नई दिल्ली: वर्तमान स्थिति, हमारी सीमाओं की रक्षा के लिए सशस्त्र बलों को मजबूत करने की आवश्यकता व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान को ध्यान में रखते हुए, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की आज हुई बैठक में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा विभिन्न प्लेटफार्मों और उपकरणों से सम्बंधित सैन्य सामग्री के अधिग्रहण को मंजूरी दी गयी। 38,900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई।
स्वदेशी डिजाइन और विकास पर केंद्रित इन स्वीकृतियों में भारतीय उद्योग से 31,130 करोड़ रुपये की सैन्य सामग्री का अधिग्रहण शामिल है। उपकरण भारत में निर्मित किये जायेंगे। निर्माण में भारतीय रक्षा उद्योग शामिल है जिन्हें कई एमएसएमई प्रमुख विक्रेताओं के रूप में सहयोग प्रदान करेंगे। इनमें से कुछ परियोजनाओं में स्वदेशी सामग्री का हिस्सा, परियोजना लागत के 80 प्रतिशत तक है। इन परियोजनाओं की बड़ी संख्या, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी उद्योग को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) के कारण संभव हुई हैं।
इनमें भारतीय सेना के लिए पिनाका गोला-बारूद, बीएमपी आयुध उन्नयन और सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो तथा भारतीय नौसेना एवं भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए लम्बी दूरी तक जमीन पर आक्रमण करने वाली क्रूज मिसाइल प्रणाली और एस्ट्रा मिसाइल शामिल हैं। इन डिजाइन व विकास प्रस्तावों की लागत 20,400 करोड़ रुपये है।
नई / अतिरिक्त मिसाइल प्रणालियों के अधिग्रहण से तीन सेनाओं की मारक क्षमता में वृद्धि होगी। पिनाका मिसाइल प्रणाली के अधिग्रहण के द्वारा पहले से शामिल सैन्यदलों व अतिरिक्त रेजिमेंट को सक्षम किया जा सकेगा तथा जमीन पर 1,000 किलोमीटर की लम्बी दूरी तक हमले करने वाली मिसाइल प्रणाली, नौसेना और वायु सेना की आक्रमण क्षमताओं को बढ़ाएगी। इसी तरह एस्ट्रा मिसाइलों को शामिल करने से नौसेना और वायु सेना की आक्रमण क्षमताओं में कई गुना वृद्धि होगी क्योंकि इस मिसाइल की मारक क्षमता हमारे विजुअल रेंज से भी अधिक है।
इसके अलावा, अपने लड़ाकू स्क्वाड्रनों को बढ़ाने से सम्बंधित भारतीय वायुसेना की जरूरत को देखते हुए, डीएसी ने मौजूदा 59 मिग-29 विमानों के उन्नयन के साथ 21 मिग-29 और 12 एसयू-30 एमकेआई विमानों की खरीद के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी। रूस से मिग – 29 की खरीद और उन्नयन के मद में 7,418 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, जबकि एसयू – 30 एमकेआई को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से खरीदा जाएगा जिनकी अनुमानित लागत 10,730 करोड़ रुपये है।