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कोविड महामारी के बाद बांस क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण घटकों में से एक होगा: डॉ. जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि कोविड महामारी के बाद बांस क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण घटकों में से एक होगा। उन्होंने बेंत और बांस प्रौद्योगिकी केंद्र (सीबीटीसी) के विभिन्न समूहों और बांस व्यापार से जुड़े लोगों के साथ एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि बांस पूर्वोत्तर क्षेत्र में आत्म-निर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाएगा और भारत तथा इस महाद्वीप में व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बनने जा रहा है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के बाद बांस न केवल उत्तर पूर्व भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ स्पष्ट आह्वान को एक नई गति भी देगा।

डॉ.जितेंद्र सिंह ने भारत और विदेशों में बांस क्षेत्र के संपूर्ण दोहन, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और इसके विपणन के लिए ‘ सृजन (क्रिएट), सहायक (क्यूरेट) और समन्वय (कोऑर्डिनेट)’ का मंत्र दिया।

डॉ.जितेंद्र सिंह नेइस क्षेत्र की अप्रत्याशित संभावनाओं और पिछले 70 वर्षों से इसके उपेक्षित होने को रेखांकित करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार में बांस क्षेत्र की संभावनाओं का उच्चतम स्तर पर दोहन करने की क्षमता और इच्छा-शक्ति है क्योंकि देश के बांस संसाधनों का 40 प्रतिशत हिस्सा पूर्वोत्तर क्षेत्र में मौजूद है। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में भारत के बांस और बेंत का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद वैश्विक व्यापार में इसका हिस्सा केवल 5 प्रतिशत है।

डॉ.जितेंद्र सिंह नेकहा कि मोदी सरकार बांस के संवर्द्धन को कितनी संवेदनशीलता के साथ महत्व देती है, वह इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि इस सरकार ने बांस की घरेलू उपज को वन अधिनियम के दायरे से बाहर करते हुए काफी पुराने वन अधिनियम में संशोधन कर दिया है ताकि बांस के माध्यम से आजीविका के अवसरों को बढ़ाया जा सके।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा पूर्वोत्तर क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। 2014 में मोदी सरकार बनने के तुरंत बाद,प्रधानमंत्री ने कहा था कि पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश के अधिक विकसित क्षेत्रों के समकक्ष लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान न केवल विकास से जुड़ी खामियों को सफलतापूर्वक पाटा गया, बल्कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को इसके सभी प्रयासों में सहयोग भी किया गया।

इस अवसर परयुवा मामलों एवं खेल और अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री श्री किरेन रिजिजू ने कहा कि उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय ने बांस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अच्छा काम किया है और अब यह सभी 8 उत्तर पूर्वी राज्यों में का काम है कि वे मिलकर इसे पूरे क्षेत्र की समृद्धि का वाहक बनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र को भी इसके लिए पूरी क्षमता के साथ काम करना चाहिए क्योंकि बांस क्षेत्र की पूरी क्षमता का एहसास नहीं किया गया है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री श्री रामेश्वर तेली ने अपने संबोधन में कहा कि बांस क्षेत्र रोजगार के विशाल अवसर मुहैया कराने के अलावा भारत में पारिस्थितिक, औषधीय, कागज और भवन निर्माण क्षेत्रों का एक मुख्य स्तंभ हो सकता है। उन्होंने कहा कि सही नीतिगत हस्तक्षेप से भारत बांस के व्यापार में एशियाई बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा कर सकता है।

      इस वेबिनार में उत्तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय में सचिव डॉ. इंद्रजीत सिंह, विशेष सचिव श्री इंदीवर पांडे, सचिव एनईसी श्री मोसेस के चलई, सीबीटीसी के प्रबंध निदेशक श्री शैलेंद्र चौधरी और विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाग लिया।

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