देहरादून: दिल्ली के राजकीय दौरे से लौटते ही मुख्यमंत्री हरीश रावत जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट से सीधे ही सचिवालय स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचे और विभिन्न जिलों की स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों से फोन पर बात कर वहां की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारियों को पूरा अलर्ट रहने और अपनी सभी तैयारियां पूरी रखने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने चमोली व पिथौरागढ़ के जिलाधिकारियों को राहत व बचाव कार्यों पर स्वयं नजर रखने व प्रभावित लोगों को तत्काल राहत पहुंचाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रभावितों को भोजन, पीने का पानी, दवाईयां, ईंधन सहित अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने नदियों के समीपवर्ती स्थानों व निचले स्थानों पर लोगों को सतर्क करने व आवश्यक होने पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के निर्देश दिए। यदि जिलाधिकारी जरूरी समझे ंतो स्कूलों में छोटी कक्षाओं के बच्चों की छुट्टी की जा सकती है। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में लोगों तक प्रशासन के लोग पहुंचें। जिला आपदा कंट्रोल रूम पूरी तरह से सक्रिय हों।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने अपने पूर्व निर्धारित सभी कार्यक्रम निरस्त करते हुए राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र का निरीक्षण किया और सचिव आपदा शैलेश बगोली से प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर अतिवृष्टि व भूस्खलन से हुए नुकसान के साथ ही संचालित किए जा रहे राहत व बचाव कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने जिलाधिकारियों को पूरी चैकसी बरतने को कहा। चमोली, उŸारकाशी, रूद्रप्रयाग व टिहरी के जिलाधिकारियों से चारधाम यात्रा के संबंध में अपडेट लिया। बताया गया कि केदारनाथ यात्रा सुरक्षित व निर्बाध रूप से चल रही है। अन्य धामों पर भी यात्रा पूरी तरह से सुरक्षित है। कुछ स्थानों पर रास्ते बंद हुए थे जिन्हें अल्प समय में ही खोल दिया गया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि यात्रा रूट में ऐहतियातन सर्च करके सुनिश्चित कर लिया जाए कि कोई भी यात्री कहीं फंसा न हो। यात्रियों को भोजन, पानी की कमी न हो।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने सचिव आपदा, शैलैश बगोली के साथ विस्तार से स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि इस बार आपदा पर प्रशासन का रेस्पोंस पहले की तुलना में अधिक बेहतर रहा है। जो कमियां नजर में आएं उन्हें तुरंत सुधारा जाए। मुख्यमंत्री ने बीएसएनएल के अधिकारी से बात कर जहां-जहां बीएसएनएल की लाईने कट गई हैं, उन्हें दुरूस्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य में ज्यादा बारिश की स्थिति में बीएसएनएल की सेवाएं बाधित हो जाती हैं। हमारे पास वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी होनी चाहिए। प्रस्तावित 22 सैटेलाईट फोन के लाईसेंस की स्वीकृति टेलीकाॅम मंत्रालय से लेने के लिए पुनः अनुरोध किया जाए। हर गांव में एक आपदा सहायक तैनात किया जाए। उसका सम्पर्क जिला आपातकालीन केंद्र के साथ ही राज्य आपातकालीन केंद्र से भी हो। ग्राम प्रहरियों को यह जिम्मेवारी दी जाए। जहां ग्राम प्रहरी न हों वहां अन्य व्यक्ति चिन्हित किए जाएं।