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अटल इनोवेशन मिशन ने आत्मनिर्भर भारत एआरआईएसई-एएनआईसी पहल की शुरुआत की

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भारतीय एमएसएमई और स्टार्टअप्स में अनुसंधान और नवाचार को लागू करने के लिए अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीति आयोग ने आज अपने सबसे बहुप्रतीक्षित कार्यक्रमों में से एक आत्मनिर्भर भारत एआरआईएसई-अटल न्यू इंडिया चैलेंजेज की शुरुआत की।

यह कार्यक्रम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), चार मंत्रालयों- रक्षा मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय- और संबंधित उद्योगों द्वारा संचालित किया जाएगा जिससे अलग-अलग सेक्टर की समस्याओं का इनोवेटिव समाधान खोजा जा सके।

पहल के वर्चुअल लॉन्च पर बोलते हुए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘एमएसएमई देश के विकास के इंजन हैं और उनसे बहुत उम्मीदें हैं। मुझे यकीन है कि यह पहल इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक नवाचारों को पहचानने और बढ़ावा देने में मदद करेगी।’ प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के वैज्ञानिक अनुसंधान पर केंद्रित दृष्टिकोण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘विज्ञान को सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान करने में मदद करनी चाहिए और वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रयोगशालाओं से जमीन तक ले जाया जाना चाहिए।’

माननीय मंत्री से सहमति व्यक्त करते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कहा कि यह पहल उन टेक्नोप्रिन्योर को बढ़ावा देने में मदद करेगी जो भारत को आगे ले जाने की जबरदस्त क्षमता रखने के कारण सहयोग के योग्य हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की महत्वपूर्ण हस्तियों ने एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हमारे साथ सहयोग किया है।

आत्मनिर्भर भारत एआरआईएसई-एएनआईसी कार्यक्रम प्रस्तावित प्रौद्योगिकी समाधान और / या प्रोडक्ट के त्वरित विकास के लिए 50 लाख रुपये तक की धनराशि से सहायता कर योग्य अनुसंधान आधारित नवाचारों को मदद करेगा।

नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने कहा, ‘इसरो प्रौद्योगिकी का बड़ा प्रमोटर है, उसके अलावा भारतीय विभाग और बड़ी कंपनियां कभी नए स्टार्टअप को प्रोत्साहित और बढ़ावा नहीं देती हैं जिन्होंने अद्वितीय काम किया है। एआरआईएसई-एएनआईसी की सफलता के लिए सरकार को पहला खरीदार बनना चाहिए। मुझे यकीन है कि एआईएम इन चुनौतियों के साथ नई बुलंदियों को छूने में सफल होगा जिससे नए भारतीय उत्पादों का निर्माण हो सके।’

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर विजय राघवन ने कहा, ‘एक तरफ उत्पादों को आधुनिक बनाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी आवश्यक है तो उन उत्पादों को खरीदने का अवसर देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा होने की अनुमति देने के लिए समय के साथ सरकारी नीतियों में बदलाव आया है। अब इसे राज्य सरकारों के खरीद तंत्र में शामिल होने और भारत-निर्मित उत्पादों को बाजार में पहुंचने का मौका दिए जाने की आवश्यकता है। मैं वैज्ञानिक डोमेन पर एआरआईएसई को पूर्ण सहयोग का आश्वासन देता हूं।’

एआरआईएसई-एएनआईसी पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होने के नाते इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने कहा कि इसरो ने एमएसएमई क्षेत्र का व्यापक सहयोग किया है। मुझे यकीन है कि कई स्टार्टअप्स और एमएसएमई हैं जिन्हें अपने विचारों को व्यवहार्य उत्पादों में बदलने के लिए हैंडहोल्डिंग की आवश्यकता होती है और इस पहल के साथ हम इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तत्पर हैं।

एआईएम मिशन के निदेशक डॉ. आर. रामनन ने कहा कि एमएसएमई अपार संभावनाओं वाले सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक है जो निर्विवाद रूप से पीएम के आत्मनिर्भर भारत के विजन को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि एमएसएमई स्टार्टअप्स के क्षेत्र में मेक-इन-इंडिया नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिए 15 क्षेत्रों में चुनौतियों पर फोकस करने की आत्मनिर्भर भारत एआरआईएसई एक अग्रणी पहल है। इसमें उन्नत अनुसंधान और विकास के आइडियाज को बाजार के हिसाब से व्यवहार्य और सरकार द्वारा खरीदे जा सकने वाले उपयुक्त एमएसएमई उत्पादों को बनाना शामिल है।

स्लाइडलाइट्स :

·         इसरो अटल इनोवेशन मिशन से 100 अटल टिंकरिंग लैब्स को अपनाएगा।

·         अधिकारियों ने महात्मा गांधी चैलेंज पद्धति का उपयोग कर नवप्रवर्तकों को आकर्षित करने पर जोर दिया।

·         सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने अटल इनोवेशन मिशन के तहत एआरआईएसई-एएनआईसी पहल की मदद से एमएसएमई सेक्टर को विकसित करने पर जोर दिया।

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