ऋषिकेश: राज्य में इंदिरा अम्मा कैंटीन अभियान में तेजी लाई जाएगी। जिला पंचायत, नगर पालिकाएं, नगर पंचायतें स्थान उपलब्ध करवाएं तो कम सम कम 100 और कैंटीनें खोली जा सकती हैं। ऋषिकेश के चारधाम यात्री बस अड्डा पर इंदिरा अम्मा कैंटीन का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि इन भोजनालयों के माध्यम से एक ओर जहां उत्तराखण्ड के पारम्परिक व्यंजनों को प्रोमोट किया जा रहा है वहीं इनके संचालन का दायित्व महिला स्वयं सहायता समूहों को देकर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस अवसर पर ई-रिक्शा, रेंट-ए-बाईक योजना का भी ऋषिकेश में शुभारम्भ किया और पांच लोगों को गाय-बछिया वितरित कीं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि ऋषिकेश में इंदिरा अम्मा भोजनालय की 20 वीं कैंटीन स्थापित की जा रही है। अभी तक स्थापित सभी कैंटीनों द्वारा अच्छा प्रदर्शन किया गया है। इनके माध्यम से अल्प आय वालों को सस्ता व पोष्टिक भोजन साफ-सफाई के साथ उपलब्ध करवाया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड की दशा व दिशा को महिला स्वयं सहायता समूहों, महिला मंगल दलों व महिलाओं के विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से ही बदला जा सकता है। महिला स्वयं सहायता समूहों को ग्रामीण व शहरी निर्धन बस्तियों में व्यवसाय केंद्रों के तौर पर विकसित किया जाएगा। पिछले एक साल में 100 से अधिक महिला स्वयं सहायता समूहों ने बेहतरीन प्रदर्शन करके दिखाया है। हमें सप्ताह में एक बार जरूर अपने ग्रामीण उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए। हम प्रयास कर रहे हैं कि चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं को चौलाय के लड्डू, प्रसाद के रूप में उपलब्ध हों। हमें अपने हस्तशिल्प को आगे बढ़ाना होगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पिछले दो वर्षों के अथक प्रयासों से चारधाम यात्रा सुव्यवस्थित हो पाई है। सुरक्षित उत्तराखण्ड का संदेश देश-विदेश में देने में सफल रहे हैं। इसी का परिणाम है कि इस वर्ष रिकार्ड संख्या में यात्री आ रहे हैं। बरसात हर वर्ष होती है, रास्ते भी बंद होते हैं। परंतु हमारी व्यवस्था इतनी पुख्ता है कि तुरंत ही रास्ता खोल दिया जा रहा है। इससे यात्रा में व्यवधान नहीं हो रहा है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हम अपना नजरिया बदल कर ही उत्तराखण्ड का विकास कर सकते हैं। गांव व गरीब हमारी नीतियों के केंद्र में है। सामाजिक पेंशन में उत्तराखण्ड अग्रणी राज्य है। हमने सामाजिक पेंशनों की राशि को 400 रूपए से बढ़ाकर 1 हजार रूपए कर दिया है। पेंशनों के लाभार्थियों की संख्या भी 1 लाख 74 हजार से बढ़कर 7 लाख से अधिक हो गई है। हम मंडुवा, झंगोरा, गहत आदि स्थानीय उपजो पर बोनस दे रहे हैं। पेड़ लगाने व दूध उत्पादन पर भी बोनस दिया जा रहा है।