लखनऊ: कल्याण सिंह के बाद भाजपा को कोई कद्दावर ओबीसी नेता नहीं मिला, ऐसे में ये कवायद चल रही थी की पार्टी उनको उत्तर प्रदेश चुनाव में इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन जिस तरह से स्वामी प्रसाद के बसपा छोड़ने के बाद हालात बदले हैं। मौर्या भाजपा में खाली जगह को भर सकते हैं। स्वामी प्रसाद कल्याण का विकल्प साबित हो सकते हैं।
भाजपा के सूत्रों पर भरोसा किया जाये तो स्वामी प्रसाद मौर्या को एक नया मंच बनाने की सलाह दी गई है। यह संगठन बाद में बीजेपी में विलय कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी शीर्ष नेताओं से स्वामी प्रसाद मौर्या के बीच जो समझौता हुआ है। उसके तहत स्वामी प्रसाद मौर्या यूपी में पिछड़ों और दलितों का एक बड़ा मंच बनाएंगे। इसके साथ वह अपने मंच में बसपा से निकले और सताए गए लोगों को भी अपने संगठन से जोड़ेंगे।
बताया जाता है कि दिल्ली में गुरुवार को बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ हुई बैठक में यह समझौता स्वामी प्रसाद मौर्या के साथ किया गया है कि वह अपना मंच खड़ा करें। इसके बाद चुनाव से पहले उनके सगठन के साथ बीजेपी यूपी में अपना गठबंधन कर लेगी।
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के शीर्ष नेता अब इस बात को भलीभांति समझ गए हैं कि उनकी पार्टी का यूपी में जनाधार खड़े करने वाले नेता कल्याण सिंह थे। जिन्हें पार्टी कि गुटबाजी ले डूबी और उन्होंने अलग पार्टी बना ली। कुछ समय बाद कल्याण सिंह को भी यह बात समझ में आ गई कि जिन पिछड़ों और लोध वोट के सहारे वह सूबे में अपनी राजनीति कर रहे थे। वह बिना बैनर के नहीं चल सकती। नतीजतन वह फिर से बीजेपी में शामिल हो गए।
लेकिन बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनकर उन्हें यूपी कि राजनीति से बेदखल कर दिया।
फिलहाल स्वामी प्रसाद मौर्या 1 जुलाई को लखनऊ में अपना शक्ति प्रदर्शन करेंगे। उसके बाद ये तय होगा कि 2017 के लिए किस दिशा में बढ़ना है।
साभार: हिंदी इनाडु भारत