लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से पूरे वेग से दौड़ रहे विजय रथ को भाजपा 2022 के विधानसभा चुनाव में भी आगे बढ़ाना चाहती है। पार्टी आश्वस्त है कि उसकी राह में कोई बाधा नहीं है। फिर भी रणनीतिकारों ने एक-एक सीट पर गर्म-ठंडी हवा को परखने का प्रयास किया है। सर्वे की तीन-तीन चुनौतियां जिस विधायक ने पार कीं, उन्हीं पुराने योद्धाओं के बलबूते फिर से मैदान सजाया गया है। कैंची इतने हल्के हाथ से चलाई गई है कि 370 प्रत्याशी घोषित कर चुकी पार्टी ने मात्र दो मंत्रियों का टिकट काटा है। इनमें एक की उम्र अधिक थी।
उत्तर प्रदेश सात चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव के पहले चरण में दस फरवरी को पश्चिम और ब्रज क्षेत्र की 58 सीटों के लिए मतदान होना है। 2017 में इनमें से 53 सीटों पर कमल खिला था। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां से विपक्ष को सबसे अधिक उम्मीद है। दरअसल, कृषि कानून विरोधी आंदोलन को विपक्ष ने हवा ही इस रणनीति के तहत दी थी कि सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ गांव-गांव माहौल बनाया जाए। चूंकि, आंदोलन में जाट नेताओं की सक्रियता रही, इसलिए जाटों के वोट की आस में ही सपा और रालोद ने गठबंधन किया है।
बसपा और कांग्रेस भी उस मुद्दे को भुनाना चाहती हैं तो भाजपा कानून व्यवस्था के मुद्दे को मजबूती से उठाते हुए अपने संगठन की फौज उतार चुकी है। खास बात यह है कि विपक्षी दल जहां सत्ता विरोधी लहर के भरोसे अपनी नैया पार लगते देख रहे हैं, वहीं सत्ताधारी दल आश्वस्त है कि ऐसी कोई लहर प्रभावी ही नहीं है। यह संदेश भाजपा द्वारा घोषित प्रत्याशियों की सूची भी दे रही है।
अब तक भगवा खेमे के 370 उम्मीदवार घोषित किए जा चुके हैं। पहले आशंका जताई जा रही थी कि इस बार भाजपा लगभग 40 प्रतिशत विधायकों के टिकट काट सकती है, ताकि जनता की नाराजगी को कम किया जा सके। इन आशंकाओं को हवा-हवाई साबित करते हुए भाजपा ने पुराने योद्धाओं के भरोसे ही अपना मैदान सजाया है। पार्टी के रणनीतिकारों ने लगभग 20 प्रतिशत विधायकों के ही टिकट काटे-बदले हैं।
मसलन, 370 प्रत्याशियों में करीब 60 विधायकों के स्थान पर ही दूसरे प्रत्याशी उतारे गए हैं। सिर्फ दो मंत्रियों स्वाति सिंह और चौधरी उदयभान सिंह का टिकट काटा गया है। उदयभान की उम्र अधिक होने पर किनारे किए गए हैं। मैदान में मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा भी नहीं होंगे, लेकिन उनके स्थान पर उनके पुत्र गौरव वर्मा को टिकट दिया गया है।
इतने कम विधायकों के टिकट काटे जाने का कारण भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी स्पष्ट करते हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी ने टिकट तय करने से पहले हर सीट पर तीन-तीन आंतरिक सर्वेक्षण कराए। तीनों सर्वे रिपोर्ट में जो विधायक फिर से जीतने की स्थिति में बताए गए, उन्हें ही पार्टी ने फिर से प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में संगठन उसी मजबूती के साथ मोर्चे पर अड़ा है, जैसे 2017 में खड़ा था।
गठबंधन सहयोगी के भी 20 उम्मीदवार, बचे सिर्फ 13 : भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगियों ने मिलकर कुल 390 प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इनमें 370 भाजपा, 13 अपना दल एस और सात उम्मीदवार निषाद पार्टी के हैं। ऐसे में अब 403 में से मात्र 13 प्रत्याशी तय करना बाकी है, जिस पर मंथन चल रहा है।
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