नई दिल्ली: भारत सरकार राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों के साथ मिलकर, एक क्रमिक, पूर्व-निर्धारित और सक्रिय दृष्टिकोण को अपनाते हुए कोविड-19 की रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन की दिशा में कई प्रकार के कदम उठा रही है। इनकी उच्चतम स्तर पर नियमित रूप से समीक्षा और निगरानी की जा रही है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने मध्य प्रदेश में कोविड-19 के प्रबंधन और स्थिति की समीक्षा के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे की उपस्थिति में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री नरोत्तम मिश्रा के अलावा केन्द्र और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।
कोविड-19 के चलते राज्य में उच्च मृत्यु दर चिंता जाहिर करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “यह दुखद है कि कुछ जिलों में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी ज्यादा है।” उन्होंने कहा, “कोविड-19 के चलते होने वाले मृत्यु के मामलों में कमी लाने के लिए उचित दखल, ज्यादा आक्रामक निगरानी और जल्द से जल्द निदान राज्य की शीर्ष प्राथमिकता रहेगी। नए मामले रोकने के लिए व्यवस्थित तरीके से सुरक्षात्मक, पूर्व निर्धारित और व्यापक कदम उठाया जाना तथा केन्द्र द्वारा तय प्रोटोकॉल का पालन वक्त की जरूरत है।”
डॉ. हर्ष वर्धन ने आह्वान किया कि राज्यों से गैर प्रभावित जिलों में खोज, निगरानी और गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई)/ इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के मामलों पर ध्यान केन्द्रित किए जाने की जरूरत है, जिससे दूसरे क्षेत्रों में मामलों के प्रसार से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हाथ धोने, सामाजिक दूरी आदि सुरक्षात्मक उपायों के बारे में जागरूकता के प्रसार के लिए वार्ड स्तर पर सामुदायिक स्वयंसेवकों की पहचान की जा सकती है और ये समाज में प्रचलित कुरीतियों को दूर करने में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय त्वरित और दीर्घकालिक उपायों के तहत स्वास्थ्य प्रणालियों को सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से राज्य सरकार को पूरा समर्थन और मार्गदर्शन उपलब्ध कराएगा।” डॉ. हर्ष वर्धन ने यह भी अनुरोध किया कि 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोग जो गैर संक्रामक बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं, राज्यों में उनका उपचार प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए।
डॉ. हर्ष वर्धन ने यह भी सलाह दी कि राज्य को सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कोविड-19 के प्रबंधन पर जोर के कारण राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी), मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य, डायलिसिस, कीमोथेरेपी, टीकाकरण, रोग प्रतिरक्षण आदि गैर कोविड-19 सेवाएं और कार्यक्रम प्रभावित नहीं हों। उन्होंने सुझाव दिया कि जोखिम रूपरेखा तैयार करने के लिए राज्य विभिन्न बीमारियों के लिए बनी स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) पर उपलब्ध डाटा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
डॉ. हर्ष वर्धन ने सार्थक और आरोग्य सेतु एप्लीकेशन दोनों के प्रभावी इस्तेमाल के लिए इंदौर प्रशासन और स्वास्थ्य अधिकारियों की सराहना की और उन्होंने अन्य जिलों से इन एप्लीकेशनों के इस्तेमाल के साथ ही उन्हें लोकप्रिय बनाने के लिए कहा।
इस बैठक में सचिव (एचएफडब्ल्यू) सुश्री प्रीति सूदन, ओएसडी (एचएफडब्ल्यू) श्री राजेश भूषण, विशेष सचिव (स्वास्थ्य) श्री संजीव कुमार, एएस और एमडी (एनएचएम) सुश्री वंदना गुरनानी, संयुक्त सचिव श्री विकास शील, संयुक्त सचिव डॉ. मनोहर अगनानी, एनसीडीसी निदेशक डॉ. एस के सिंह के साथ ही मध्य प्रदेश सरकार प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण), एम्स भोपाल के निदेशक, मध्य प्रदेश के सभी जिलों के जिलाधिकारी उपस्थित रहे।