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सुप्रीम कोर्ट ने कहा हमारी निगरानी में क्यों न हो उत्तराखंड फ्लोर टेस्ट?

देश-विदेश

नई दिल्ली: उत्तराखंड में जारी राजनीतिक संकट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए राहत के संकेत मिलते दिख रहे हैं। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र को उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट पर विचार करना चाहिए।उच्चतम न्यायालय ने अटार्नी जनरल से पूछा कि क्यों न रामेश्वर जजमेंट के आलोक में उत्तराखंड में भी बहुमत परीक्षण का मौका मिलना चाहिए। इसे कोर्ट की निगरानी में करवाया जा सकता है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई अब कल तक के लिए टाल दी है। माना जा रहा है कल सरकार कोर्ट के सुझाव पर अपनी बात रखेगी। बता दें कि उत्तराखंड में जारी राजनीतिक घमासान के बीच केंद्र ने वहां राष्ट्रपति शासन की संस्तुति कर दी थी।

जिसे बाद में हाइकोर्ट ने रद करते हुए सरकार को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। लेकिन एक दिन बाद ही हाईकोर्ट के इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए राष्ट्रपति शासन को जारी रखने का निर्देश दिया था। इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई जारी है। आज हुई सुनवाई में कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराने के संकेत दिए हैं। शीर्ष अदालत ने इस मसले को लेकर तीन, चार और पांच मई को सुनवाई करने का निर्णय लिया है।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने गत 27 अप्रैल को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को जारी रखने का आदेश दिया था। साथ ही शीर्ष अदालत ने 29 अप्रैल को विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट पर लगी रोक भी बरकरार रखी थी। पिछली सुनवाई में पीठ ने इस मसले पर विस्तृत सुनवाई करने का निर्णय लेते हुए सात प्रश्न उठाए थे।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना एक दुर्लभ कार्रवाई है। अगर सरकार अल्पमत में हो तो फ्लोर टेस्ट ही अंतिम समाधान है। पीठ ने कहा कि अगर हम राष्ट्रपति शासन को सही भी ठहराते हैं तो फ्लोर टेस्ट तो होगा ही।

राष्ट्रपति शासन को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी शुरू हुई। 27 अप्रैल को कोर्ट ने साफ कर दिया था कि सुनवाई तीन मई से होगी और लगातार चलेगी। कोर्ट का यह भी कहना था कि इस सुनवाई को 13 मई से पहले-पहले पूरा कर लिया जाएगा। 21 अप्रैल को नैनीताल हाई कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन को पलट दिया था और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था।

इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 27 अप्रैल को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तीन मई से सुनवाई शुरू करने का ऐलान किया था।

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