आज़ादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत ‘पीएमजीदिशा अभियान के शुभारंभ और सभी डिजिटल गांवों में 100% डिजिटल साक्षरता की घोषणा’ के लिए आज आयोजित एक कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रॉनिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर शामिल हुए। वर्चुअल माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव श्री अजय प्रकाश साहनी सहित मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
पीएमजी दिशा अभियान भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख डिजिटल साक्षरता योजना है, जिसे पीएमजी दिशा योजना के अंतर्गत शुरू किया गया है। इस अभियान के अंतर्गत 8 से 10 सितंबर के बीच ग्रामीण नागरिकों विशेषकर महिलाओं और वंचित समुदायों के लिए तीन दिवसीय प्रमाणन अभियान चलाया जाएगा। इसी तरह से 11 सितंबर से 13 सितंबर के बीच पीएमजी दिशा योजना के लिए प्रमाणन अभियान भी चलाया जाएगा।
इसके अलावा सभी कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) से सभी डिजिटल गाँवों को 100% डिजिटल साक्षर बनाने के लिए प्रस्ताव किया गया है।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि भारत एक अनूठा देश है जहां हमने डिजिटल समावेशन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है और इसमें सीएससी की भूमिका सर्वोपरि है। डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने में पीएमजी दिशा और सीएससी अहम भूमिका अदा करने वाले पक्षों के रूप में उभरे हैं और वे आम लोगों के जीवन को बदलने तथा डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार और नागरिकों के बीच की खाई को पाटने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। श्री राजीव चंद्रशेखर ने डिजिटल समावेश के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए वीएलई के डिजिटल फुटप्रिंट के विस्तार पर भी जोर दिया।
भारत सरकार ने फरवरी 2017 में अपना महत्वाकांक्षी डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम, “प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा)” का शुभारंभ किया था। इस योजना के अंतर्गत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों में छह करोड़ लोगों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने की परिकल्पना की गई है। इससे लगभग 40% ग्रामीण परिवारों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाया जा सकेगा। इस योजना का उद्देश्य ऐसे परिवारों के कम से कम एक व्यक्ति को विशेष रूप से डिजिटल साक्षर बनाना है जिसमें एक भी व्यक्ति डिजिटल कार्यों में सक्षम नहीं है।