पश्चिमी विक्षोभ के बार-बार सक्रिय होने और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बार-बार बर्फबारी होने से वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक खासे उत्साहित हैं। इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का मानना है कि पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बार-बार बर्फबारी ग्लेशियरों की सेहत के लिहाज से काफी अच्छा संकेत है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले एक माह के भीतर पश्चिमी विक्षोभ के दो बार सक्रिय होने और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी ना सिर्फ ग्लेशियरों की सेहत के लिए बहुत अच्छी बात है। बल्कि नदियों की सेहत के लिहाज से भी काफी मुफीद है।
वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार की माने तो जिस हिसाब से उत्तराखंड समेत देश के तमाम हिमालयी राज्यों में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं उसे देखते हुए ग्लेशियरों पर होने वाली बर्फबारी एक अच्छा संकेत है।
बकौल वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार ना सिर्फ उत्तराखंड वरन् देश के तमाम हिमालयी राज्यों के साथ ही पूरी दुनिया में पर्यावरण में आए बदलाव के चलते ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं जो भविष्य के लिए ना सिर्फ भारत वन पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा है ।
बता दें कि उत्तराखंड में यमुनोत्री ग्लेशियर, गंगोत्री, बंदरपूंछ, ढोकरियानी, खतलिंग, दूनागिरी, बद्रीनाथ, भागीरथी ग्लेशियर, सतोपंथ, हिपराबामक, चौराबाड़ी, केदारनाथ, पिंडारी, सुंदर दूंगी, काफनी मैंकतोली काली ग्लेशियर कुछ ऐसे प्रमुख ग्लेशियर हैं जो तेजी से पिघल रहे हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों की ओर से ही किए गए एक शोध में यह बात सामने आई थी कि ठंड के मौसम में भी हिमालयी क्षेत्र में स्थित ग्लेशियर के पिघलने की दर ज्यादा है। जबकि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी कम होने से ग्लेशियरों का क्षेत्रफल साल दर साल घट रहा है।
वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों की मानें तो हिमालय के लिटिल आइस एज( 1450 ईस्वी से लेकर 1850) के बाद उच्च हिमालई क्षेत्रों में ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार में तेजी आई है।
अब जबकि ठंड के मौसम में पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले एक माह के भीतर तो बार भारी वर्षा और बर्फबारी हुई है तो इससे वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी का ग्लेशियरों की सेहत पर काफी अच्छा अच्छा असर पड़ेगा। वही जल की मात्रा के हिसाब से देश की नदियों की सेहत अच्छी रहेगी
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