लखनऊ: ऊर्जा एवंअतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पिछले चार वर्षों से उपभोक्ता देवो भवः की नीति पर गरीब-किसान हितैषी सरकार काम कर रही है। चार वर्षों में सरकार ने 1.30 लाख मजरों के 1.38 करोड़ घरों का अंधेरा दूर किया ह,ै वहीं गांवों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कर पलायन को भी रोका है।
पिछली सरकारों में उत्तर प्रदेश को जरूरत के लिए बिजली नहीं मिलती थी, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की नीतियों से यूपी सरप्लस पावर स्टेट बना है। आज गांवों को पिछली सरकारों की तुलना में 54 प्रतिशत ज्यादा बिजली मिल रही है। जिला मुख्यालय को 24, तहसील मुख्यालय को 20 और गांवों को 18 घंटे बिजली का रोस्टर लागू है। किसानों को भी सिंचाई के लिए रात को जागना नहीं पड़ता। अलग हुए कृषि फीडरों पर सुबह 07 से शाम को 05 बजे तक निर्बाध 10 घंटे की विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। किसानों को पर्याप्त बिजली मिलने से सिंचाई की लागत 123 रूपये प्रति यूनिट आ रही, पूर्व सरकारों में बिजली के आभाव डीजल के प्रयोग से 25 रूपये प्रति यूनिट लागत आती थी।
विगत वर्षों में जहां हम प्रदेश के हर घर को बिजली पहुंचाने के लक्ष्य को पूरा कर पाने में सफल रहे हैं, अब हर घर को 24 घंटे बिजली मिले इस संकल्प को चरित्रार्थ करने का अभियान हमने लिया है। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि जिन भी फीडरों का लाइन लॉस 15 प्रतिशत से कम होगा वहां 24 घंटे बिजली दी जाएगी। साथ ही वहां ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने के साथ ही जर्जर तार भी प्राथमिकता में बदले जाएंगे।
पूर्ववर्ती सपा सरकार ने 5.14 रू0 से 11.09 रू0 की दर से दीर्घकालिक पीपीए किये और जनता पर मंहगी बिजली थोपी। वहीं हमारी सरकार ने सस्ती बिजली के अभियान के तहत 2.98 रू0 से 4.19 रू0 की दर से पीपीए किये। लाइन हानियाँ कम करके हम सस्ती बिजली की उपलब्धता के अन्य विकल्पों पर काम कर रहे हैं।
किसानों के हित में हमने डार्क जोन के नाम पर ट्यूबवेल कनेक्शन रोके जाने की पूर्ववर्ती सरकार के किसान विरोधी आदेश को रद्द किया। प्रतिवर्ष 45,592 के औसत से सिंचाई हेतु किसानों को नलकूप कनेक्शन दिए गए। तीन साल में हमारी सरकार में 1,36,775 नए नलकूप कनेक्शन दिए। सपा सरकार के कार्यकाल में 2012-17 के बीच प्रतिवर्ष केवल 19880 नलकूप कनेक्शन ही दिए गये थे।
प्रदेश को निर्बाध व ट्रिपिंग फ्री विद्युत आपूर्ति के लिए 662 नए 33/11 उपकेंद्र बनाये हैं। 1234 उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाई गई है। अब तक कुल 11983 सर्किट किमी वितरण लाइनों का निर्माण किया गया है। अप्रैल 2017 से अबतक कुल 8.30 लाख शिकायतें ट्रांसफार्मर के खराब होने की मिली। इनमें कुल 99.94 प्रतिशत ट्रांसफार्मर तय समय में बदले गये हैं। इस अवधि में 1912 टॉल फ्री नंबर पर आई कुल 14.19 लाख शिकायतों में से 14.13 लाख यानि कुल 99.59 प्रतिशत शिकायतों का समाधान तय समय पर किया गया।
प्रदेश की ट्रांसमिशन क्षमता वर्ष 2016-17 के 16,348 मेगावाॅट से 9000 मेगावाॅट बढ़कर अब 25,000 मेगावाॅट हो चुकी है। वर्ष 2025 तक प्रदेश में यह क्षमता 32,400 मेगावाॅट होगी।
आयात क्षमता भी वर्ष 2016-17 के 7800 मेगावाॅट के मुकाबले 6800 मेगावाॅट बढ़कर अब 14,600 मेगावाॅट हो गई है।
पूर्ववर्ती सरकार में पीक डिमांड के सापेक्ष आपूर्ति 15 हजार मेगावाॅट के आसपास ही रही। सरकार के दूरदर्शी प्रयासों से हमने पिछले साल 23,867 मेगावाॅट तक मांग की आपूर्ति की। बेहतर विद्युत व्यवस्था के लिए हमने 04 साल में 10844.39 करोड़ रुपये की लागत से 101 ट्रांसमिशन उपकेंद्र चालू किये। साल 2025 तक 198 और नए पारेषण उपकेंद्र बन जाएंगे। सरकार बनने से अबतक 45 हजार 85 सर्किट किमी पारेषण लाइन भी बनाई गई है।
प्रदेश में आज सभी विधाओं की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 26,937 मेगावाॅट है। 2024 तक इसमें 8262 मेगावाॅट की वृद्धि होगी। वर्ष 2022 तक ऊर्जा विभाग के राज्य तापीय विद्युतगृहों का उत्पादन 7,260 मेगावाॅट से बढ़कर 12734 मेगावॉट हो जाएगा और 34,500 मेगावाॅट बिजली की उपलब्धता रहेगी।
सौभाग्य योजना के तहत पश्चिमांचल, दक्षिणांचल एवं मध्यांचल के 12786 मजरों में आरईसी व पीएफसी के 1445 करोड़ रूपये के लोन से 24885 किमी जर्जर लाइनों व अन्य योजनाओं में 11092 किमी लाइनों को ए.बी.सी. में बदला जा चुका है। ए.डी.बी. के तहत पूर्वांचल के 15334 व मध्यांचल के 11299 मजरे चिह्नित किये गए हैं। यह कार्य 01 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2023 तक के बीच पूरा हो जाएगा।
1000 एवं अधिक आबादी वाले सभी गांवों में खुले तारों को एबी केबलिंग से बदलने की प्रक्रिया चल रही है। अंडरग्राउंड केबलिंग के कार्यों के तहत 19 जनपदों की 22 परियोजनाओं में 6035.70 किमी एलटी व 924.98 किमी एचटी लाइन बिछाई जा चुकी है।
कोविड की विपरीत परिस्थितियों में हमने प्रदेश के औद्योगिक एवं वाणिज्यिक श्रेणियों के उपभोक्ताओं का एक माह का फिक्स चार्ज माफ किया। इसके तहत कुल 342.68 करोड़ रूपये की मदद की गई। वाणिज्यिक व निजी श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए पहली बार सरचार्ज माफी की योजना सरकार लेकर आई, जिसमें 1.93 लाख उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर लगे सरचार्ज माफ किये गए।
घरेलू व कृषक उपभोक्ताओं के लिए भी वर्तमान में ‘कोविड-19 एकमुश्त समाधान योजना‘ संचालित की जा रही है। जिसमें 31 मार्च 2021 तक पंजीकरण कराने व तय समय में बिलों का भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं का 31 जनवरी 2021 तक का सरचार्ज माफ किया जाएगा।