देहरादून: राज्यपाल डाॅ.कृष्ण कांत पाॅल वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं की रोकथाम हेतु लगातार टेलीफोन के माध्यम से समस्त जनपदों के जिलाधिकारियों से संपर्क मे रह कर उन्हें आवश्यक निर्देश दे रहे है। राज्यपाल द्वारा सलाहकारों के साथ बैठक कर वनाग्नि से हो रही क्षति की समीक्षा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये है।
राज्यपाल डाॅ.कृष्ण कांत पाॅल के निर्देशों के क्रम मे अपर मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं के नियंत्रण एवं रोकथाम के कार्यों की समीक्षा की। उन्होने बताया कि सरकार वर्तमान वनाग्नि की घटनाओं के समाधान के लिए तात्कालिक प्रयासों के साथ कुछ दीर्घकालिक उपायों पर भी गम्भीरता से विचार कर रही है। सबसे महत्वपूर्ण उपाय वनों में जल संरक्षण और जल संग्रहण के अधिकतम प्रयास करना है जिससे वनों में आवश्यक आर्द्रता और नमी बनी रहे। भारत सरकार को इस दिशा में प्रस्ताव भेज आवश्यक धनराशि की मांग भी की जायेगी। पिरूल का उपयोग कर वन क्षेत्रों में बायोलॉजिकल चेक डैम भी बनाये जाएंगे। वन विभाग द्वारा आग रोकने के लिए कुछ निर्धारित माप में पेड़ों को हटाकर बनाई जाने वाली पारंपरिक फायर लाइन्स का भी पुनरीक्षण किया जाएगा जिससे उनके उपयोग का सही आकलन हो सके। साथ ही मा उच्चतम न्यायालय के उस आदेश जिसमे 1000 गज से ऊपर पेड़ों का कटान पितमसपदम के लिए भी नहीं किया जा सकता है, इस पर पुनर्विचार हेतु अनुरोध करने पर भी विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया की पिछले दो दिनों में आग लगने की घटनाओं में थोड़ी कमी आई है।
बैठक के दौरान बताया गया कि राज्य में 40 मास्टर कन्टाªेल रूम व 1166 अग्निशमन चालक दल राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं एवं प्रत्येक चालक दल में 5 से 7 कर्मचारियों सहित अग्निशमन यंत्रों की व्यवस्था की गयी है। लगभग 14000 ग्रामीणों को अग्निशमन हेतु प्रशिक्षित किया गया है। मुख्य रूप से आग के लिए संवेदनशील पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में आग पर नजर रखने वालों की संख्या 3000 से बढ़ाकर 6000 कर दी गयी है। आग बुझाने के लिए विभागीय चालक दलों की सहायता हेतु एसडीआरएफ की एक टीम व एनडीआरएफ की तीन टीमों को क्रमशः नैनीताल, अल्मोड़ा, गौचर एवं पौड़ी भेजा गया है। राज्य में आग पर काबू पाने के लिए भारत सरकार द्वारा एक एमआई-17 हेलीकाॅप्टर भी भेजा गया है। इन कार्यों के लिए जिलाधिकारी नैनीताल की सेवाएं ली जा रही है।
जंगलों में लगी आग में काबू पाने के लिए अग्निशमन विभाग की ओर से 500 कर्मचारी शहरी व उपशहरी क्षेत्रों वनाग्नि से सुरक्षा हेतु लगाया गया है साथ ही इसके लिए प्रत्येक जिले में राजस्व वनों के संरक्षण के लिए 100 पीआरडी जवानों की तैनाती करने के लिये जिलाधिकारियों द्वारा आदेश दे दिये गए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग को जंगलों की आग की रोकथाम व आग बुझाने हेतु उपकरणों के लिए एसडीआरएफ कोष से रू0 5 करोड़ वन पंचायतों को उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया गया है। सभी जिलाधिकारियों एवं एसएसपी को पीआरडी जवानों को इसमें शामिल करने के लिए निर्देशित किया गया है। विभिन्न स्थानों पर अग्निशमन विभाग के 500 कर्मचारी तैनात किये गए है।
वन्यजीव बहुल क्षेत्रों व संरक्षित क्षेत्रों में पानी की व्यवस्था करने के लिये भी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। अगले सात दिनों में आग के लिये संवेदनशील क्षेत्रों की जानकारी वेबसाईडforests.uk.gov.in पर उपलब्ध करा दी गयी है। इसके लिये फाॅरेस्ट की साईट पर ^BHUVAN ^ पाॅर्टल की भी स्थापना की गयी है। अगले पन्द्रह दिनों के लिये मौसम का पूर्वानुमान भी वेबसाईट में अपलाॅड कर दिया गया है। वनों में आग के लिये हेल्पलाईन नम्बर वनमित्र-9208008000 व इमरजेन्सी हेल्पलाईन नम्बर 108 सहित वाॅट्सएप नम्बर 7455054828 भी जारी कर दिया गया है। राज्य आपातकालीन परिचालन केन्द्र देहरादून में स्थापित किया गया है जिसका हेल्पलाईन नम्बर 9557444486 व 0135-2410334 हैं।
जिला अग्निशमन केन्द्रों की स्थापना कर दी गयी है, जिनकी निगरानी जिलाधिकारियों द्वारा प्रतिदिन की जाएगी। अपने अपने क्षेत्रों में वनाग्नि की स्थिति से निपटने के लिये सभी वन पंचायतों, महिला मंगल दलों, स्वयं सहायता समूहों व युवा मंगल दलों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है। कैम्पा के तहत लगभग रू0 8 करोड़ अवमुक्त कर दिये गए हैं। राज्य में जंगलों में आग की रोकथाम के लिये रू0 14 करोड़ का प्रावधान भी किया गया है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जारी किया गया पूर्वानुमान के अनुसार अगले 2, 3 दिन में वर्षा की सम्भावना जताई गयी है, जिससे इस स्थिति से राहत मिलने की उम्मीद है।