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केशव प्रसाद मौर्य फिर डिप्टी सीएम बनेंगे या मिलेगी कोई नई जिम्मेदारी, जानें क्या चल रही है कवायद

उत्तर प्रदेश

विधानसभा चुनाव में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की हार के बाद अब हर जुबान पर बस यही चर्चा है कि केशव दोबारा डिप्टी सीएम बनेंगे या नहीं। सिराथू के परिणाम से हर कोई स्तब्ध रह गया है। भाजपा के कद्दावर नेता माने जाने वाले केशव का भविष्य क्या होगा इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है। अपने कार्यकाल में उन्होंने प्रयागराज शहर सहित कौशाम्बी के सिराथू में काफी विकास कार्य कराया था जिसका फायदा चुनाव में भाजपा को मिला।

भाजपा के फायरब्रांड नेता माने जाने वाले केशव संघ की पृष्ठभूमि से हैं। विश्व हिंदू परिषद से वह काफी समय तक जुड़े रहे और विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के काफी करीबी रहे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान 2017 में उन्होंने पार्टी को विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीत दिलाई थी। उनका नाम सीएम की रेस में था हालांकि बाद में पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के नाम पर मुहर लगाई।

2012 में विधायक और 2014 में सांसद बन गए थे केशव

2012 में सिराथू से विधायक चुने जाने के बाद वह 2014 में फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद भी बन गए और फिर 2017 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद डिप्टी सीएम की कुर्सी तक पहुंच गए। केशव का कद कुछ ही साल में तेजी से बढ़ा, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में सिराथू से पराजय के बाद अब असमंजस के बाद मंडराने लगे हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य सहित मौर्य, शाक्य, सैनी बिरादरी के कई नेताओं के विधानसभा चुनाव के पहले पाला बदलकर सपा में जाने के कारण इस बिरादरी के लोगों को भाजपा में जोड़ने रखने की जिम्मेदारी पूरी तरह से केशव मौर्य पर आ गई थी, जिसका निर्वहन भी उन्होंने पूरी मेहनत और निष्ठा के साथ किया।

भाजपा को जिताने के चक्कर में खुद की सीट गंवाई

भाजपा के स्टार प्रचार के तौर पर उन्होंने यूपी के लगभग हर जिले में सभाएं कीं और मौर्य समाज सहित पिछड़ी जाति के लोगों को भाजपा से जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाई। भाजपा को चुनाव जिताने और पूर्ण बहुमत में लाने के लिए वह अपने विधानसभा में पर्याप्त समय नहीं दे सके। हार के लिए यह भी एक कारण माना जा रहा है। एक तरफ जहां सपा की पल्लवी पटेल सहित सपा के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज और अन्य बड़े नेता सिराथू में डेरा जमाए रहे वहीं केशव प्रसाद मौर्य पूरे प्रदेश में भाजपा के लिए प्रचार करते रहे।

पीएम मोदी ने भी कौशाम्बी में की थी सभा

हालांकि सिराथू में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, कैलाश विजयवर्गीय, अनुप्रिया पटेल सहित तमाम नेताओं की सभाएं हुईं और पार्टी के कार्यकर्ता पूरी मेहनत के साथ लगे रहे, लेकिन कांटे की टक्कर होने के चलते केशव को अंतत: हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा के एक धड़े का कहना है कि डिप्टी सीएम को दोबारा सीएम बनाया जा सकता है जबकि तमाम भाजपा नेताओं का मत है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी केशव को दिल्ली बुला सकती है और संगठन में कोई बड़ा पद दिया जा सकता है।

केशव को नजरअंदाज करना नहीं आसान

केशव प्रसाद मौर्य वर्तमान में विधान परिषद सदस्य हैं। इस स्थिति में डिप्टी सीएम या कैबिनेट मंत्री बनने की राह में कोई रोड़ा नहीं आ सकता है। हालांकि चुनाव में पराजय के बाद मंत्रिमंडल में शामिल करने पर विरोधियों के साथ ही पार्टी के भी अंदर सवाल खड़े किए जा सकते हैं। केशव का भविष्य क्या होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन पार्टी में पिछड़े वर्ग का चेहरा बन चुके केशव को नजरअंदाज करना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा।

नए मंत्रिमंडल के सदस्यों पर दिल्ली में लगेगी मुहर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गठित होने वाली भाजपा की नई सरकार के मंत्रिमंडल के सदस्यों पर दिल्ली में मोहर लगेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सहित अन्य नेता आज दिल्ली जा सकते है।

विधानसभा चुनाव के नतीजों में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं और आरएसएस के बीच यूपी में भाजपा की नई सरकार के गठन को लेकर बातचीत शुरू हो गई है। इधर, भाजपा के नेताओं को दिल्ली के इशारे का इंतजार है।

दिल्ली से इशारा मिलते ही आज मुख्यमंत्री सहित कोर कमेटी के सभी सदस्य दिल्ली जा सकते है।  पार्टी सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल के नए सदस्यों के नामों पर भाजपा और आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों की सहमति से ही मोहर लगेगी। योगी सरकार-02 में उप मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे या नहीं इसका निर्णय भी दिल्ली में ही होगा।

सोर्स: यह Amar Ujala न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ श्रमजीवी जर्नलिस्ट टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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