नई दिल्ली: आईएनएएस हंस, गोवा में आयोजित एक समारोह में भारतीय नौसेना एयर स्क्वायड्रन (आईएनएएस 300) के सी-हैरियर विमानों को विदाई दी गई। इस समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर.के. धोवन, वाइस एडमिरल सुनील लन्बा, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ पश्चिमी नौसेना कमान, भारतीय नौसेना के अधिकारी और सेवानिवृत अधिकारी और आईएनएएस 300 में सेवा देने वाले सभी कर्मी शामिल हुए। इस अवसर पर एडमिरल आर.के. धोवन ने देश की रक्षा में स्क्वायड्रन द्वारा निभाई गई भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने पायलटों, रख-रखाव करने वाले लोगों तथा विमान को उड़ाने तथा कार्ययोग्य बनाए रखने के काम से जुड़े सभी लोगों के पेशेवर होने की बात स्वीकार की। बैटन मिग-29के स्क्वायड्रन को सौंपा गया। मिग-29के स्क्वायड्रन ने सबसे कम समय में आईएनएस विक्रमादित्या के साथ लड़ाकूओं का एकीकरण किया था।
आईएनएएस 300 ‘वाइट टाइगर्स’ के सम्मान में एक विशेष समारोह हुआ जिसमें सी-हैरियर विमानों ने अंतिम रूप से उड़ान भरा। उनके किनारे मिग-29के लड़ाकू विमान थे। समारोह में मिग-29के द्वारा सुपरसोनिक पास तथा दो-दो सी-हैरियर तथा मिग-29के विमानों का फॉरमेशन फ्लाइंग भी दिखाया गया। समारोह में आईएनएएस 300 की गौरवशाली परंपरा के अनुसार पुराने की जगह नए के स्थान लेने का संकेत प्रदान किया गया। वायु प्रदर्शन के बाद परंपरागत रूप से सी-हैरियर वासिंग डाउन कार्यक्रम हुआ। एडमिरल आर.के. धोवन ने इस अवसर पर फस्ट डे कवर जारी किया।
अपनी विशिष्टता, दृढ़ता और आक्रमकता के लिए विख्यात वाइट टाइगर्स या आईएनएएस 300 का आगमन भारतीय नौसेना में वाहक उड्डयन के रूप में हुआ। 6 दशक पहले आरएएनएस 300 ब्राउड्री में इसे कमीशन किया गया और वाइट टाइगर्स लोगों के साथ सी-हॉक विमान से लैस किया गया। दो दशकों तक उल्लेखनीय सेवा के बाद 1983 में स्क्वायड्रन को सी-हैरियर के साथ लगाया गया। यह प्रमुख वाहक लड़ाकू स्क्वायड्रन भारतीय नौसेना में प्रतिष्ठा का स्थान रखता है और इसे एक महावीर चक्र, चार वीर चक्र तथा एक नौसेना पदक मिल चुका है।
33 वर्षों तक सेवा देने के बाद आज सी-हैरियर विमानों को नौसेना ने विदाई दी। इस अवसर पर इन विमानों ने अंतिम उड़ानें भरी। इसका स्थान नया और घातक मिग-29के से लैस नए स्क्वायड्रन ने लिया है।