देहरादून: नन्हे बच्चे जिस उम्र में वर्णाक्षरों और अंकों को जानने-समझने की कोशिश कर रहे होते हैं उस आयु में बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल (बीएचआईएस), हड़पसर, पुणे में 5 वर्षीय किंडरगार्टन छात्रा माहिका पोटनिस ने पांच मिनट में कई बार श्लोकों का उच्चारण कर के इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (आईबीआर) में अपना नाम दर्ज कराया और अपने माता-पिता व स्कूल का नाम रोशन किया है।
माहिका हड़पसर, पुणे स्थित बीएचआईएस की छात्रा है, उसे भगवद् गीता के श्लोक याद करने की प्रेरणा अपनी मां से मिली और वह हर सुबह श्लोकों को उच्चारित करके याद करती थी। जब वह चार वर्ष की थी तभी से वह गीता के श्लोकों का प्रति दिन उच्चारण करती आ रही है।
माहिका की मां सारिका ने देखा की उनकी बेटी श्लोकों के उच्चारण में रुचि ले रही है तो उन्होंने उसका दाखिला श्लोक सिखाने वाली कक्षा में करा दिया। इस तरह उन्होंने माहिका को प्रतियोगिता में शामिल करने का निर्णय किया, महिका ने अपनी परफॉरमेंस रिकॉर्ड की और वीडियो को रिकॉर्ड बुक के लिए भेज दिया तथा उसे चुन लिया गया।
अपनी बच्ची की उपलब्धि से उत्साहित श्रीमती सारिका पोटनिस ने कहा, ’’प्रति दिन सुबह पूजा करना हमारी दिनचर्या का हिस्सा है और इसमें हम माहिका को भी शामिल करते हैं। हमें श्लोकों का उच्चारण करते देख कर माहिका ने शीघ्र ही दोहराना आरंभ कर दिया और इतनी कम आयु में श्लोक सीख लिए। माहिका अनुशासित बच्ची है और उसे हमारी संस्कृति व परम्परा से प्रेम है।’’
श्रुतिका लवंड, पिं्रसिपल, बीएचआईएस, हड़पसर, पुणे ने कहा, ’’पांच मिनट में 30 श्लोक उच्चारित करने और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराने पर माहिका को हमारी हार्दिक बधाई। यह उपलब्धि सराहनीय है, वह इसके योग्य है और इससे जाहिर होता है की इस कोमल आयु मंे उसे कितने अच्छे मूल्य सिखाए गए हैं। बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, पुणे के लिए यह बहुत गौरव की बात है की माहिका जैसी स्टार परफॉर्मर हमारे स्कूल का हिस्सा है।’’
रूबीना भरूचा, प्रिस्कूल कोऑर्डिनेटर, बीएचआईएस, हड़पसर, पुणे ने कहा, ’’हम सभी के लिए यह खुशी का क्षण है। माहिका ने न सिर्फ अपने माता-पिता का मान बढ़ाया है बल्कि अपने स्कूल के लिए भी सम्मान अर्जित किया है। उसकी उपलब्धि अन्य विद्यार्थियों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बनेगी और वे भी भविष्य में चुनौतियां स्वीकार करेंगे। हमें गर्व है की बीएचआईएस में हम अपने बच्चों को शिक्षा के साथ मूल्य भी सिखाते हैं जिससे न केवल उनकी कल्पनाशक्ति का विस्तार होता है बल्कि हम उन्हें मिसाल बन कर आगे बढ़ने के लिए भी सशक्त करते हैं। हमें माहिका पर गर्व है और इस शानदार उपलब्धि के लिए हम उन्हें बधाई देते हैं।’’