लखनऊ: उत्तर प्रदेश क्षयरोग वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष करुणा शंकर मिश्र ने विश्व नर्सेस दिवस पर कहा कि कोरोना जैसी महामारी से पीड़ित लोगों के इलाज की हो या फिर युद्ध में घायलों की सेवा की। सभी जगह डॉक्टर्स से ज्यादा नर्स की जरूरत पड़ती है। नर्सेस के बिना किसी भी रोग या इलाज संभव नहीं है।
आजकल दुनियाभर के ज्यादातर देश कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। ऐसे में नर्सेस कोरोना वॉरियर्स बनकर सभी मरीजों की सेवा करके उन्हें स्वस्थ बनाने में बेहतरीन रोल प्ले कर रही हैं। इन्हीं नर्सेस के योगदान को याद करने और उनका सम्मान करने के लिए ही इंटरनेशनल नर्सेस डे हर साल 12 मई को ही मनाया जाता है। नर्सेस डे मनाने के पीछे की कहानी भी काफी रोचक है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल हां यही वो नाम है जिनकी 201वीं बर्थ एनीवर्सरी के मौके पर इस साल हम नर्सेस डे मना रहे हैं।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल वो नर्स थीं जिन्होंने 19वीं सदी में युद्धों के दौरान घायल सैनिकों की सेवा और इलाज करने का जिम्मा उठाया और इसके लिए तमाम महिलाओं को सामूहिक रूप से नर्सिंग कला सिखाना शुरु किया। कुछ ही वक्त में उनकी ख्याति दूर दूर तक फैल गई। हर नर्स की क्या जिम्मेदारियां होती हैं और उन्हें कैसे काम करना चाहिए। इन बातों के प्रचार प्रसार के लिए फ्लोरेंस नाइटिंगेल को आज भी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनइजेशन और पूरी दुनिया याद करती है। इस कोरोना संकट के समय में भी नर्सेस बहनें लगातार अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में जो भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है वह एक सेवा के अंतर्गत ही आता है। हम उन सभी सेवा प्रदान करने वाले साथियों का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।