लखनऊ: प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य में रू 25.00 प्रति कुन्टल की अभूतपूर्व वृद्धि कर तोहफा दिया है। इस बढ़े हुए गन्ना मूल्य से प्रदेश के गन्ना किसानों को वर्ष 2021-22 में लगभग रू.4,000.00 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि गन्ना मूल्य के रूप में चीनी मिलों से प्राप्त होगी। इसके साथ ही वर्ष 2021-22 हेतु उ.प्र. सरकार द्वारा गन्ना मूल्य में रू25.00 की बढोत्तरी की गयी है, शीघ्र प्रजाति के लिए रू350.00 प्रति कु., सामान्य प्रजाति के लिए रू.340.00 प्रति कु. एवं अस्वीकृत प्रजाति के लिए रू.335.00 प्रति कु. की दरें निर्धारित कर दी गयी हैं।
यह बात प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास मंत्री श्री सुरेश राणा ने आज यहां लोकभवन में प्रेसप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016-17 में प्रदेश में शीघ्र पकने वाली प्रजाति का क्षेत्रफल 52.83 प्रतिशत, सामान्य पकने वाली प्रजातियों का क्षेत्रफल 37.44 प्रतिशत एवं अनुपयुक्त प्रजातियों का क्षेत्रफल 9.73 प्रतिशत था। वर्तमान सरकार द्वारा गन्ना कृषकों के हित में लिये गये निर्णयों से वर्ष 2021-22 हेतु शीघ्र पकने वाली प्रजातियों का क्षेत्रफल 97.92 प्रतिशत, सामान्य प्रजातियों का क्षेत्रफल 2.01 प्रतिशत एवं अनुपयुक्त प्रजातियों का मात्र 0.07 प्रतिशत हो गया है।
श्री राणा ने कहा कि वर्ष 2016-17 में शीघ्र पकने वाली प्रजातियों का गन्ना मूल्य रू315.00 प्रति कु., सामान्य प्रजातियों का रू.305.00 प्रति कु. एवं अनुपयुक्त प्रजातियों का गन्ना मूल्य रू.300.00 प्रति कु. निर्धारित किया गया था। इस प्रकार वर्ष 2016-17 में प्रजातियों के आधार पर गन्ना कृषकों को औसतन रू.309.80 प्रति कु. गन्ना मूल्य प्राप्त होता था। पेराई सत्र 2021-22 में गन्ना कृषकों को वेराइटल प्रतिशत के आधार पर औसतन रू.349.80 प्रति कु. की दर प्राप्त होगी जो पेराई सत्र 2016-17 के मुकाबले रू.40.00 अधिक है। वर्ष 2016-17 में प्रदेश की औसत गन्ना उत्पादकता 723.80 कु. प्रति हेक्टेअर थी जो सरकार की किसान हित में चलाई गयी गन्ना विकास योजनाओं के क्रियान्वयन से बढ़कर 815 कु. प्रति हेक्टेअर हो गई है। पेराई सत्र 2016-17 में कृषक को प्रति हेक्टेअर रू.2,24,233.00 प्राप्त होते थे, वहीं वर्ष 2021-22 में बढोत्तरी के फलस्वरूप रू.2,85,087.00 प्राप्त होंगे, अर्थात कृषक को 01 हेक्टेअर गन्ने से बढ़े हुए गन्ना मूल्य एवं उपज वृद्धि के कारण रू.60,854.00 प्रति हेक्टेअर अधिक प्राप्त होंगे।
गन्ना मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार के कार्यकाल में 04 वर्षों में कुल 4289.09 लाख टन गन्ने की पेराई की गयी, जबकि इसके पूर्व के 04 वर्षों में मात्र 2918.53 लाख टन गन्ने की पेराई हुयी थी। इस प्रकार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में चीनी मिलों द्वारा पूर्व के 04 वर्षों के मुकाबले 1370.56 लाख टन अधिक गन्ने की पेराई की गयी, जिसे पूर्व के वर्षों में कृषक औने-पौने दामों पर क्रेशर एवं कोल्हुओं पर बेचने हेतु मजबूर थे। वर्तमान सरकार के 04 वर्षों में औसत गन्ना पेराई 1072.27 लाख टन प्रति वर्ष रही है, जो अपने आप में एक रिकार्ड है। जबकि इसके पूर्व के 04 वर्षों में 729.63 लाख टन प्रति वर्ष थी जिसके कारण कृषक अपने गन्ने का उचित निस्तारण नहीं कर पाते थे।
इसी प्रकार गन्ना मंत्री ने विभागीय उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि जहां तक पंजाब राज्य की बात है पूरे पंजाब राज्य का कुल गन्ना क्षेत्रफल मात्र 0.86 लाख हेक्टेअर है, जिसमें शीघ्र गन्ना प्रजाति कुल 65 प्रतिशत, सामान्य गन्ना प्रजाति 30 प्रतिशत एवं अनुपयुक्त गन्ना प्रजाति 05 प्रतिशत है। जबकि उ.प्र. के केवल एक जिले लखीमपुर खीरी का गन्ना क्षेत्रफल 3.33 लाख हेक्टेअर है जो पंजाब राज्य के गन्ना क्षेत्रफल से लगभग 04 गुना ज्यादा है।
गन्ना मूल्य देय एवं भुगतान की स्थिति
ऽ प्रदेश की चीनी मिलों पर दिनांक 25.09.2021 को कुल देय गन्ना मूल्य रू.33,014 करोड़ के सापेक्ष रू.28,015 करोड़ का भुगतान कराया जा चुका है जो कुल देय का 85 प्रतिषत है। वर्तमान सरकार द्वारा पेराई सत्र 2020-21 में रू.28,015 करोड़, पेराई सत्र 2019-20 में रू.35,898.85 करोड़, 2018-19 में रू.33,048.06 करोड़, 2017-18 के रू.35,443.38 करोड़ का भुगतान कराने के साथ-साथ गत पेराई सत्रों का रू.10,661.38 करोड़ सहित अब तक कुल रू.1,44,000 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान कराया जा चुका है।