प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार में 14000 करोड़ रुपए की 9 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया और राज्य में ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाओं का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि इन राजमार्ग परियोजनाओं से बिहार में सड़क संपर्क बेहतर होगा। राजमार्ग परियोजनाओं में 3 बड़े ब्रिज और राजमार्गों को चार लेन तथा 6 लेन में अपग्रेड किया जाना शामिल है। उन्होंने कहा कि बिहार में अब सभी नदियों पर पुल होंगे और सभी प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन न सिर्फ बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि सरकार देश के हर एक गांव को आत्मनिर्भर भारत के अभियान से जोड़ने जा रही है और इसका शुभारंभ बिहार से हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत 6 लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर केबल से 1000 दिनों में जोड़ा जाएगा जिससे तेज इंटरनेट की सेवाएं उपलब्ध होंगी। इसमें 45,945 गांव बिहार के हैं। कुछ वर्षों पहले कल्पना से भी परे था कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या शहरों की तुलना में अधिक होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत डिजिटल लेनदेन के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में से है। अगस्त 2020 के दौरान यूपीआई के माध्यम से तीन लाख करोड़ मूल्य का लेनदेन किया गया। इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि देश के हर एक गांव को बेहतर गुणवत्ता वाले और तेज स्पीड के इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों के प्रयास के चलते डेढ़ लाख ग्राम पंचायतों और तीन लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर यानी सामान्य सेवा केन्द्रों को ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ा जा चुका है।
तेज गति के इंटरनेट की सुविधा के फायदे का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे छात्रों को अध्ययन के लिए मौजूद बेहतर डिजिटल पाठ्य सामग्री उपलब्ध होगी। इसके साथ-साथ टेलीमेडिसिन, बीजों से जुड़ी जानकारियों तक किसानों की पहुंच होगी, किसानों को राष्ट्रव्यापी बाजारों और नई तकनीकों के बारे में पता चलेगा साथ ही साथ मौसम के बारे में ताजा जानकारी मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि किसान आसानी से अपने उत्पाद न सिर्फ देश में बल्कि विश्व में बेच सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य शहरी सुविधाओं को देश के हर एक ग्रामीण क्षेत्र तक पहुंचाना है।
श्री मोदी ने कहा कि बुनियादी विकास से संबंधित योजना और इसके विकास के बारे में सबसे पहले तब प्रयास किए गए जब श्री अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री बने। जिन्होंने राजनीति के ऊपर बुनियादी ढांचा विकास को प्राथमिकता दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब प्रयास यह है कि देश में बहुस्तरीय परिवहन नेटवर्क विकसित हो और सभी आपस में जुड़े हों। बुनियादी ढांचा विकास से जुड़ी परियोजनाओं पर इस समय जितना काम हो रहा है और जिस गति से इस काम को निपटाया जा रहा है वह अतुलनीय है। आज राजमार्गों के निर्माण की गति 2014 से पहले के मुकाबले दोगुनी हो गई है। 2014 से पहले की तुलना में राजमार्ग निर्माण पर खर्च 5 गुना बढ़ा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने आगामी 4 से 5 वर्षों के भीतर बुनियादी ढांचागत विकास पर 110 लाख करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा की है। इसमें 19 लाख करोड़ रुपए राजमार्गों के विकास के लिए समर्पित हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सड़क और संपर्क को बेहतर करने के लिए बुनियादी ढांचा को विस्तार दिए जाने की इन परियोजनाओं का लाभ बिहार को भी मिल रहा है। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित किए गए पैकेज के तहत 3000 किलोमीटर राजमार्ग का निर्माण प्रस्तावित है। इसके अलावा भारतमाला परियोजना के अंतर्गत 650 किलोमीटर लंबे राजमार्ग का निर्माण कार्य जारी है। इस समय बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग का काम तेज़ी से किया जा रहा है। पूर्वी बिहार को पश्चिमी बिहार से जोड़ने के लिए चार लेन की 5 परियोजनाओं और उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने के लिए 6 परियोजनाओं पर कम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि बिहार में आवागमन में सबसे बड़ी बाधा बड़ी नदियों के चलते थी, इसीलिए बिहार के विकास के लिए प्रधानमंत्री पैकेज की घोषणा में पुलों के निर्माण को विशेष तौर पर ध्यान में रखा गया था। प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत गंगा नदी पर 17 पुलों का निर्माण किया जा रहा है जिसमें से अधिकांश पूर्ण होने के चरण में है। इसी तरह से गंडक और कोसी नदियों पर भी पुलों का निर्माण किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पटना रिंग रोड और पटना में गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु के समानांतर तथा विक्रमशिला सेतु के समानांतर पुलों के निर्माण से पटना और भागलपुर के बीच संपर्क में उल्लेखनीय सुधार होगा।
कृषि सुधारों के लिए कल संसद द्वारा पारित किए गए विधेयकों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सुधारों की अपरिहार्यता थी ताकि किसानों को विभिन्न बाधाओं से मुक्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि इन ऐतिहासिक कानूनों के चलते किसानों को अपने उत्पाद किसी को भी, कहीं भी और अपने द्वारा तय कीमतों एवं नियमों पर बेचने की छूट मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पहले की व्यवस्था में खामी थी और इसका लाभ कोई और लेता था जबकि किसान असहाय रहता था।
श्री मोदी ने कहा कि नए कृषि कानूनों के अंतर्गत किसानों के लिए वर्तमान कृषि मंडियों से अलग भी अपने उत्पाद बेचने के विकल्प मिलेंगे। इससे किसान अब अपने उत्पाद जहां अधिक लाभ मिले वहां बेच सकता है।
प्रधानमंत्री ने आलू किसानों और राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के तिलहनी फसलों के किसानों का उल्लेख करते हुए कहा इन नए कृषि नियमों से किसानों को अब 15 से 30% अधिक मुनाफा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन राज्यों में तेल उत्पादक मिलें किसानों से सीधे तिलहनी उत्पाद खरीदते हैं। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जहां खपत से अधिक दलहनी फसलों का उत्पादन हुआ किसानों को पिछले साल की तुलना में 15 से 25% अधिक कीमतें मिलीं, क्योंकि दाल मिलों ने दलहनी फसलों की खरीद सीधे किसानों से की।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि कृषि मंडियों को बंद नहीं किया जा रहा है यह मंडिया उसी तरह से काम करती रहेंगी जैसा पहले करती रही हैं। उन्होंने कहा कि यह एनडीए सरकार ही है जिसने पिछले 6 वर्षों से मंडियों के आधुनिकीकरण और कंप्यूटरीकरण पर काम कर रही है।
श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को आश्वस्त किया कि एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था भी पहले की तरह जारी रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि निहित स्वार्थ के चलते अब तक किसानों का शोषण होता रहा है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक फसल सीजन में पहले की तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार द्वारा की जाती रहेगी।
किसानों की स्थिति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में 85% किसान छोटे और सीमांत हैं जिसके चलते उनकी लागत बढ़ जाती है और कम उत्पादन के कारण यह किसान मुनाफा नहीं कमा पाते। उन्होंने कहा कि अगर किसान संगठित होंगे तो वह अपनी लागत कम कर सकते हैं और बेहतर लाभ सुनिश्चित कर सकते हैं। किसान लाभकारी संविदा खेती में सम्मिलित हो सकते हैं। कृषि कानूनों में सुधार के कारण कृषि में निवेश बढ़ेगा, किसान उन्नत तकनीकी उपयोग करेंगे, किसानों का उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में और अधिक सहजता से पहुंचेगा।
श्री नरेन्द्र मोदी ने जिक्र किया कि बिहार में कैसे 5 किसान उत्पादक संघ एक जानी मानी चावल व्यापार कंपनी के साथ समझौते में शामिल हुए। इस समझौते के तहत 4000 टन चावल की खरीद किसान उत्पादक संघ द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसी तरह डेरी और दुग्ध उत्पादक भी, नए कानून की मदद से लाभान्वित होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में भी सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस कानून के कुछ प्रावधान किसानों की स्वतंत्रता को बाधित करते थे। श्री मोदी ने कहा कि इस कानून के बंधन से दालों, तिलहनी फसलों, आलू और प्याज इत्यादि को मुक्त कर दिया गया है। अब देश के किसान आसानी से बड़े पैमाने पर अपने उत्पाद शीत गृहों में सुरक्षित रख सकते हैं। हमारे देश में जब शीत गृहों से संबंधित कानूनी बाधाओं को दूर कर दिया जाएगा तब देश में शीत गृहों का एक बड़ा ढांचा होगा जो कृषि के लिए लाभकारी होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व कृषि क्षेत्र में इस ऐतिहासिक सुधार के बारे में किसानों को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीते 5 वर्षों में भारत सरकार ने जितनी दलहनी और तिलहनी फसलों की खरीद की है वह 2014 से पहले के 5 वर्षों की तुलना में 24 गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की अवधि के बीच भी रबी सीजन में किसानों से गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की गई है।
इस साल रबी सीजन में गेहूं, मोटे अनाजों, दालों और तिलहनी खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर किसानों को 1,13,000 करोड़ रुपए दिए गए हैं। यह राशि बीते वर्ष की तुलना में 30% ज्यादा है।
कोरोना काल में सरकार ने न सिर्फ रिकॉर्ड अनाज खरीदे हैं, बल्कि किसानों को किया गया भुगतान भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। यह 21वीं सदी के भारत का दायित्व है कि देश के किसानों के लिए आधुनिक विचारों पर आधारित नई व्यवस्था-नया तंत्र विकसित करे।