नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन को लोगों का अपना घर बताया। वह जमीनी स्तर के अन्वेषकों,
‘इन-रेजिडेंस’ लेखकों एवं कलाकारों के एक समूह को संबोधित कर रहे थे, जो ‘इन-रेजिडेंस’ कार्यक्रम के तहत दो सप्ताह के लिए राष्ट्रपति भवन में ठहरे हुए हैं।
राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि ‘इन-रेजिडेंस’ कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन को आम लोगों के लिए खोलने से संबंधित कई पहलों में से एक है। उन्होंने ‘इन-रेजिडेंस’ कार्यक्रम के भागीदारों को सम्मानित और विशिष्ट अतिथि बताया। उन्होंने कहा कि वे विशिष्ट अतिथि थे और अपनी प्रतिभा के कारण हमेशा बने रहेंगे। वे सभी एक पुनरुत्थानशील भारत के रचनात्मक मस्तिष्क थे और वे हमारी प्राचीन सभ्यता के कई और गौरवशाली अध्याय जोड़ेंगे। अगर कोई समाज प्रतिभा का सम्मान नहीं कर सकता तो उसे एक प्रगतिशील समाज के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता। बिना अन्वेषणों एवं रचनात्मकता के कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता।
राष्ट्रपति महोदय की सचिव श्रीमती ओमिता पॉल ने कहा कि राष्ट्रपति महोदय का पूरा विश्वास है कि अन्वेषण एवं रचनात्मक विचार देश की प्रगति एवं विकास के लिए अनिवार्य हैं। प्रखर मस्तिष्कों को प्रोत्साहित करने के द्वारा हम नये अन्वेषण कर सकते हैं, जो आर्थिक लाभ से भी आगे जाते हैं तथा सामाजिक कल्याण के पहलू का समर्थन करते हैं।
‘इन-रेजिडेंस’ कार्यक्रम के सभी भागीदारों ने राष्ट्रपति भवन में ठहरने के अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन में उनके प्रवास ने उन्हें उनके रचनात्मक अन्वेषणों को उच्चतर स्तर तक ले जाने के लिए प्रेरित किया है और जब वे अपने राज्यों में वापस लौटेंगे तो वे राष्ट्रपति एवं राष्ट्रपति भवन के राजदूतो के रूप में कार्य करेंगे तथा दूसरे लोगों को उनकी रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए अन्वेषण करने को प्रोत्सहित करेंगे।