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राष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ द्वारा आयोजित वार्षिक आषाढ़ पूर्णिमा-धम्म चक्र दिवस को संबोधित किया

देश-विदेश

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने कहा कि वैश्विक चिंता से जुड़े मुद्दों के समाधान में बौद्ध मूल्यों और सिद्धांतों के उपयोग से विश्व को आरोग्यता प्रदान करने और इसे एक बेहतर स्थल बनाने में सहायता मिलेगी। राष्ट्रपति ने यह विचार आज (24 जुलाई, 2021) को एक वीडियो संदेश के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ द्वारा आयोजित वार्षिक आषाढ़ पूर्णिमा-धम्म चक्र दिवस के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षाओं के सार से जुड़े रहना महत्वपूर्ण है और इसकी अलग-अलग व्याख्याओं और विविधताओं में उलझना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के उद्देश्य प्रशंसनीय हैं। उन्होंने मानवता की सेवा के लिए सभी बौद्ध परंपराओं और संगठनों को एक साझा मंच प्रदान करने के आईबीसी के प्रयास की भी सराहना की।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/GR4_785147VB.JPG

राष्ट्रपति ने कहा कि उनका मानना ​​है कि बौद्ध धर्म का प्रभाव इसे औपचारिक रूप से ग्रहण करने वाले लगभग 550 मिलियन अनुयायियों से भी अधिक व्यापक है। अन्य धर्मों के लोग और यहाँ तक कि संशयवादी एवं नास्तिक भी बुद्ध की शिक्षाओं के प्रति आकर्षण का अनुभव करते हैं। बौद्ध धर्म का यह सार्वभौमिक और शाश्वत प्रभाव समय और स्थल पर मानव द्वारा सामना की जाने वाली मूलभूत समस्याओं के तार्किक, तर्कसंगत और सरल समाधानों के कारण है। दुख को समाप्त करने का बुद्ध का आश्वासन; सार्वभौमिक करुणा और अहिंसा पर उनका जोर; जीवन के सभी पहलुओं में नैतिकता और संयम को आगे बढ़ाने के उनके संदेश ने पिछले 2600 वर्षों में असंख्य लोगों को सारनाथ में उनके प्रथम उपदेश के पश्चात प्रेरणा दी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जीवन के संदर्भ में बुद्ध के बेहतर रूप से प्रलेखित संदेश मानवता के लिए अमूल्य हैं। भगवान बुद्ध का अपने आलोचकों और विरोधियों के प्रति भी अत्यधिक विश्वास और सम्मान था। वे उनके अनुयायी बन जाएंगे। उन्होंने यह आध्यात्मिक शक्ति इसलिए प्राप्त की क्योंकि वे सदैव सत्य के पालन के प्रति दृढ़ रहे।

राष्ट्रपति ने कहा कि कोविड-19 के प्रभाव से जूझ रही दुनिया को पहले से कहीं अधिक करुणा, दया और निस्वार्थता के भाव के साथ उपचार की आवश्यकता है। बौद्ध धर्म द्वारा प्रचारित इन सार्वभौमिक मूल्यों को सभी को अपने विचारों और कार्यों में अपनाने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आज का विश्व बुद्ध की असीम करुणा से प्रेरित होकर मानव पीड़ा के सभी स्रोतों को दूर करने का संकल्प लेता है।

इससे पूर्व प्रातःकाल में राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन के उपवन में बोधि वृक्ष का पौधा लगाया। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी, संस्कृति राज्य मंत्री, श्री अर्जुन राम मेघवाल और श्रीमती मीनाक्षी लेखी एवं अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव, डॉ धम्मपिया शामिल थे।

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