लखनऊ: राज्य संग्रहालय, लखनऊ द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव एवं मिशन शक्ति के अन्तर्गत वीरांगना ऊदा देवी शहीद दिवस के अवसर पर दिनांक 16 नवम्बर, 2021 को विविध क्षेत्रों में भारतीय महिलाओं का योगदान विषयक चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में विविध विद्यालयों के लगभग 80 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभागिता की गयी। प्रतियोगिता में सभी प्रतिभागियों ने विविध क्षेत्रों में भारतीय महिलाओं के योगदान को दर्शाने वाले चित्रों का पूर्ण मनोयोग से अंकन किया। राज्य संग्रहालय लखनऊ द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो0 केया पाण्डेय, समन्वयक, मानवशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा चयनित प्रतिभागियों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए गये। भारतीय बालिका इण्टर कालेज की कु0 शिखा निषाद को प्रथम, कु0 चांदनी आर्या को द्वितीय तथा सहाय सिंह बालिका इण्टर कालेज की कु0 कनन को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त राजकीय बालिका इण्टर कालेज की कु0 सौम्या व कु0 काजल पाल, भारतीय बालिका इण्टर कालेज की अदिति व चित्रा दयाल तथा सहाय सिंह बालिका इण्टर कालेज की अनीशा कुमारी को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए गए।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो0 केया पाण्डेय ने उक्त अवसर पर अपने सम्बोधन में वीरांगना ऊदा देवी के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान की चर्चा करते हुए बताया कि रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल एवं जीनत महल की भांति इन्हें एक वीरांगना व महिला क्रांतिकारी के रूप में याद किया जाता है। वीरांगना ऊदा देवी के शहीद दिवस पर संग्रहालय द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम उनके प्रति एक श्रृ़द्धांजलि है।
संग्र्रहालय के निदेशक डा0 आनन्द कुमार सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि ऊदा देवी का मातृ भूमि के प्रति समर्पण व स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा एवं भारतीय महिलाओं के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका की जीवंत मिशाल है। डा0 सिंह ने बताया कि पीलीभीत क्षेत्र में आज भी इनकी वीरता के गीत गाये जाते हैं।
कार्यक्रम का संचालन डा0 विनय कुमार सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर राज्य संग्रहालय की सहायक निदेशक श्रीमती रेनू द्विवेदी तथा डा0 मीनाक्षी खेमका, धनन्जय कुमार राय, शारदा प्रसाद त्रिपाठी, शशिकला राय, ज्ञान चन्द्र गौड़, प्रमोद कुमार सिंह, माधुरी कीर्ति, श्रवण कुमार आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।