नई दिल्ली: हल्का लड़ाकू विमान ‘ तेजस ‘ 01 जुलाई, 2016 को भारतीय वायु सेना के 45वें स्क्वाड्रन में शामिल हो गया। 45वें स्क्वाड्रन को ‘ फ्लाइंड डैगर्स ‘ कहा जाता है। पहले यह स्क्वाड्रन एमऐआईजी 21 बीआईएस विमान से सुसज्जित था और इसका संचालन नलिया से किया जाता था। इसका नारा है “ अजीत नभ “। लगभग दो वर्षों तक इस विमान का संचालन बंगलुरु से किया जाएगा । इसके बाद संचालन कोयम्बटूर के निकट निर्धारित स्थान सुलुर से किया जाएगा। यह पहला लड़ाकू विमान है जो तिरुअनंतपुरम स्थित भारतीय वायु सेना के दक्षिणि एयर कमान का हिस्सा होगा।
‘ फ्लाइंड डैगर्स ‘ के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन माधव रंगचारी हैं। ग्रुप कैप्टन माधव रंगचारी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के कैडेट रहे हैं। मिराज-2000 तथा मिग 21 के संचालन अनुभव के अतिरिक्त उन्हें प्रोटोटाइप हल्के लड़ाकू विमान के उड़ान प्रशिक्षण का अनुभव है।
‘ तेजस ‘ भारत में डिजायन किया , विकसित और निर्मित है। इसकी परिकल्पा मिग21 को बदलने के लिए की गई और इसकी डिजायनिंग और विकास का काम एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) द्वारा किया गया है। यह हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड(एचएएल) द्वारा निर्मित है। इसके डिजायनरों, निर्माताओं, तकनीकी विशेषज्ञों और जांच दल को इस बात का श्रेय जाता है कि यह हल्का लड़ाकू विमान बिना कोई दुर्घटना के 2000 घंटे में 3000 उड़ान भर चुका है। यह चार प्लस पीढ़ी का विमान है । इसका कॉकपिट शीशे का है और अत्याधुनिक सेटेलाइट सुविधा संपन्न मजबूत नौवहन प्रणाली से लैस है। इसमें डिजिटल कंप्यूटर आधारित हमला प्रणाली और ऑटोपायलट है। य़ह हवा से हवा में प्रक्षेपास्त्र , बम तथा स्पष्टता निर्देशित हथियार दाग सकता है।
विमान को चरणबद्ध तरीके से शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। आईओसी विमान हवा से हवा में निकट से प्रक्षेपास्त्र दागने , हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले तथा लेसर निर्देशित बम जैसे स्पष्ट निशाना लगाने वाले हथियारों से लैस है। ऐसे विमान बिना किसी निर्देश के भी स्पष्टता के साथ बम गिरा सकते हैं क्योंकि इसमें अत्यधिक विकसित स्वदेशी मिशन कंप्यूटर है। एफओसी विमान दृष्टि क्षेत्र से आगे निशाना साधने वाले प्रक्षेपास्त्रों को शामिल करेगा। इसमें बेहतर स्टैंड ऑफ हथियार और एयर टू एयर ईंधन भरने की सुविधा है। भारतीय वायु सेना अतिरिक्त हल्के लड़ाकू विमान एमके ए1 लाने के प्रयास में है । इसमें नई पीढ़ी का एक्टिव इलेक्ट्रानिकली स्कैन्ड अरै राडार होगा और एक साथ हवा से हवा और हवा से जमीन की क्षमता होगी।
45वें स्क्वाड्रन का संचालन आज से शुरु हुआ और ‘ तेजस ‘ बहुत जल्द भारतीय आकाश की रक्षा में लग जाएगा।
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