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सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ ने अपना 70वां वार्षिक दिवस समारोह मनाया

देश-विदेश

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री और सीएसआईआर के उपाध्यक्षडॉ. हर्षवर्धन ने आज कहा कि “सीएसआईआर- सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) ने सस्ती दवाओं के उद्देश्यों को पूरा किया है और दुनिया के लिए सेंट्रोक्रोमन (पहला गैर-स्टेरायडल मौखिक गर्भनिरोधक) और अर्टिथर (सेरेब्रल मलेरिया के लिए जीवन रक्षक दवा) जैसे महत्वपूर्ण अणुओं की खोज की है। वे आज नई दिल्ली में वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिए सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ के 70वें वार्षिक दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि “इस संस्थान कान केवल मानव जगत को दिए गए दवाओं के मामले में, बल्कि गुणवत्तापूर्ण मौलिक अनुसंधान और मानव संसाधन के विकास के संदर्भ में भी बहुत अधिक योगदान है।”

डीएसआईआर के सचिव एवं सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मंडे; साइंस एवं इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) के सचिव प्रोफेसर संदीप वर्मा;विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक प्रोफेसर तापस कुंडू तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति इस आयोजन में ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए।

इस अवसर पर सीएसआईआर-सीडीआरआई के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस संस्थान ने अपनी प्रतिभाशाली टीम के साथअपने बहु-आयामी दृष्टिकोण के जरिए कोविड​​-19 के खिलाफ लड़ाई में भाग लिया। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि “भारत में आज तक टीकों की 90 लाख खुराकें लोगों कोदीजा चुकी हैंऔर हम 23 देशों को टीकों की आपूर्ति कर रहे हैं और कुल 40 देशों ने टीकों की आपूर्ति का अनुरोध किया है”। उन्होंने कहा कि “इस संस्थान ने दो महीने के रिकॉर्ड समय के भीतर कोविड जांच प्रयोगशाला की स्थापना की और उत्तर प्रदेश के दो जिलों में जांच का संपूर्ण भार लिया। वैज्ञानिकों ने पुनर्निर्मित दवा उमिफ़नोविर का परीक्षण भी शुरू कर दिया और अणु पर नैदानिक ​​परीक्षण करने के लिए डीसीजी (आई) से मंजूरीहासिल की”। उन्होंने कहा, ”अपने बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता का बेहतरीन उपयोग करते हुए इस संस्थान ने जीनोम अनुक्रमण अध्ययन भी किया और उत्तर प्रदेश से लिए गए 200 नमूनों का अनुक्रमण किया।”

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक आत्मनिर्भर भारत और एक नए भारत के निर्माण की दिशा में प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सीएसआईआर को इतिहास में फेलुदा परीक्षण और कोविड महामारी के दौरान बड़ी संख्या में अन्य नवाचारों को विकसित करने के लिए याद किया जाएगा और हमारे प्रधानमंत्री ने हमेशा नवाचारों के लिए वातावरण बनाने के विचार का जोरदार समर्थन किया है। डॉ. हर्षवर्धन ने वैज्ञानिक समुदाय से आग्रह किया कि वे अपने शोध के माध्यम से आम आदमी को लाभ पहुंचाने पर ध्यान दें।

अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशकप्रोफेसर तापस कुंडू नेरिपोर्टिंग वर्ष में संस्थान की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मापने योग्य प्रदर्शन के संदर्भ में, इससंस्थान ने वर्ष 2020 में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। औपबंधिक आंकड़ों के अनुसार, इस संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा 3.66 के औसत प्रभाव कारक के साथ कुल 218 शोध पत्र प्रकाशित किए गए हैं। इस संस्थान ने भारत में 8 पेटेंट दायर किए हैं और इसे 5 विदेशी पेटेंट और 8भारतीय पेटेंट दिए गए हैं। कुल 42 पीएचडी शोधार्थियों ने अपनी थीसिस प्रस्तुत की और 15 उम्मीदवारों ने स्नातकोत्तर प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इस वर्ष के दौरान, संस्थान ने उद्योग द्वारा प्रायोजित 2 परियोजनाओं और 2 परामर्शी परियोजनाओं सहित कुल 22 बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं की शुरुआत की है।

डॉ. हर्षवर्धन ने ‘विज्ञान’ और सीएसआईआर-सीडीआरआई के प्रति स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के दृष्टिकोण और समर्थन की स्मृति में ‘स्वास्थ्य एवं नवाचार पर अटल राष्ट्रीय विमर्श’का उद्घाटन किया, जोकि बेहद प्रतिष्ठित व्यक्तियों के व्याख्यानों की एक श्रृंखला है। उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से डीएसआईआर और सीएसआईआर द्वारा संयुक्त रूप से समर्थित ‘कॉमन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट हब’ (सीआरटीडीएच) का भी उद्घाटन किया। सीआरटीडीएच के उद्देश्य हैं:

  1. फार्मास्युटिकल फॉर्म्युलेशन डेवलपमेंट एंड नेशनल क्लिनिकल ट्रायल बैच प्रोडक्शन फैसिलिटी को स्थापित करना और उसे संचालित करना और
  2. जीएलपी-कम्पलायंट प्री-क्लिनिकल एंड क्लिनिकल बायोएनालिसिस (पीके, बीए, बीई) और ड्रग टेस्टिंग (डीटीएल) के लिए एक इकाई की स्थापना और उसका संचालन। यह एडवांस रिसर्च के लिए क्लिनिकल ट्रायल सेंटर, फार्मा इंडस्ट्री, एमएसएमई और अकादमिक जगत के लिए मददगार साबित होगा।

इस अवसर पर, आरटी-पीसीआर आधारित डायग्नोस्टिक किट्स के विकास के लिए फ्लोरोसेंट रंजक (सीडीआरआई-केडी 1, सीडीआरआई-केडी 1 एजेड 3) और शामक (सीडीआरआई-केक्यू 3, सीडीआरआई-केक्यू 4) के लिए डॉ. अतुल गोयल के अनुसंधान दल द्वारा विकसित एक नई तकनीक का हस्तांतरण मैसर्स बायोटेक डेस्क प्राइवेट लिमिटेड (बीडीपीएल), हैदराबाद को किया गया। संस्थान के निदेशकप्रोफेसर तापस कुमार कुंडू ने कहा कि फ्लोरोसेंट रंजक और शामक की यह तकनीक न केवल स्वदेशी कोविडजांच किट प्रदान करेगी, बल्कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में सरकार की पहल के अनुरूप है।

इस अवसर पर, डॉ. हर्षवर्धन ने सीएसआईआर– सीडीआरआई की वार्षिक रिपोर्ट 2020-21; सीएसआईआर – सीडीआरआई @ 70 स्मारिका और एक कॉफी टेबल बुक भी जारी की।

बाद में, डॉ. शेखर सी. मंडे ने “संक्रामक रोगों से निपटने” के बारे में 46वां  सर एडवर्ड मेलानबी स्मृति व्याख्यान दिया। उनका व्याख्यान नये दृष्टिकोण के साथ संक्रामक रोगों से मुकाबला करने के नये तरीकों पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि यदि हम विकासवादी जीव विज्ञान को पारंपरिक जैव चिकित्सा अनुसंधान के साथ जोड़ सकें, तो बीमारी की रोकथाम की समस्या का समाधान बेहतर तरीके से किया जा सकता है।

इस अवसर पर औषधि अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित सीडीआरआई अवार्ड -2021 की भी घोषणा की गई। इस साल सितंबर में सीएसआईआर के स्थापना दिवस पर ये पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। रसायन विज्ञान श्रेणी में उत्कृष्ट औषधि अनुसंधान के लिए प्रतिष्ठित सीडीआरआई पुरस्कार 2021 डॉ. विशाल राय, एसोसिएट प्रोफेसर, आईआईएसईआर, भोपाल को प्रदान किया गया है। लाइफ साइंसेज श्रेणी में, डॉ. सिद्धेश शशिकांत कामत,एसोसिएट प्रोफेसर, आईआईएसईआर, और डॉ. चंद्रिमा दास, एसोसिएट प्रोफेसर, साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स, कोलकाता को सीडीआरआई पुरस्कार 2021 के लिए चुना गया है। इस अवसर पर,सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी, पेटेंट एवं प्रकाशन के लिए वार्षिक प्रोत्साहन पुरस्कार और अकादमिक करियर उपलब्धि पुरस्कार -2021 की भी घोषणा की गई।

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