नई दिल्ली: भारत ने कहा है कि जलवायु समझौते पर आगे की कार्रवाई के लिए वित्त और टैक्नोलॉजी में सहयोग की आवश्यकता है। बर्लिन में सातवें सेंटपीटर्स बर्ग संवाद पर एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जर्मनी के मंत्री सुश्री बारबरा हेन्ड्रिक्स और पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 2020 के पहले के कदम महत्वपूर्ण हैं। श्री जावड़ेकर ने इस संबंध में अक्टूबर, 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जर्मन चांसलर के संयुक्त वक्तव्य की याद दिलाई।
बर्लिन में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पर्यावरण मंत्री के संबोधन का मूल पाठ :
मैं सातवें सेंटपीटर्स बर्ग के संवाद के परिणाम के प्रति सचमुच आशांवित हूं। खूबसूरत रूप में सुसज्जित कक्ष से सुन्दर किसी और कक्ष को पहले मैंने नहीं देखा है। इसलिये इसका परिणाम भी सकारात्मक होगा।
जहां तक पुष्टि करने का संबंध है, भारत ने पहले ही प्रक्रिया शुरू कर दी है। हाल में जब हमारे प्रधानमंत्री वाशिगंटन में थे, तब उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा के साथ बैठक में इस बात पर बल दिया था कि पुष्टि प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जानी चाहिए और हमने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। आगे की कार्रवाई के लिए सहयोग महत्वपूर्ण है, क्योंकि सभी देशों में विकास के स्तर में विभिन्नता है। हमें सहयोग चाहिए, कदम उठाने की इच्छा शक्ति चाहिए, लेकिन वित्त और टेक्नोलॉजी के संदर्भ में कार्रवाई करने की हमारी क्षमता नहीं है। जब हम टेक्नोलॉजी की बात करते हैं, तब अनेक क्षेत्रों में जर्मनी का नाम विश्वसनीय नाम के रूप में आता है। इसलिये वित्त, प्रौद्योगिकी और परस्पर सहयोग के साथ आगे बढ़ना होगा। न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र में हमने समझौते पर हस्ताक्षर किया और अब हमें इसे अमल में लाना होगा। इसलिए 2020 के पहले के कदम महत्वपूर्ण है और सेंटपीटर्स बर्ग संवाद में इन कदमों पर विचार किया जाएगा।
5 अक्टूबर, 2015 को प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर एंजिला मर्केल ने संयुक्त वक्तव्य जारी किया था और मैं यह सोचता हूं कि यह वक्तव्य भारत-जर्मन साझेदारी कार्यक्रम का आधार है। हम इसकी प्रशंसा करते है और आने वाले दिनों में इसको अपनाने की बात सोच सकते है, लेकिन 2050 तक हम अपनी ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति नवीकरणीय ऊर्जा से करेंगे। यह सबसे सराहनीय बात है। हमारा पहले का लक्ष्य केवल 20 गीगावॉट सौर ऊर्जा का था, जब प्रधानमंत्री मोदी ने कार्य भार संभाला, तब हमने इस लक्ष्य में 5 गुनी वृद्धि की और यह लक्ष्य 100 गीगावॉट पहुंच गया। पवन ऊर्जा जैसी हमारी नवीकरणीय ऊर्जा का द्वार दूसरे देश के लिए भी खुला है।