लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को समझने के लिए सेवा की भारतीय दृष्टि को समझना होगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भारतीय मनीषा की ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के भाव को परिपुष्ट किया है। भारतीयता की भावना और दृष्टिकोण के कारण राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में श्री सुनील आंबेकर की पुस्तक ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: स्वर्णिम भारत के दिशा-सूत्र’ के लोकार्पण अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह पुस्तक भारत की समरसता, एकात्मकता तथा प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को दिशा देने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का निरन्तर मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। लॉकडाउन के दौरान स्थानीय तौर पर प्रशासनिक मशीनरी के सहयोग के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सबसे पहले आगे आया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों ने अत्यन्त सेवा भाव से डोर स्टेप डिलीवरी, फूड पैकेट्स आदि के वितरण में योगदान किया। लॉकडाउन के दौरान प्रदेश से 01 करोड़ से अधिक प्रवासी श्रमिक व कामगार गुजरे। इनमें से 40 लाख प्रदेश के थे, शेष बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के थे। संघ के स्वयं सेवकों द्वारा पूरी सेवा भाव के साथ इन्हें भोजन, पेयजल उपलब्ध कराया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अपने सेवा कार्य में स्वयं सेवकों द्वारा किसी की जाति, मत, मजहब, भाषा, क्षेत्र नहीं पूछा गया, केवल सेवा के दायित्व का निर्वहन किया गया। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी प्रदेश में कोई आपदा की स्थिति होने पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों द्वारा स्वतः स्फूर्त भाव से सेवा कार्य किया जाता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ। संघ के एक कार्यकर्ता द्वारा उनका स्मारक कन्याकुमारी में विवेकानन्द शिला के रूप में स्थापित किया गया। यह देश की एकात्मकता के भाव को दर्शाता है। अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर के निर्माण का भाव भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की देन है। यह स्वप्न भी अब साकार हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने 96 वर्षाें की अपनी यात्रा में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को छुआ है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा चारों पुरुषार्थों में अनुपम एवं अतुल्य कार्य किया गया है। यही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पहचान भी है। वैश्विक महामारी कोरोना काल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा जो कार्य किया गया, उसने देश और दुनिया में संघ के प्रति श्रद्धा और सम्मान बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने कार्यों का श्रेय नहीं लेना चाहता। वह अपना दायित्व मानकर कार्यों का सम्पादन करता है। किसी भी जीवन्त व्यक्ति या संगठन का पक्ष-विपक्ष होना स्वाभाविक है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को अपनी सराहना में अहंकार नहीं है और आलोचना में नाराजगी भी नहीं है।