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दीयों की रोशनी से जगमग हुई देवभूमि, मुख्यमंत्री आवास और राजभवन में भी मनाया गया दीपोत्सव

उत्तराखंड

देहरादून: अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा श्रीराम मंदिर का आज भूमि पूजन किये जाने की खुशी में देवभूमि उत्तराखंड में भी जश्न का माहौल रहा। प्रदेश के मठ-मंदिरों में जहां दिन में पूजा अर्चना की गई वहीं शाम को दीपोत्सव मनाया गया। लोगों ने अपने घरों पर भी शाम को दीये जलाकर और आतिशबाजी कर अपनी खुशी का इजहार किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपनी पुत्री कुमारी श्रृजा के साथ मुख्यमंत्री आवास में 5100 दीये जलाकर दीपोत्सव मनाया। उधर, राजभवन में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने भी दीप प्रज्ज्वलित किए।

इस मौके पर मीडिया के साथ अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अयोध्या में किये गये भूमि पूजन को भविष्य के भारत के प्रति उनकी स्पष्ट सोच को प्रकट करता है। उन्होंने इसे सबका साथ सबका विश्वास का भी मंत्र बताया है। उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी में इस भूमि पर प्रधानमंत्री द्वारा किये गये राम मन्दिर के भूमि पूजन से यह संदेश भी गया है कि भविष्य के भारत के प्रति प्रधानमंत्री की सोच क्या है। उन्होंने कहा कि आज देश का बहुप्रतीक्षित सपना पूरा हुआ है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में दृढ़ इच्छाशक्ति वाली सरकार तथा जन समर्थन से यह सपना पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि आज देश व प्रदेश में दीपावली जैसा माहौल है, उन्होंने सबको साथ लेकर प्रदेश को आगे बढ़ाने का संकल्प भी दोहराया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि माता सीता का उत्तराखण्ड से भी सम्बंध रहा है। पौड़ी जनपद के सितोस्यू पट्टी में फलस्वाड़ी के सीतासैण के पास विदाकोटी स्थान पर माता सीता ने भू-समाधि ली थी। उसके पास ही ऋषि वाल्मीकि का उत्तराखण्ड का अकेला मन्दिर है, जो माता सीता के मन्दिर की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि यहां पर मेला भी आयोजित होता है। इस स्थान पर माता सीता का भव्य मन्दिर बनाकर उसे पहचान दिये जाने की बात भी मुख्यमंत्री ने कही।

उन्होंने कहा कि राम मन्दिर के भूमि पूजन से राम जन्मभूमि आन्दोलन के साक्षी रहे लोगों को असीम सुख की प्राप्ति हुई है तथा इस आन्दोलन में अपना जीवन उत्सर्ग करने वालों की आत्मा को निश्चित रूप से शांति मिली होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम मन्दिर के निर्माण के लिए जब 1989 में आन्दोलन चल रहा था, तब वे मेरठ में थे। भेष बदलकर उन्होंने इस आन्दोलन में भाग लिया था। उनके साथ हजारों लोगों ने इस आन्दोलन में भाग लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे परिस्थितियां सामान्य होते ही अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करेंगे।

श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन की खुशी में राजभवन में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने भी दीप प्रज्ज्वलित किये। राज्यपाल मौर्य ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का सम्पूर्ण जीवन चरित्र अनुकरणीय है। धर्म नीति, कर्तव्य परायणता, माता-पिता के प्रति सेवाभाव, भ्रातृ-बंधुत्व, एक पत्नी व्रत, प्रजा कल्याण की भावना की अगर किसी से सीख लेनी हो तो श्रीराम के जीवन से लेनी चाहिए। उनके जीवन चरित्र से प्रत्येक भारतीय को प्रेरणा लेनी चाहिए। राज्यपाल ने उन सभी लोगों को धन्यवाद भी दिया, जिनके सहयोग से श्रीराम मंदिर निर्माण प्रारम्भ हुआ है।

गंगोत्री धाम, केदारनाथ और बदीनाथ धाम में भी तीर्थ पुरोहितों ने दीये जलाकर दीपोत्सव मनाया। हरिद्वार में हर की पैड़ी पर रामभक्तों ने हजारों दीये जलाकर खुशी मनाई। पैदल रास्ते से लेकर ब्रह्मकुंड तक हर की पैड़ी दीयों के उजाले से जगमगा उठी। संतों ने भी आश्रमों में दीये जलाकर दीपोत्सव मनाया। संतों ने दीयों और फूलों से जय श्रीराम लिखकर मंदिर को रोशन किया और भगवान राम की पूजा की। देहरादून में उद्योग व्यापार मण्डल के द्वारा द्वारा विभिन्न बाजारों में दीपक जलाए गए। बाजारों से लेकर घरों तक उत्सव और त्यौहार जैसी रौनक नजर आई।

उधर, उत्तराखंड के विभिन्न शहरी और दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में भी अयोध्या में श्री राम मंदिर के भूमि पूजन की खुशी में दीपोत्सव मनाया गया। सूर्यास्त होने के बाद लोगों ने घरों में दीये जलाये और आतिशबाजी भी की। विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने इस तरह के आयोजन किये और मिष्ठान वितरण किया। मानो ऐसा लग रहा था, जैसे इस बार कार्तिक की बजाय भादों के महीने में दीपावली का पर्व मनाया जा रहा हो। लोग एक दूसरे को श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन की बधाई दे रहे थे और खुशी का इजहार कर रहे थे। हिन्दुस्थान समाचार

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