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दुग्ध व्यवसाय में स्वरोजगार तथा उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए दुधारू पशुपालकों को आवासीय प्रशिक्षण देने का निर्णय

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: राज्य सरकार द्वारा दुग्ध व्यवसाय के क्षेत्र में स्वरोजगार तथा उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए दुधारू पशुपालक उद्यमिता विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत लाभार्थियों को आवासीय प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। यह प्रशिक्षण तीन दिवसीय होगा। यह प्रशिक्षण चार प्रशिक्षण स्थलों-उद्यमिता विकास संस्थान, सरोजनी नगर, एवं सहकारी डेरी प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान, सी0जी0 सिटी, लखनऊ, सहकारी डेरी प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान, परतापुर, मेरठ तथा सहकारी डेरी प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान, रामनगर, वाराणसी में दिए जाएंगे।
यह जानकारी आज यहां देते हुए प्रमुख सचिव दुग्ध विकास
डॉ0 सुधीर एम0 बोबडे ने बताया कि प्रशिक्षण से लाभार्थियों में उद्यमिता संस्कृति की अभिवृद्धि होगी तथा दुग्ध उत्पादकों (डेरी संचालकों) का विकास उद्यमी के रूप में होगा। प्रशिक्षण से दुधारू पशुपालन के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य लाभार्थी के उद्यमी व्यवहार एवं पद्धति में तकनीकी सुधार करना है, ताकि वे भविष्य में बाजार मांग के अनुरूप दुग्ध उत्पादन कर अपने लाभांश को और अधिक बढ़ा सकें।
प्रमुख सचिव दुग्ध विकास ने बताया कि इस तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण के अन्तर्गत दुधारू पशुपालक डेरी इकाइयों के लाभार्थियों अथवा स्ववित्तपोषित दुग्ध उत्पादकों (25, 50, 100 दुधारू पशु इकाइयों के लाभार्थियों) को लक्ष्य किया गया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 145 बैचों में कुल 4,300 प्रतिभागी भाग लेंगे। प्रत्येक बैच में 30 प्रतिभागी होंगे। हर बैच को 03 दिन तक आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसपर 4,500 रुपए प्रति लाभार्थी प्रति बैच का व्यय प्रस्तावित है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उद्यमिता के महत्व एवं विस्तार, उद्यमी उत्प्रेरणा (उद्यमी गुण एवं विशेषताएं, जोखिम व्यवहार, निर्णय लेने की क्षमता एवं लक्ष्य निर्धारण), बाजार एवं विपणन प्रबन्ध, लेखा-जोखा, रख-रखाव एवं वित्तीय प्रबन्ध, उद्यम प्रबन्ध, प्रॉफिट मैक्सिमाइजेशन स्ट्रेटजी, दुग्ध परीक्षण विधि, दुग्ध मूल्य निर्धाण प्रक्रिया एवं बल्क मिल्क कूलर हेतु स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रैक्टिस, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, शीतलीकरण, तथा परिवहन व्यवस्था, हरा चारा उत्पादन साइलेज, पशुआहार, मिनरल मिकसर का महत्व, दुधारू पशुओं प्रजातियां, उच्च प्रजाति के रख-रखाव, फीडिंग तथा ब्रीडिग मैनेजमेण्ट, वैल्यू एडीशन ऑफ मिल्क-पशुपालक के स्तर पर ही घी, खोवा, पनीर आदि के उत्पादन विषयों पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रशिक्षणार्थियों को आधुनिक पद्धति से व्याख्यान, प्रस्तुतिकरण, विजुअल लर्निंग, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग, केस स्टडी तथा समूह चर्चा के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले, विशेष रूप से गरीबों और बेरोजगारों की आय बढ़ाने के सतत प्रयास कर रही है। राज्य में कामधेनु डेयरी योजना, मिनी कामधेनु डेयरी योजना और माइक्रो कामधेनु डेयरी योजना इसी उद्देश्य से लागू की गई है।

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