नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने आज कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है, जिनमें पाकिस्तान भी शामिल है। उपराष्ट्रपति जम्मू-कश्मीर से दिल्ली और आगरा घूमने आई छात्राओं के एक समूह के साथ आज नई दिल्ली स्थित उपराष्ट्रपति निवास में बातचीत कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने इस भ्रमण को सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय सेना की सराहना की।
उपराष्ट्रपति ने कश्मीर के नैसर्गिक सौन्दर्य की सराहना करते हुए इस क्षेत्र के मिलनसार लोगों, उत्कृष्ट आध्यात्मिक परम्पराओं, स्वादिष्ट व्यंजनों और जीवंत संस्कृति की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे महान देश की विविधता से अवगत होने और इस विविधता में अंतर्निहित सांस्कृतिक एवं भावनात्मक एकता के ताने-बाने की सराहना करने के लिए विद्यार्थियों को पूरे देश का व्यापक भ्रमण करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रमण करने से विद्यार्थियों को देश के समक्ष मौजूद विभिन्न चुनौतियों को समझने और इन समस्याओं के समाधानों की परिकल्पना करने में भी मदद मिलेगी।
श्री नायडू ने कश्मीर की सांस्कृतिक समृद्धता और विविधता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानवतावाद और सहिष्णुता के मूल्यों पर आधारित संयोजित संस्कृति को ही सामूहिक रूप से ‘कश्मीरियत’ के रूप में जाना जाता है।
सीमा पार आतंकवाद के निरंतर जारी रहने के कारण कश्मीर में विकास पर अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना समय की मांग थी और इसकी बदौलत यह प्रदेश विकास के पथ पर बड़ी तेजी से अग्रसर होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘इस प्रदेश की संरचना में किए गए हालिया बदलावों का उद्देश्य यहां के लोगों को वे सभी लाभ प्रदान करना है, जो अन्य भारतीयों को निरंतर प्राप्त होते रहे हैं।’
आतंकवाद को मानवता का दुश्मन करार देने के साथ-साथ इसे प्रगति की राह में एक निरंतर अवरोध बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब तनाव का माहौल होता है, तो विकास पर कुछ भी ध्यान नहीं दिया जा सकता है।
सभी मोर्चों पर भारत के बड़ी तेजी से अग्रसर होने का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थियों को नई-नई चीजें सीखने के लिए उभरते अवसरों का पूर्ण उपयोग करना चाहिए और इसके साथ ही अपने प्रदेश के साथ-साथ राष्ट्र के विकास में भी बहुमूल्य योगदान करना चाहिए।
जाति, वर्ग एवं महिला-पुरुष के आधार पर भेदभाव किये जाने की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने हेतु अथक प्रयास किये जाने का आह्वान किया।
कश्मीर की साक्षरता संबंधी उत्कृष्टता की लंबी परम्परा पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विभिन्न भाषाओं को अवश्य ही संरक्षित एवं प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा में पारंगत होने की सलाह देते हुए उपराष्ट्रपति ने मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
श्री नायडू ने विद्यार्थियों से स्वच्छ भारत, फिट इंडिया व पोषण अभियान जैसे सामाजिक आंदोलनों, एकल उपयोग वाले प्लास्टिक से छुटकारा पाने, कौशल भारत तथा स्टार्टअप इंडिया जैसे कार्यक्रमों में पूरी सक्रियता के साथ भाग लेने के साथ-साथ इन्हें जन आंदोलनों का स्वरूप प्रदान करने के लिए अथक प्रयास करने का भी आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को भारत, इसके इतिहास, भूगोल एवं संस्कृति के बारे में गहन जानकारियां प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने विद्यार्थियों से नागरिकों के रूप में अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों के प्रति भी सजग रहने को कहा। उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा, ‘आपको जीवन के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने और वैज्ञानिक सोच विकसित करने के साथ-साथ उन शाश्वत मूल्यों का पालन करने के लिए भी निश्चित तौर पर अपनी ओर से अथक प्रयास करने चाहिए, जिनके लिए भारत जाना जाता है।’