18 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारत के 14 बाघ अभयारण्यों को बाघों के बेहतर संरक्षण के लिए वैश्विक सीए/टीएस मान्यता मिली

देश-विदेश

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज कहा कि बाघ संरक्षण वन संरक्षण का प्रतीक है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार का दृष्टिकोण लोगों की भागीदारी के साथ वैज्ञानिक और पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करके समावेशी बनाने वाला रहा है, जोकि देश की वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। श्री यादव वैश्विक बाघ दिवस के अवसर पर एक वर्चुअल कार्यक्रम में बोल रहे थे।

पर्यावरण मंत्री ने ‘तेंदुओं, सह-परभक्षियों और शाकभक्षियों की स्थिति-2018’ शीर्षक रिपोर्ट भी जारी की। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट इस तथ्य का प्रमाण है कि बाघों के संरक्षण से पूरे इकोसिस्टम का संरक्षण होता है।

वर्ष 2018 में बाघों की संख्या के अखिल भारतीय आकलन के दौरान, देश के बाघों वाले राज्यों में वनाच्छादित प्राकृतिक वासों के भीतर तेंदुओं की आबादी का भी अनुमान लगाया गया था। वर्ष 2018 में भारत के बाघों के विचरण वाले इलाकों में तेंदुओं की कुल आबादी 12,852 (एसई रेंज 12,172 – 13,535) थी। यह 2014 की तुलना में एक उल्लेखनीय वृद्धि है, जोकि देश के बाघों वाले 18 राज्यों के वनाच्छादित प्राकृतिक वासों में 7,910 (एसई 6,566-9,181) थी।

इस कार्यक्रम में भारत के उन 14 बाघ अभयारण्यों के बारे में चर्चा की गई, जिन्हें ग्लोबल कंजर्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (सीए|टीएस) की मान्यता मिली है। जिन 14 बाघ अभयारण्यों को मान्यता दी गई है उनमें असम के मानस, काजीरंगा और ओरंग, मध्य प्रदेश के सतपुड़ा, कान्हा और पन्ना, महाराष्ट्र के पेंच, बिहार में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, उत्तर प्रदेश के दुधवा, पश्चिम बंगाल के सुंदरबन, केरल में परम्बिकुलम, कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व और तमिलनाडु के मुदुमलई और अनामलई टाइगर रिजर्व शामिल हैं।

कंजर्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (सीए|टीएस) को टाइगर रेंज कंट्रीज (टीआरसी) के वैश्विक गठबंधन द्वारा मान्यता संबंधी उपकरण के रूप में स्वीकार किया गया है और इसे बाघों एवं संरक्षित क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है। आधिकारिक तौर पर 2013 में लॉन्च किया गया यह मानक लक्षित प्रजातियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करता है और प्रासंगिक संरक्षित क्षेत्रों में इन मानकों के मूल्यांकन को प्रोत्साहित करता है। सीए | टीएस विभिन्न मानदंडों का एक सेट है, जो बाघ से जुड़े स्थलों को इस बात को जांचने का मौका देता है कि क्या उनके प्रबंधन से बाघों का सफल संरक्षण संभव होगा।

इस कार्यक्रम में पर्यावरण राज्यमंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी भाग लिया। उन्होंने प्रकृति और जीवन के सभी रूपों के साथ सामंजस्य बिठाने की सदियों पुरानी परंपरा पर जोर दिया और कहा कि एक शीर्ष शिकारी के रूप में बाघ स्वस्थ इकोसिस्टम को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने सभी से एक साथ आने और हमारे बाघों एवं उनके प्राकृतिक आवासों को बचाने के लिए साथ आने का आह्वान किया।

दोनों मंत्रियों की उपस्थिति में, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने बाघों और जंगलों की सुरक्षा में लगे अग्रिम पंक्ति के कुछ वन्यकर्मियों के उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देने के लिए उन्हें ‘बाघरक्षक’ के रूप में सम्मानित किया। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा, “वनों से जुड़े हमारे बल घातक कोविड -19 महामारी के दौरान भी जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा करने के लिए दिन-रात मेहनत करते रहे।” उन्होंने अग्रिम पंक्ति के सभी वन कर्मचारियों को हमारी प्राकृतिक विरासत की रक्षा में जुटे रहने की उनकी भावना के लिए बधाई दी।

भारत सरकार ने लॉकडाउन के दौरान वन और वन्यजीव संरक्षण को ‘आवश्यक सेवाओं’ के रूप में वर्गीकृत करने के लिए एक सक्रिय कदम उठाया। देश के वनों से जुड़े बल कोविड -19 महामारी के दौरान भी जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा में दिन-रात मेहनत करते रहे।

इस कार्यक्रम में दोनों मंत्रियों, पर्यावरण सचिव श्री आर.पी. गुप्ता और एनटीसीए के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा वैश्विक बाघ दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की त्रैमासिक पत्रिका ‘स्ट्रिप्स’ के एक विशेष संस्करण का विमोचन भी हुआ।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More