“हम देश के जनजातीय क्षेत्रों में 50,000 ‘वन धन विकास केंद्र’ स्थापित करेंगे, ताकि वन उपज के लिए प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके और जनजातियों के लिए रोजगार उपलब्ध हो सके।” प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी।
देश के समग्र विकास और समाज के प्रत्येक वर्ग को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए यह प्रधानमंत्री के संकल्प का एक भाग था।
ट्राईफैड के अनुसार, 31 मार्च, 2021 तक ट्राईफैड के द्वारा 18 महीने से भी कम समय में, 2224 वीडीवीकेसी के प्रत्येक समूह में शामिल 300 वन निवासियों के साथ 33,360 वन धन विकास केंद्रों को मंजूरी दे दी गई है। ट्राईफैड ने बताया कि एक विशिष्ट वन धन विकास केंद्र में 20 जनजातीय सदस्य शामिल हैं। ऐसे 15 वन धन विकास केंद्रों मिलकर 1 वन धन विकास केंद्र समूह बनाते हैं। वन धन विकास केंद्र समूह 23 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के वन धन विकास केंद्रों को व्यापक आर्थिक लाभ, आजीविका और बाजार से जोड़ने के साथ-साथ जनजातीय वन सभाओं को उद्यमशीलता के अवसर प्रदान करेंगे।
50000 वीडीवीके के लक्ष्य के साथ, शेष 16,640 वन धन केंद्रों (3.3 लाख जनजाती परिवारों के साथ) को लगभग 600 वीडीवीके में शामिल किया गया है और इन पर संबंधित राज्य नोडल विभागों और राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ ट्राईफैड की संकल्प से सिद्धि पहल के अंतर्गत तेजी कार्य किया जा रहा हैं। अगले तीन महीनों के भीतर इन्हें स्वीकृति मिलने की आशा है।
बहुत से प्रयासों के अंतर्गत, ट्राईफैड जनजातीय आबादी के बीच रोजगार और आय सृजन के लिए वन धन जनजाति स्टार्ट-अप कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है। यह कार्यक्रम ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और एमएफपी योजना के लिए मूल्य श्रृंखला विकास के माध्यम से लघु वन उपज (एमएफपी) के विपणन तंत्र का एक घटक है।
वन धन आदिवासी स्टार्ट-अप, भी इसी योजना का एक घटक है और यह वन-आधारित जनजातियों के लिए स्थायी आजीविका के सृजन की सुविधा के लिए वन धन केंद्रों की स्थापना करके लघु वन उपज का मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग और इनका विपणन करने की एक योजना है।
पिछले 18 महीनों में, वन धन विकास योजना ने अपने शीघ्रतापूर्ण स्वीकृति और पूरे भारत में राज्य नोडल और कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा सहायता प्राप्त होने से व्यापक रूप से कार्यान्वयन किया है। देश के विभिन्न हिस्सों से कई सफलता की गाथाऐं सामने आई हैं।
विशेष रूप से राज्यों के बीच, मणिपुर एक चैंपियन राज्य के रूप में उभरा है, जहां वन धन कार्यक्रम स्थानीय जनजातियों के लिए रोजगार का एक प्रमुख स्रोत बनकर उभरा है। ट्राइफेड ने कहा है कि राज्य में अक्टूबर 2019 से कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद से 100 वन धन विकास समूह स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 77 कार्यरत हैं। ये 1500 वन धन विकास केंद्र समूहों का गठन करते हैं और ऐसे 30,000 जनजातीय उद्यमियों को लाभान्वित कर रहे हैं, जो लघु वन उपज से मूल्य संवर्धित उत्पादों के संग्रह, प्रसंस्करण, पैकेजिंग और विपणन में शामिल हैं। इस योजना के कार्यान्वयन मॉडल का मापनीयता और उत्तरोत्तर वृद्धि भी एक लाभकारी बिन्दु है जिसका विस्तार पूरे भारत में है।
पूर्वोत्तर इस मामले में नेतृत्व कर रहा है जहाँ 80 प्रतिशत वीडीवीके स्थापित हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश ऐसे अन्य राज्य हैं जहाँ इस योजना को शानदार परिणामों के साथ अपनाया गया है।
इसके अलावा इस पूरे कार्यक्रम की विशेषता यह भी है कि यह बाजार से संबंध स्थापित करने में सफल रहा है। इनमें से कई जनजातीय उद्यम बाजारों से जुड़े हैं। फलों की कैंडी (आंवला, अनानास, जंगली सेब, अदरक, अंजीर, इमली), जैम (अनानास, आंवला, बेर), रस और स्क्वैश (अनानास, आंवला, जंगली सेब, बेर, बर्मी अंगूर), मसाले (दालचीनी, हल्दी, अदरक), अचार (बांबू शूट, किंग चिली मिर्च) और संसाधित गिलोय से लेकर सभी उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को संसाधित करते हुए वन धन विकास केंद्रों में पैक किया गया है और इन्हें ट्राइब्स इंडिया आउटलेट्स के माध्यम से TribesIndia.com पर और बाजार में विपणन किया जाता है।
वन धन कार्यक्रम की सफलता के कारण, राज्य सरकारें भी एमएसपी फॉर एमएफपी योजना को सक्रिय करने के लिए प्रेरित हुई हैं, जहाँ महामारी के दौरान, जनजातीय संग्रहकर्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण प्रदान करने वाली एमएफपी की किस्मों की सिर्फ 10 महीने रिकॉर्ड खरीद हुई है।
ट्राईफैड ने अब ‘संकल्प से सिद्धि’- गाँव और डिजिटल संपर्क अभियान का शुभारंभ किया है। 1 अप्रैल, 2021 से प्रारंभ होने वाले इस 100 दिन के अभियान में 150 टीमों (ट्राईफैड से प्रत्येक क्षेत्र के लिए 10 और राज्य कार्यान्वयन एजेंसियाँ/परामर्श एजेंसियाँ/साझेदार) दस गाँवों का दौरा करेंगी। प्रत्येक क्षेत्र में 100 गांव और देश में 1500 गांव अगले 100 दिनों में कवर किए जाएंगे। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य इन गांवों में वन धन विकास केंद्रों को सक्रिय करना है। वनधन इकाइयों से अगले 12 महीनों के दौरान 200 करोड़ रुपये की बिक्री हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। दौरा करने वाली टीमें स्थलों और ट्राईफूड, स्फूर्ति जैसे बड़े उद्यमों के रूप में समूहों के लिए संभावित वीडीवीके की पहचान करके उनका चुनाव करेंगी।
“आत्मनिर्भर भारत” के निर्माण के लिए “जनजाति को मुखर करने के लिए स्थानीय खरीदें” अभियान को आगे बढ़ाने के लिए, ट्राईफैड वन धन माध्यम को जनजाति उद्यम माध्यम में परिवर्तन करने पर कार्य कर रहा है। इन वन धन विकास केंद्रों को वन धन समूहों और उद्यमों में परिवर्तित करने का उद्देश्य व्यापक स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं से लाभ प्राप्त करते हुए इनके उच्च मूल्य संवर्धन उत्पादन को बढ़ावा देना है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में, ट्राईफैड वन धन विकास केंद्र समूहों को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और संगठनों के साथ कार्य कर रहा है। इन मंत्रालयों के समान कार्यक्रमों के साथ अपनी योजना आगे बढ़ाने के लिए एमएसएमई, एमओएफपीआई और ग्रामीण विकास मंत्रालय जैसे विभिन्न मंत्रालयों के साथ समझौते ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप एमएसएमई से स्फूर्ति, ईएसडीपी और एमओएफपीआई की फूड पार्क योजना और एनआरएलएम को ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ वन धन विकास केंद्र और इसके समूहों में परिवर्तित किया गया है।
ये पहल वन क्षेत्रों में रहने वाली जनजातियों को सशक्त बनाने के लिए पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 (पीईएसए) और वन अधिकार अधिनियम, 2006 (एफआरए) के तहत संवैधानिक दायित्वों के अंतर्गत केंद्रित होंगी।
ट्राईफैड, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के साथ मिलकर प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना के तहत छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और महाराष्ट्र के रायगढ़ में दो “ट्राईफूड” परियोजनाओं को लागू कर रहा है। ये दो एमएफपी प्रसंस्करण इकाइयां वन धन इकाइयों के साथ हब और स्पोक मॉडल में संचालित होंगी और यह फीडर इकाइयाँ होंगी। इससे जुड़े हुए संबंधित जनजातीय परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। ट्राईफैड मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, उत्तर प्रदेश, झारखंड और अन्य राज्यों की राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में समान एमएफपी आधारित औद्योगिक पार्कों की स्थापना की दिशा में भी कार्य कर रहा है।
इस तरह का उद्यम दृष्टिकोण व्यापक स्तर पर न सिर्फ अर्थव्यवस्थाओं को प्रदान करेगा बल्कि गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी के साथ बड़े पैमाने पर जनजातीय उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में मदद करेगा, जिससे सभी मौजूदा कोष और संसाधनों का लाभ उठाते हुए जनजाति स्वामित्व, जनजाति प्रबंधित उत्पादन इकाइयों का निर्माण हो सकें।
इस अभियान में हाट बाज़ारों में 3000 एमएफपी संग्रह केंद्रों के एक नेटवर्क के साथ एक विशेष उद्देश्य वाहन के तहत 200 वन धन निर्माता कंपनियों की स्थापना के साथ-साथ एमएसपी फॉर एमएफपी स्कीम के तहत 600 गोदाम, 200 लघु टीआरआईएफ इकाइयाँ, 100 सामान्य सुविधा केंद्रों की स्थापना, 275 (1) जिलों और डीएमएफ के भीतर 100 ट्राइफर्ड पार्क, एमएसएमई के तहत 100 (स्फूर्ति) समूहों का विकास, 200 ट्राइब्स इंडिया रिटेल स्टोर्स की स्थापना और ट्राईफूड एंड ट्राइब्स इंडिया ब्रांड्स के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के निर्माण की परिकल्पना की गई है ।