16.4 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 के इलाज में एनआईसीई के निराधार दावे का जोरदार खंडन किया

देश-विदेश

कोविड के इलाज के लिए कुछ भ्रामक दावे प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित नेटवर्क एनआईसीई (नेटवर्क ऑफ इन्फ्लुएंजा केयर एक्सपर्ट्स) द्वारा किए गए हैं। इस दावे को कुछ मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा बिना तथ्यों के सत्यापन के प्रकाशित किया गया है। एनआईसीई ने जो मुख्य दावा किया है वह है कोविड-19 के उपचार के लिए एक प्रोटोकॉल विकसित करने के संबंध में है जिसे आयुष मंत्रालय द्वारा स्वीकृत बताया है। हालांकि, सच्चाई यह है कि दावेदार ने अनैतिक और भ्रामक रूप से इसके लिए आयुष मंत्रालय की मंजूरी को जिम्मेदार ठहराया है। आयुष मंत्रालय ने इस गलत दावे को खंडन करते हुए कहा है कि वह एनआईसीई के ऐसे सभी दावों का पुरजोर खंडन करता है और संबंधित समाचारों के प्रकाशन को पूरी तरह से भ्रामक और निराधार मानता है।

आयुष मंत्रालय यह भी स्पष्ट करता है कि उक्त एजेंसी, एनआईसीई ने तथाकथित प्रोटोकॉल के लिए आयुष मंत्रालय को कोई आवेदन नहीं दिया था। अगर एनआईसीई द्वारा कोविड-19 उपचार/प्रबंधन से संबंधित कोई प्रस्ताव मंत्रालय को दिया जाता है, तो इसकी अंतःविषय तकनीकी समीक्षा समिति (आईटीआरसी) द्वारा पूरी तरह से जांच की जाएगी। इस तरह के सत्यापन के लिए समिति के पास एक  सुव्यवस्थित और सख्त वैज्ञानिक जांच प्रक्रिया है। इस समिति के अनुमोदन के बिना, कोई भी आयुष धारा से संबंधित एजेंसी प्रोटोकॉल विकसित करने का दावा नहीं कर सकती है। एनआईसीई ने कोविड-19 उपचार के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा अनुमोदित प्राकृतिक चिकित्सा-आधारित प्रोटोकॉल विकसित करने का दावा करते हुए एक बहुत ही अनैतिक, अवैध और निराधार काम किया है। मंत्रालय की स्पष्ट अनुमति के बिना मंत्रालय के नाम का उपयोग करने का उसका कार्य भी उतना ही गंभीर है।

एनआईसीई जैसे झूठे दावे गृह मंत्रालय के आदेश संख्या 40-3/2020-डीएम-2 (ए), दिनांक 24 मार्च 2020 और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के आदेश संख्या। 1-29/2020-पीपी (पं. II), दिनांक 24 मार्च, 2020 के अनुसार दंडनीय अपराध के अंतर्गत आते हैं। ये आदेश झूठे दावों को दंडनीय अपराध बनाते हैं ताकि देश में कोविड-19 के प्रसार को रोका जा सके। कुछ मीडिया संस्थानों ने आयुष मंत्रालय से तथ्यों की पुष्टि किए बिना एनआईसीई द्वारा किए गए झूठे दावे को प्रकाशित किया है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी (एनआईएन) पुणे ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नेटवर्क ऑफ इन्फ्लुएंजा केयर एक्सपर्ट (एनआईसीई) ने बड़ा और भ्रामक दावे किया है। दावा कोविड-19 के प्रबंधन/उपचार के संबंध में है और एनआईसीई ने गलत तरीके से आयुष मंत्रालय द्वारा अपने उक्त प्रोटोकॉल को मंजूरी मिलने का दावा किया है।

इस बात पर और जोर दिया जाता है कि आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में काम कर रहे एनआईएन, पुणे ने स्थानीय मीडिया में पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह कोविड के प्रबंधन, उपचार और रोकथाम के लिए न केवल गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करता है बल्कि आईईसी की जानकारी और विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से इन दिशानिर्देशों को भी बढ़ावा देता है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More