नई दिल्लीः राज्यों के वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के राष्ट्रीय सम्मेलन की आज यहां शुरुआत हुई। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री डॉ. नजमा हेपतुल्ला ने कुछ राज्य वक्फ बोर्डों के उदासीन रवैये पर चिंता व्यक्त की। मंत्री महोदया ने कहा कि केन्द्रीय वक्फ परिषद राज्यों के वक्फ बोर्ड और देशभर के ओकाफ की प्रशासनिक गतिविधियों के लिए परामर्श और नियामक निकाय है। केन्द्रीय वक्फ परिषद का मुख्य उद्देश्य वक्फ के हितों की रक्षा करना और ओकाफ के कार्यों में पारदर्शिता लाना है। वार्षिक सम्मेलन से वक्फ प्रशासन से संबंधित पिछले वर्ष के अनुभवों को साझा करने और इसमें सुधार के लिए कार्य नीति तैयार करने के लिए मंच उपलब्ध होता है। हमारा उद्देश्य मामलों को सीधे प्रशासनिक इकाई – राज्यों के वक्फ बोर्ड के समक्ष उठाने का है, ताकि देशभर के ओकाफ की विभिन्न समस्याओं का सम्मिलित और सुधारात्मक समाधान किया जा सके।
संशोधित वक्फ अधिनियम, 1995 में अवैध अतिक्रमण, वक्फ परिसंपत्तियों का हस्तांतरण रोकने, तीन सदस्यीय वक्फ ट्रिब्यूनल के गठन आदि मामलों को सुलझाने के लिए ओकाफ के सर्वेक्षण हेतु महत्वपूर्ण प्रावधान किये गये हैं। अधिनियम में केन्द्रीय वक्फ परिषद की भूमिका को और सुदृढ़ किया गया है। इसमें परिषद को मामले के अनुसार राज्यों के वक्फ बोर्ड तथा राज्य सरकारों को निर्देश जारी करने का अधिकार दिया गया है। इसलिए सदस्य नये प्रावधानों का अध्ययन कर नई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहें। उम्मीद है कि वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधि, अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से ओकाफ की सुरक्षा, रक्षा और पुनरुद्धार सुनिश्चित करेंगे, जिसके लिए वक्फ बोर्ड बना है और ओकाफ को उसके धर्मार्थ उद्देश्य को पूरा करने दिया जाए।
मंत्री महोदया ने कहा कि केन्द्रीय वक्फ परिषद और उनके मंत्रालय ने कई बार वक्फ बोर्डों और राज्य सरकारों के साथ संगोष्ठियों और सम्मेलनों का आयोजन किया है। हालांकि राज्यों के वक्फ बोर्ड और राज्य सरकारों द्वारा वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण, वक्फ ट्रिब्यूनल का गठन, नियम और नियमन तैयार करना, समय पर राज्य वक्फ बोर्डों का पुनर्गठन और पूर्णकालिक मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति आदि जैसे अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधानों का कार्यान्वयन नहीं किया गया या उन्हें पूर्ण रूप से कार्यान्वित नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप बोर्डों में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि दो केन्द्र शासित प्रदेश-चंडीगढ़ और दादर तथा नागर हवेली को छोड़कर किसी भी राज्य में ओकाफ का सर्वेक्षण पूरा नहीं हुआ है। इस प्रकार के अनुभवों के आधार पर वक्फ अधिनियम, 1995 के प्रावधानों में संशोधन कर वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2013 बनाया गया है, जो 01 नवम्बर, 2013 से प्रभावी है। अधिनियम की धारा 5 (1ए) के अनुसार ओकाफ का सर्वेक्षण एक वर्ष के भीतर पूरा हो जाना चाहिए, लेकिन किसी भी राज्य में यह कार्य पूरा नहीं हो पाया है। मंत्री महोदया ने कहा कि उन्हें जानकारी दी गई है कि आज की तारीख तक 18 राज्यों में 31 राज्य वक्फ बोर्ड में से केवल 20 बोर्डों के लिए सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति की गई है।
इसी प्रकार अधिकतर राज्यों ने अधिनियम के अनुसार तीन सदस्यीय वक्फ ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया है। उन्होंने कहा कि जैसा कि आप सब जानते है कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और राज्य सरकारों को फैसले की तिथि यानी 15 दिसम्बर, 2015 से चार महीने के भीतर तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल गठित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि अब तक 16 राज्य वक्फ बोर्डों में से 14 वक्फ ट्रिब्यूनल गठित किये गये है। वक्फ संपत्तिखाली पड़ी है या उस पर कब्जा है, उससे उचित आय हो रही है या नहीं और क्या वह पूरी तरह से विकसित है या नहीं, यह समझने के लिए उचित सर्वेक्षण से ही वक्फ की संख्या, मूल्य और उसकी वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसी प्रकार वक्फ ट्रिब्यूनल के गठन में देरी का भी बुरा प्रभाव ओकाफ प्रशासन पर पड़ रहा है।
कुछ राज्य वक्फ बोर्ड नियमित रूप से केन्द्रीय वक्फ परिषद को अनिवार्य एक प्रतिशत का योगदान नहीं दे रहे है। यह बताना आवश्यक नहीं है कि यह अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है। इसी प्रकार ऋणी वक्फ द्वारा परिषद को कर्ज का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे राज्य बोर्डों से अपील करतीं है कि वक्फ बोर्ड अधिनियम के अंतर्गत उनके दायित्वों का अधिक गंभीरता और तत्परता से निर्वाह करें।
ओकाफ की आय बढ़ाने और उसको पट्टे पर देने के लिए भारत सरकार ने वक्फ संपत्ति पट्टा अधिनियम, 2014 तैयार किया है और उम्मीद की जाती है कि बोर्डों को इस नीति के अनुसार अपनी संपत्तियों को पट्टे पर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज वक्फ बोर्ड को यह आश्वासन देना चाहिए कि परिषद की प्रक्रियाओं पर उचित रूप से अमल किया जाएगा। मंत्री महोदया ने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार वक्फ संपत्तियों पर कब्जे की समस्या से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार जन संपत्ति (ईओयू) अधिनियम की तर्ज पर एक नया ‘वक्फ संपत्तियों पर अनाधिकृत कब्जा जमाये लोगों को हटाने संबंधी विधेयक’ लाने की प्रक्रिया में है।
उपरोक्त चुनौतियों के अलावा राज्य वक्फ बोर्डों के रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण जैसे मुद्दे भी महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव वक्फ श्री राकेश मोहन ने वक्फ निकायों में सुधार और मजबूती के लिए उठाये गये कदमों के बारे में जानकारी दी।