केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने नाविकों के टीकाकरण की स्थिति की समीक्षा की। श्री मंडाविया ने सुझाव दिया कि टीकाकरण न होने के कारण सीफेरर इंडस्ट्री के कामकाज में बाधा नहीं आनी चाहिए और इस बात पर जोर दिया कि पानी के जहाज पर अपने निर्धारित कर्तव्यों के लिए काम पर आने से पहले नाविकों को टीका लगवाने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए।
भारत ग्लोबल सीफेरर इंडस्ट्री में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। टीकाकरण अभियान में नाविकों के काम की प्रकृति को देखते हुए उन्हें ‘प्राथमिकता’ देने की मांग कई क्षेत्रों से आ रही है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (पीएस एंड डब्ल्यू) ने भी कोविड टीकाकरण में नाविकों को प्राथमिकता देने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ सक्रिय रूप से संपर्क और विचार-विमर्श किया था।
मंत्रालय के नवीनतम प्रयासों के बाद, प्रमुख बंदरगाहों ने टीकाकरण केंद्र शुरू कर दिए हैं। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट, कोचीन पोर्ट ट्रस्ट, चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट, विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट और तूतीकोरिन पोर्ट ट्रस्ट सहित छह प्रमुख बंदरगाहों ने अपने बंदरगाह अस्पतालों में नाविकों का टीकाकरण शुरू कर दिया है। इसके अलावा, केरल में एक निजी अस्पताल को भी नाविकों के टीकाकरण के लिए अधिकृत किया गया है।
एमएएसएसए, एफओएसएमए और एनयूएसआई जैसे नाविक संघों/संगठनों ने भी टीकाकरण के लिए विशेष शिविरों का सफलतापूर्वक आयोजन किया है।
इन उपायों के अलावा, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, राज्य सरकारों को अपने राज्य की ‘प्राथमिकता’ सूची में नाविकों को शामिल करने के लिए प्रयास कर रहा है, और केरल, तमिलनाडु और गोवा पहले ही ऐसे कदम उठा चुके हैं।
भारत सरकार नाविकों को टीकाकरण की सुविधा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।