लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के निरन्तर और गम्भीर प्रयास से पिछले साढ़े तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश के सम्बन्ध में धारणा में सकारात्मक बदलाव आया है। प्रदेश की कानून-व्यवस्था, विकास, शासन-प्रशासन के सम्बन्ध में अब देश और दुनिया में कोई प्रश्न नहीं खड़ा कर सकता। वर्ष 2014 के बाद 06 वर्षों में भारत के सम्बन्ध में भी विश्व में जो धारणा थी, उसमें व्यापक सकारात्मक बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति अथवा क्षेत्र के सम्बन्ध में धारणा उसके विकास को प्रभावित करता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के सम्बन्ध में यह सोच है कि यह क्षेत्र गरीब और पिछड़ा है, जबकि प्रकृति और परमात्मा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक समृद्ध क्षेत्र बनाया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर क्षेत्र में नेतृत्व करने की क्षमता है। 200 वर्ष पूर्व गन्ने की खेती के लिए मजदूर के रूप में विभिन्न देशों में ले जाए गए यहां के लोग अपनी क्षमता और सामथ्र्य से उन देशों में नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल की क्षमता और सामथ्र्य को पहचानने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद गोरखपुर में दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर, विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी ‘पूर्वांचल का सतत विकास: मुद्दे, रणनीति एवं भावी दिशा’ का शुभारम्भ करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। प्रसिद्ध वैज्ञानिक डाॅ0 जगदीश चन्द्र बसु के पौधों पर किए गए प्रयोग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उपेक्षा और दुत्कार का असर पेड़-पौधों पर भी होता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश ऐसी ही मानसिकता का शिकार हुआ है। लोग यहां की प्रतिभा का दोहन भी करते रहे हैं और इस क्षेत्र की उपेक्षा भी करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी को सबसे पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश पर थोपी गयी पिछड़ेपन की मानसिकता को हटाकर यहां के पोटेन्शियल को आगे बढ़ाना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 से पूर्व प्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्र, परिषदीय प्राथमिक विद्यालय जैसी संस्थाएं आश्रित हो गई थीं और अपने दायित्वों की उपेक्षा कर रही थीं। वर्तमान राज्य सरकार ने इन संस्थाओं, प्रशासनिक मशीनरी, जनप्रतिनिधियों को प्रेरित कर सक्रिय किया। आॅपरेशन कायाकल्प में प्राथमिक विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाएं सुलभ करायी गयीं। गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक वातावरण बनाने के लिए कदम उठाए गए। इसके परिणामस्वरूप विगत तीन वर्षों में परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या में 54 लाख की वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वांचल के विकास के लिए यहां के नौजवानों, किसानों, महिलाओं, बुद्धिजीवी जनता और संस्थाओं को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। यहां 04 आर्थिक जोन हैं। सबकी अपनी विशिष्टताएं हैं। इन विशिष्टताओं को आगे बढ़ाकर विकास के पायदान तय करने होंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में हमारी सरकार आने के बाद प्रदेश के विकास के उद्देश्य से एक मैपिंग करायी गयी। इससे पता चला कि प्रदेश के 75 जनपदों में से 57 के अपने विशिष्ट परम्परागत उत्पाद हैं। वाराणसी की साड़ी, भदोही के कालीन, अलीगढ़ का हार्डवेयर, मुरादाबाद का पीतल का काम, कन्नौज का इत्र, फिरोजाबाद का कांच का कार्य जैसे ही अन्य जनपदों के परम्परागत उत्पाद प्रसिद्ध हैं। उन्होंने कहा कि शेष 18 जनपदों की विशिष्टताओं जैसे-सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल, मुजफ्फरनगर का गुड़ आदि को चिन्हित करके एक जनपद-एक उत्पाद योजना प्रारम्भ की गयी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक जनपद-एक उत्पाद योजना वर्तमान में देश की सबसे लोकप्रिय योजना है। यह योजना प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत का आधार बन गयी है। किसी भी क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए स्थानीय उत्पाद की सबसे बड़ी भूमिका होती है। स्थानीय उत्पाद के साथ स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार व स्वतः रोजगार की सम्भावनाओं के साथ जोड़कर आर्थिक विकास के नये आयाम तय किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत प्राचीनकाल से ही स्थानीय उत्पादों की व्यवस्था से जुड़ा रहा है। हमारे गांव आत्मनिर्भर होकर ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना को साकार करते रहे हैं। प्राचीनकाल से ही भारत के गांवों में सभी प्रकार के कार्यों से जुड़े लोग रहते थे। इस व्यवस्था के कमजोर होने से हुए पलायन के कारण गरीब और पिछड़े होने का ठप्पा लगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में 09 क्लाइमेटिक जोन हैं। यह सभी जोन प्राकृतिक संसाधनों से युक्त हैं। इन संसाधनों से पूरी दुनिया की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में जल संसाधन, उपजाऊ भूमि, बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध है। प्रधानमंत्री जी ने देश का पहला वाॅटर-वे हल्दिया से उत्तर प्रदेश को जोड़ने के लिए ही बनाया है। उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक रूप से भी अत्यन्त समृद्ध है। यह भगवान श्रीराम, भगवान बुद्ध, जैन तीर्थंकर, क्रियात्मक योग के जनक गुरु गोरक्षनाथ की धरती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में सर्विस सेक्टर में सर्वाधिक सम्भावनाएं हैं। संतों और मुनियों की परम्परा और दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन प्रयागराज कुम्भ इसी क्षेत्र में आयोजित किया जाता है। वर्तमान प्रदेश सरकार ने प्रयागराज कुम्भ-2019 का दिव्य एवं भव्य आयोजन कराया। पूरी दुनिया से 24 करोड़ से अधिक श्रद्धालु इस आयोजन में सम्मिलित हुए। अपनी स्वच्छता, सुरक्षा एवं सुव्यवस्था के कारण इस आयोजन ने पूरी दुनिया में देश और प्रदेश की नयी पहचान स्थापित की। विश्व को दीपावली का उत्सव देने वाली आयोध्या में दीपोत्सव तथा वाराणसी में भव्य एवं देव दीपावली का आयोजन किया गया है। इससे पूरी दुनिया ने इनकी ओर रुख किया है। भगवान बुद्ध से जुडे़ 06 प्रमुख तीर्थ उत्तर प्रदेश में हैं। इनमें से 05 पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं। इस प्रकार पूर्वी उत्तर प्रदेश में आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं। इससे बड़ी संख्या में रोजगार भी उत्पन्न होता है। इन सम्भावनाओं को साकार करने के लिए हमारी संस्थाओं को भी आगे आना पड़ेगा। इससे यह क्षेत्र सर्वाधिक समृद्धशाली क्षेत्र होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने ‘लुक ईस्ट’ एवं ‘एक्ट ईस्ट’ की बात की है। सूर्योदय से भी पूरब से होता है। प्रदेश और केन्द्र सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए कार्य कर रही हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुन्देलखण्ड क्षेत्र में बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे, मध्य यू0पी0 में गंगा एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर में गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे का कार्य तेजी से चल रहा है। वर्ष 2017 में प्रदेश में मात्र 02 एयरपोर्ट फंक्शनल थे। वर्तमान में 08 एयरपोर्ट क्रियाशील हैं। 20 अन्य एयरपोर्ट का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जेवर, कुशीनगर, अयोध्या में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे बनाए जा रहे हैं। हर जनपद को 04 लेन मार्गों तथा हर गांव को आॅप्टिकल फाइबर से जोड़ने की कार्यवाही की जा रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गोरखपुर में एम्स, कुशीनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, गोण्डा, बस्ती, बहराइच, आजमगढ़, गाजीपुर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर आदि पूर्वांचल के जनपदों में मेडिकल काॅलेज की स्थापना करायी जा रही है। यह संस्थान प्रदेश की जनता को उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधाएं सुलभ कराने के लिए स्थापित कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के सहयोग और मार्गदर्शन से प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के संक्रमण को नियंत्रित करने में प्रभावी सफलता प्राप्त की।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह, सांसद श्री रवि किशन, श्री जय प्रकाश निषाद, महापौर श्री सीताराम जयसवाल, पूर्वांचल विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह, डाॅ0 दयाशंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव नियोजन श्री कुमार कमलेश, गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 राजेश सिंह सहित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।