79 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 20.05 लाख हेक्टेयर हो गया है।
पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, ओडिशा, असम, गुजरात, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल राज्यों में लगभग 33 लाख हेक्टेयर भूमि में ग्रीष्मकालीन चावल बोया गया है।
तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, पंजाब, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड और तेलंगाना राज्यों में लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि में दलहनों को बोया गया है।
पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पंजाब और बिहार राज्यों में लगभग 7.4 लाख हेक्टेयर जमीन पर तिलहनों की बुआई की गई है। पश्चिम बंगाल में जूट की बुवाई भी शुरू हो गई है और बारिश से फायदा हुआ है।
गर्मियों की फसल न केवल अतिरिक्त आय प्रदान करती है, बल्कि किसानों के लिए रबी और खरीफ के बीच रोजगार के बहुत से अवसर पैदा करती है। ग्रीष्मकालीन फसल, विशेषकर दलहन की फसलों की खेती से मिट्टी की सेहत में भी सुधार होता है। यंत्रीकृत बुवाई ने भी गर्मियों की फसलों की अत्यधिक मदद की है।
केन्द्र और राज्य सरकारों के मार्गदर्शन ने न केवल कटाई की गतिविधियाँ समय पर सुनिश्चित की हैं बल्कि किसानों की कड़ी मेहनत ने ग्रीष्मकालीन फसलों का अधिक क्षेत्र कवरेज सुनिश्चित किया है।